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2020 के महागंथ्र के लिए जनसंपर्क विभाग ने जारी किया 2018 से विज्ञापन... शायद टोप्पो को भरोसा था कि बन जाएगी रमन सरकार

2020 के महागंथ्र के लिए जनसंपर्क विभाग ने जारी किया 2018 से विज्ञापन... शायद टोप्पो को भरोसा था कि बन जाएगी रमन सरकार

रायपुर. छत्तीसगढ़ में डाक्टर रमन सिंह के मुख्यमंत्री मंत्री रहने के दौरान जनसंपर्क विभाग में एक से बढ़कर कारनामों को अंजाम दिया गया था. इसी साल 20 सितंबर को प्रकाशित एक खबर में हमने बताया था कि भारतीय प्रशासनिक सेवा के अफसर राजेश सुकुमार टोप्पो जब जनसंपर्क विभाग में पदस्थ थे तब उन्होंने कहानी की एक सदी नाम के ( 14 सौ 29 पेज ) एक महागंथ्र को प्रकाशित करने में विशेष दिलचस्पी दिखाई थी. कथा- कहानी और उपन्यास से कोसो दूर रहने वाले राजेश टोप्पो इस महागंथ्र के प्रधान संपादक भी बन बैठे थे. इधर इस महागंथ्र को टटोलने में कुछ और नई बातें सामने आई है. यह महागंथ्र जनवरी 2020 में निकलना था, लेकिन 2020 के पहले छप गया और जनसंपर्क विभाग के मालखाने में जमा भी हो गया. इतना ही नहीं जनसंपर्क विभाग ने इस महागंथ्र के लिए वर्ष 2018 को ही विज्ञापन भी जारी कर दिया था. ऐसा शायद इसलिए हो पाया... क्योकि पूर्व सीएम एवं सुपर सीएम की नाक के बाल समझे जाने वाले राजेश टोप्पो को भरोसा था कि चौथीं बार भी भाजपा की सरकार बनने जा रही है. इस महाग्रंथ में जनसंपर्क विभाग के फुल पेज के कुल 12 विज्ञापन शामिल है. बहरहाल यहां चित्र में एक विज्ञापन देखिए...। यह विज्ञापन वर्ष 2025 के लक्ष्य को ध्यान में रखते हुए जारी किया गया था. इस विज्ञापन में यह उल्लेखित है कि विकास का इतिहास है. रमन पर विश्वास है और स्वर्णिम भविष्य की आस है. कई तरह के चमकीले नारों के बीच एक विज्ञापन अन्नदाताओं को दिए जाने वाले सौगात से भी संबंधित है. बहरहाल राजेश टोप्पो ने अपनी निगरानी में जिस महाग्रंथ का प्रकाशन करवाया उसमें मानव जीवन की कहानी शीर्षक से उनकी दो पेज की भावुक संपादकीय भी शामिल है. महाग्रंथ में नाटककार-कहानीकार भारतेन्दु हरिशचंद्र से लेकर कमल चमोला तक शामिल किए गए हैं,  लेकिन छत्तीसगढ़ में रहकर शानदार और जानदार ढंग से कहानी लिखने वाले कहानीकारों को छोड़ दिया गया है. भाजपा के शासनकाल में केले, पपीते और अमरूद की खेती पर भी फिल्में बनी है. लोग दो-चार पत्रिका छापकर भी लाखों का विज्ञापन हासिल करते रहे हैं.

स्टिंग आपरेशन होने के बाद फूटा भांडा

जनसंपर्क विभाग में पदस्थापना के दौरान राजेश टोप्पो जरूरत से ज्यादा दुस्साहसी हो गए थे. वे भाजपा की नीतियों के खिलाफ कलम चलाने वाले पत्रकारों की सेक्स सीडी बनवाना चाहते थे. हालांकि खबर है कि इस भयानक किस्म के गंदे काम का निर्देश उन्हें संविदा में पदस्थ सुपर सीएम की तरफ से दिया गया था, लेकिन जिस शख्स को उन्होंने इस काम का जिम्मा सौंपा था एक दिन उसी शख्स ने उनका स्टिंग आपरेशन कर दिया और भांडा फूट गया. ( हालांकि तब-तक बैकाक-पटाया गए कुछ पत्रकारों की सीडी बन गई थी. वैसे बैकांक-पटाया जाने वाले अधिकांश पत्रकार वे थे जो पद्रंह सालों तक डाक्टर रमन सिंह की जय-जयकार में लगे हुए थे.) बहरहाल संवाद और कंसोल इंडिया के जरिए राजनेताओं के रिश्तेदारों और भाजपाई मीडिया को लाभ पहुंचाने की जो साजिश टोप्पो ने रची उसकी जांच चल रही है. यह जांच कब तक पूरी होगी अभी साफ नहीं है. इतना ही नहीं राजेश टोप्पो तब के कांग्रेस अध्यक्ष भूपेश बघेल ( अब मुख्यमंत्री ) और प्रदेश प्रभारी पीएल पुनिया की भी सीडी  बनवाना चाहते थे. इस काम की जिम्मेदारी भी उन्होंने उसी शख्स को दे रखी थीं जो कुछ पत्रकारों को सरकारी खर्च पर बैकांक-पटाया की रंगीन यात्रा पर ले गया था. इस बीच जमीन घोटाले के एक पुराने मामले में टोप्पो पर अपराध पंजीबद्ध कर लिया गया है, लेकिन उनकी गिरफ्तारी नहीं हुई है.

 

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