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भाजपा के शासनकाल में राजेश सुकुमार टोप्पो प्रधान संपादक भी थे… और उनके डायरेक्शन में छपी थी रामायण और महाभारत से भी ज्यादा मोटी किताब

भाजपा के शासनकाल में राजेश सुकुमार टोप्पो प्रधान संपादक भी थे… और उनके डायरेक्शन में छपी थी रामायण और महाभारत से भी ज्यादा मोटी किताब

रायपुर. डाक्टर रमन सिंह के मुख्यमंत्री और जनसंपर्क मंत्री रहते हुए छत्तीसगढ़ के जनसंपर्क विभाग में एक से बढ़कर कारनामों को अंजाम दिया गया है. कोई केले, पपीते और अमरूद पर फिल्म बनाकर करोड़ों रुपए की उगाही करता रहा है तो कोई दो-चार पत्रिका छापकर लाखों का विज्ञापन हासिल करता रहा है. इधर अब जाकर रामायण और महाभारत से भी वजनी एक महाग्रंथ हाथ लगा है. ( इस किताब को पांच मिनट तक उठाकर रखने में हाथ की नसों में दर्द का उठना तय है. अगर आप युवा है तो इस वजनी ग्रंथ को उठाकर अपनी मसल बना सकते हैं.) आपको यह जानकर आश्चर्य होगा कि कहानी की एक सदी के नाम से प्रकाशित यह महाग्रंथ लगभग 14 सौ 29 पेज का है और इसके प्रधान संपादक है भारतीय प्रशाससिक सेवा के अफसर राजेश सुकुमार टोप्पो.

राजेश कुमार टोप्पो के बारे में यह सर्वविदित है कि भाजपा के शासनकाल में वे पूर्व सीएम एवं सुपर सीएम की नाक के बाल थे. जनसंपर्क विभाग में रहने के दौरान वे इतने ज्यादा दुस्साहसी हो गए थे कि भाजपा की नीतियों के खिलाफ कलम चलाने वाले पत्रकारों की सेक्स सीडी बनवाना चाहते थे. इस भयानक किस्म के गंदे काम की जवाबदारी उन्होंने जिस शख्स को दे रखी थीं एक दिन उस शख्स ने ही एक दिन उनका स्टिंग आपरेशन कर दिया और भांडा फूट गया. ( हालांकि बैकाक-पटाया ले जाए गए कई पत्रकारों की सीडी तब भी बन ही गई. मजे की बात यह है कि ये पत्रकार वे हैं जो पद्रंह सालों तक डाक्टर रमन सिंह की जय-जयकार में लगे हुए थे.) संवाद और कंसोल इंडिया के जरिए राजनेताओं के रिश्तेदारों और भाजपाई मीडिया को लाभ पहुंचाने की जो साजिश टोप्पो ने रची उसकी जांच चल रही है. इस बीच जमीन घोटाले के एक पुराने मामले में टोप्पो पर अपराध पंजीबद्ध कर लिया गया है.

इधर अब जाकर पता चला कि टोप्पो साहब प्रधान संपादक भी थे और उन्होंने अपनी निगरानी में महाग्रंथ का प्रकाशन करवाया था. इस महाग्रंथ में उन्होंने मानव जीवन की कहानी शीर्षक से दो पेज की भावुक किस्म की. संपादकीय भी लिखी है. महाग्रंथ में छत्तीसगढ़ के जनसंपर्क विभाग के फुल पेज के कुल 12 विज्ञापन शामिल है. चमकीले और महंगे विज्ञापनों को देखते हुए कथाकारों की कहानियों से गुजरना एक अलग तरह की खींझ पैदा करता है. महाग्रंथ में नाटककार-कहानीकार भारतेन्दु हरिशचंद्र से लेकर कमल चमोला तक शामिल है, लेकिन छत्तीसगढ़ में रहकर शानदार और जानदार कहानी लिखने वाले कहानीकारों को छोड़ दिया गया है.

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