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भूपेश बघेल ने हंस झन पगली फंस जबे को देखकर की जोरदार टिप्पणी

भूपेश बघेल ने हंस झन पगली फंस जबे को देखकर की जोरदार टिप्पणी

रायपुर. छत्तीसगढ़ी सिनेमा के निर्माता और निर्देशकों के आग्रह पर मुख्यमंत्री भूपेश बघेल भले ही सतीश जैन की फिल्म हंस झन पगली फंस जबे को देखने के लिए थियेटर हॉल चले गए लेकिन टिव्हटर पर जो कुछ उन्होंने लिखा वह उनकी साफगोई को प्रदर्शित करता है. एक फिल्म बड़ी मेहनत के बाद बनती है इसलिए उन्होंने फिल्म बनाने वालों को निराश नहीं किया, और यह लिखा कि फिल्म साफ-सुथरी है और मनोरंजन प्रदान करती है, लेकिन छत्तीसगढ़ी फिल्म को लेकर एक बड़े दर्शक वर्ग की जो शिकायत है उसे ध्यान में रखकर वे यह कहने से भी नहीं चूके कि फिल्म में बॉलीवुड के फार्मूले का जरूरत से ज्यादा प्रभाव है. उन्होंने यह भी लिखा कि उम्मीद है आने वाले दिनों में छत्तीसगढ़ का सिनेमा अपनी अलग छवि गढ़ेगा. सरकार हर तरह का सहयोग करेगी.

अपना मोर्चा डॉट कॉम ने फिल्म की रीलिज के दिन ही यह लिखा था कि हंस झन पगली एक बंडल फिल्म है बावजूद इसके फिल्म के हिट होने के पूरे चांस है. इसमें कोई दो मत नहीं कि फिल्म में थोड़े विशेष तरह के दर्शक वर्ग को लुभाने का पूरा मसाला मौजूद है. सतीश जैन की फिल्म बॉबी, प्यार किया तो डरना क्या...मैंने प्यार किया, फूल और कांटे, सौदागर और मराठी की हिट फिल्म सैराट की खिचड़ी है. जो भी समझदार दर्शक फिल्म को देखकर थियेटर के बाहर निकलता है वह यह जरूर कहता है- यार... चोरी करना भी एक आर्ट है. ( जिसे मुख्यमंत्री ने प्रभाव कह दिया है. )

बहरहाल मुख्यमंत्री मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की टिव्हटर पर की गई टिप्पणी के गूढ़ अर्थ को यदि यहां के निर्माता-निर्देशक समझ सकें तो उन्हें इसका लाभ मिल सकता है. मुख्यमंत्री की टिप्पणी का साफ अर्थ यही है कि एक मनोरंजक फिल्म बना लेना अलग बात है. छत्तीसगढ़ की पहचान को प्रदर्शित करने वाली फिल्म बनाना अलग मसला है. ऐसी फिल्म बनाइए जो छत्तीसगढ़ की छवि को गढ़ने का काम करें. प्रभाव में बिगाड़ने का नहीं.  उम्मीद की जानी चाहिए कि यहां के निर्माता और निर्देशक आत्ममुग्धता से बाहर निकलकर अपनी समझ को जल्द ही विकसित कर लेंगे.

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