अंदरखाने की बात
छत्तीसगढ़ के समग्र शिक्षा राज्य परियोजना कार्यालय के दो विवादित अफसर लगा रहे हैं सरकार की छवि को बट्टा
छत्तीसगढ़ के समग्र शिक्षा राज्य परियोजना कार्यालय के दो विवादित अफसर लगा रहे हैं सरकार की छवि को बट्टा
छत्तीसगढ़ में पहली से लेकर 12 वीं कक्षा के बच्चों की शिक्षा और उनकी गुणवत्ता, शत-प्रतिशत दाखिले सहित अन्य कामकाज को मुख्य रुप से समग्र शिक्षा राज्य परियोजना कार्यालय की ओर से ही देखा जाता है, लेकिन इस कार्यालय में दो ऐसे लोग तैनात है जिनके नोट-पानी वाले सीधे प्रेम से राज्य परियोजना कार्यालय की जबरदस्त बदनामी हो रही है. एक तरह से सरकार की छवि को बट्टा लग रहा है.
समग्र शिक्षा में संयुक्त संचालक के पद पर एक ऐसे शख्स को तैनात कर दिया गया है जिसे सहायक शिक्षक से शिक्षक पद पर पदोन्नति के बाद पदस्थापना में हुए भ्रष्टाचार के मामले में कुछ समय पहले सस्पेंड कर दिया गया था. जबकि कार्यालय में तैनात दूसरे शख्स के बारे में यह विख्यात है कि वह पहले हर काम के लिए एक प्रतिशत की मांग किया करता था अब सीधे पांच प्रतिशत की मांग करने लगा है. बताते हैं कि दूसरे शख्स से समग्र शिक्षा में कार्यरत कर्मचारियों के अलावा खेल सामाग्री, कम्पयूटर, लायब्रेरियों के लिए किताबें, फर्नीचर सहित अन्य सामानों की सप्लाई करने वाले व्यापारिक लोग भी बुरी से त्रस्त है और इस मामले में उच्च स्तरीय शिकायत का मन बना चुके हैं.
बता दें कि पूर्ववर्ती सरकार में सहायक शिक्षकों को शिक्षक के पद पर पदोन्नत करने के नाम पर कई ज्वाइंट डायरेक्टरों जबरदस्त खेल देखने को मिला था. तब सहायक शिक्षकों को शिक्षक बनाकर प्रमोशन दे दिया गया था. प्रमोशन के बाद पोस्टिंग में किसी भी तरह की बंदिशें भी नहीं लगाई गई थीं. यानी ज्वाइंट डायरेक्टरों के आफीस से प्रमोशन पाने वाले शिक्षकों को पहले तो दूरस्थ इलाकों में पदस्थ कर दिया गया और शहरों के आसपास के स्कूलों की वैकेंसी को छिपा लिया गया. शिक्षकों ने जब दूरस्थ इलाकों के स्कूलों में ज्वाइन कर लिया तब उन्हें ज्वाइंट डायरेक्टरों के आफीस से इस बात के लिए फोन किया गया कि अगर वे दो लाख-ढाई लाख रुपए दे देते हैं तो उन्हें शहर के पास किसी स्कूल में ट्रांसफर कर दिया जाएगा. हैरत की बात है कि इस खेल में शिक्षकों से करोड़ों रुपए वसूल लिए गए थे.
बताना आवश्यक है कि इस मामले में पूर्व सरकार ने रायपुर के तत्कालीन संयुक्त संचालक के कुमार,सीएस ध्रुव, आरके वर्मा, डीएल ध्रुव, शैल सिन्हा, उषा किरण खलखो, संजय पुरी गोस्वामी, एसके गेंदेले सहित कुछ अन्य को निलंबित किया था.
निलंबित होने वालों में से एक अधिकारी समग्र शिक्षा में प्रतिनियुक्ति पर लौट आया है. बताते हैं कि इस अधिकारी ने कुछ समय पहले व्यावसायिक शिक्षा पाठ्यक्रम के अंर्तगत अनुबंधित एजेसियों को बगैर रिनीवल के भुगतान भी कर दिया था. बहरहाल पूर्व में निलंबित इस अधिकारी की कई मामलों में विभागीय जांच चल रही है बावजूद इसके प्रतिनियुक्ति पर वापसी को लेकर चर्चाओं का बाजार गर्म है. आखिरकार किस राजनीतिज्ञ और प्रशासनिक व्यक्ति के संरक्षण के चलते एक विवादित अधिकारी को मनमानी करने की छूट मिली हुई है.इसी तरह फायनेंस का कंट्रोलर बने बैठे शख्स को लेकर भी शिकायतों का पहाड़ खड़ा हो गया है. जानकार कहते हैं कि दोनों शख्स की आर्थिक गड़बड़ियों वाली भूमिका को विपक्ष के लोग एक्टिव हो गए हैं. कोई बड़ी बात नहीं कि विधानसभा के आगामी सत्र में दोनों तुर्रमों को लेकर सवालों की बौछार देखने को मिले.