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अब लव के पीछे लट्ठ लेकर पड़ गए हैं छत्तीसगढ़ के फिल्मकार

अब लव के पीछे लट्ठ लेकर पड़ गए हैं छत्तीसगढ़ के फिल्मकार

राजकुमार सोनी

अमीर परिवार से ताल्लुक रखने वाली हीरोइन, गरीब परिवार का हीरो, हीरोइन का तालाब में गिरना, हीरो का उसे बचाना, प्यार का इकरार, फिर दो प्यार करने वालों के बीच छिछोरे किस्म के खलनायक की इंट्री... बेमतलब की बारिश में लपड़-झपड़ और ढिशुंम- ढिशुंम...

हिंदी फिल्मों के ये सारे फार्मूले भले ही मुंबई में बासी पड़ गए हों, लेकिन छत्तीसगढ़ी सिनेमा में अब भी इनकी धूम बरकरार है. छत्तीसगढ़ में हर दूसरे पखवाड़े जेमिनी और एवीएम प्रोडक्शन की मद्रासी तासीर वाली फिल्मों का प्रदर्शन होता है. खेती-खार, आटो-ट्रैक्टर बेचकर और ज्यादा हुआ तो एक-दूसरे को टोपी पहनाकर फिल्म का निर्माण करने वाले फिल्मकार चोरी-चकारी से निर्मित फिल्म को ही अपने जीवन की उपलब्धि मान बैठे हैं और अपनी दुनिया में खुश है. सच तो यह है कि छत्तीसगढ़ का एक भी सुधि दर्शक चोरी-चकारी करने वाले फिल्मकार को गंभीरता से नहीं लेता है. सुधि दर्शक अगर कभी गलती से फिल्म देखने चला गया तो खुद पर हंसता है. खुद को गालियां देता है कि कहां फंस गया. कोसता है. अपने माथे को लहू-लुहान करने के लिए दीवार की तलाश करता है, लेकिन इससे आत्ममुग्ध निर्माता-निर्देशकों को फर्क नहीं पड़ता... उनका अपना संसार है. वे गदगद रहते हैं और निर्बाध गति से मरियल- सड़ियल सी कहानी में सेंध मारने के काम में लगे रहते हैं. अगर गलती से किसी ने उन्हें टोका तो वे लामबंद हो जाते हैं और नारे लगाते हैं-ज्यादा आलोचना करने की खुजली लगी है तो फिल्म बनाकर दिखाओ....?

राज्य निर्माण के बाद यहां लगभग साढ़े तीन-सौ के आसपास फिल्में रिलीज हो चुकी हैं, लेकिन सात-आठ फिल्मों को छोड़कर ज्यादातर फिल्में अपनी लागत तक वसूल नहीं पाई है. किसी निर्माता से पूछो कि भइया... ऐसा क्यों हो रहा है तो वह तुरन्त रटा-रटाया उत्तर देगा- देखिए... छत्तीसगढ़ में सिंगल थियेटर की कमी है. छबिगृह बंद हो रहे हैं. सरकार सब्सिडी नहीं देती, लेकिन कभी नहीं कहेगा कि भाई साहब... हम लोग मौलिक कहानी पर काम नहीं करते.घटिया फिल्में बनाते हैं... हद दर्जें केअलाल है और मेहनत से जी चुराते हैं.

वर्ष 2000 में जब राज्य का निर्माण हो रहा था तब मोर छंइया-भुइंया जैसी एक फिल्म आई थी. एक गांव की पारिवारिक कहानी पर बनी यह फिल्म इसलिए चल निकली क्योंकि जिस दौरान राज्य बना उस समय हर तरफ खुशी का माहौल था. प्रदेश के हर दूसरे व्यक्ति को यह लग रहा था कि अब उसे एक नई पहचान मिलने जा रही है. फिल्म में स्थानीयता की जबरदस्त रंगत और उमंग के वातावरण की वजह से लोग-बाग थियेटर तक खिंचे चले आए. इस फिल्म की सफलता के बाद पंद्रह से बीस लाख लगाकर करोड़ों रुपए कमाने का नुस्खा लोगों को इतना अधिक भा गया कि हर गली-कूचे में आड़े-तेड़े निर्माता-निर्देशकों की फौज दिखाई देने लगी. जिसे देखो वहीं फिल्म बनाने के काम-धंधे में लग गया था.हर निर्माता और निर्देशक अपनी फिल्म के नाम के आगे-पीछे मोर ( मेरा ) शब्द का इस्तेमाल करने लगा- मोर संग मितवा, मोर धरती मैया, मोर संग चलव, मोर गांव- मोर धरम, माटी मोर महतारी, मोर सपना के राजा, मोर गंवई, ए मोर बांटा, अब मोर पारी हे, मोर सैंया, सुंदर मोर छत्तीसगढ़, मोर जोड़ीदार.... ( और भी न जाने कितने मोर ??? )

जब लोग मोर से बोर गए तो प्रेम चंद्राकर फिल्मों में मया ( प्रेम ) की बहार लेकर आए. उनकी फिल्म मया देदे- मया लेले औसत कहानी के बावजूद हिट रही. उसके बाद  परदेसी के मया, मया देदे मयारु, मया ने भी ठीक-ठाक व्यवसाय किया. बस फिर क्या था... मया ब्रांड की फिल्मों की कतार लग गई. मया होगे रे, तोर मया के मारे, मया के बरखा, मया म फूल मया मा कांटे, तोर मया मा जादू हे... और भी न जाने कितनी मया... मगर बाद में किसी भी मया ने टिकट खिड़की पर पानी नहीं मांगा.

अब लव की बारी

वैसे तो छत्तीसगढ़ की हर फिल्मों में एक प्रेम कहानी चलती है, लेकिन पिछले कुछ समय से मया-फया का स्थान अंग्रेजी शब्द लव ने ले लिया है. कुछ समय पहले निर्माता मोहन सुंदरानी ने आईलवयू नाम की फिल्म बनाई थी. इस फिल्म ने टिकट खिड़की पर धमाल मचाया तो उन्होंने आईलवयू टू बना डाली.  बताते हैं कि उनकी दूसरी फिल्म ने पहले जैसा व्यवसाय नहीं किया, बावजूद इसके लागत निकल गई. उनकी इस सफलता के बाद लव ब्रांड फिल्मों का ट्रेंड चल निकला है. अभी छबिगृह में मुंबई के पाव बड़ा और मद्रास के मसाला दोसा का अजीबो-गरीब स्वाद देने वाली फिल्म लव दीवाना चल रही है. इस फिल्म के बाद यह भी प्रचारित हो रहा है कि छत्तीसगढ़ को उनका अपना सलमान खान मिल गया है. ( हकीकत यह है कि छत्तीसगढ़ अपना नायक कुमार गौरव या सलमान खान में नहीं बल्कि गांव के मजदूर और किसान में ही तलाश करता रहा है.)

बहरहाल किसान-मजदूर की समस्याओं से दूर शहर के चौराहें लव-लव से पटे हुए हैं. आने वाले दिनों में भी शायद ऐसा ही हो क्योंकि आ रही है फिल्म- सारी लव यू जान, लव लेटर, लव मैरिज, मोला लव होगें, तोर-मोर लव स्टोरी....... ( और भी न जाने कितने प्रकार के लव )

इतना ज्यादा लव हो गया है कि ट्रैफिक जाम हो गया है.

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