संस्कृति

लाइफबॉय हैं जहां तदुरुस्ती है वहां....

लाइफबॉय हैं जहां तदुरुस्ती है वहां....

आज एक पोस्ट लाइफबॉय साबुन पर ( लेकिन इस पोस्ट के साथ हीे यह न समझा जाय कि मैंने मनियारी की कोई दुकान खोल ली है.) दरअसल यह सब बचपन की स्मृतियां हैं जिनसे गुजरना अच्छा लग रहा है.हो सकता है आप सबके भी कुछ अनुभव हो. अपने अनुभवों को यहां शेयर करना मत भूलिएगा. 

तो बात करते हैं लाइफबॉय साबुन की. जैसे ही फिल्म के परदे पर-लाइफबॉय है जहां तदुरुस्ती है वहां गीत बजता था...दिल खुशी से झूम उठता था. उन दिनों जो कोई भी लाइफबॉय से नहाता था उसके बारे में यह माना जाता था कि वह अमीर खानदान से है. लाइफबॉय से नहाने वाला अपना प्रचार भी खुद ही करता था. नहाने वाला सबको बताते रहता था-लाइफबॉय से नहाया हूं.... लाइफबॉय से नहाया हूं. जैसे लाइफबॉय से नहाकर कोई महान काम कर लिया हो.

हम पांच भाई थे तो पिताजी सभी भाइयों को हर पंद्रह दिन में आधा-आधा लाइफबॉय काटकर दे दिया करते थे. पता नहीं लाइफबॉय से तदुरुस्ती की रक्षा होती थीं या नहीं लेकिन हर भाई अपने हिस्से के लाइफबॉय की रक्षा अवश्य करता था. हर भाई एक-दूसरे की नजरों से अपने लाइफबॉय को छिपाकर रखता था. कोई जूतें के डिब्बे में छिपाता था तो कोई कनस्तर के नीचे. 

बड़े भइया नहाने के बाद एक घटिया से गमछे से बदन पौछते हुए छत पर चले जाते थे और वहां साबुन छिपाने के बाद सामने के ब्लाक में रहने वाली लड़की को देखकर जोर-जोर से गाते थे- तदुरुस्ती की रक्षा करता लाइफबॉय.लाइफबॉय है जहां तदुरुस्ती हैं वहां. उनके गाने को सुनकर कभी-कभी यह सोचने लगता था कि एक न एक दिन सामने वाली लड़की  हमारी छत पर दौड़ते हुए आएगी और भैया से गले लगकर बोलेंगी- मुझे तुम्हारे बदन की खूशबू परेशान कर देती है. मुझे नहीं मालूम था तुम भी लाइफबॉय से नहाते हो.     

मैं सोचता था दोनों अपने-अपने घर से भाग जाय और जहां कहीं भी रहे अपने-अपने लाइफबॉय से ही नहाए. अगर सचमुच ऐसा हो जाता तो मुझे नहाने के लिए भैया के हिस्से का भी लाइफबॉय मिल जाता. लेकिन दुर्भाग्य से ऐसा नहीं हो पाया. भैया के रगड़-रगड़कर नहाने के बाद भी लड़की कभी हमारी छत पर नहीं आई. लगभग दो-तीन साल तक छत पर गायन विधा का कठिन अम्यास के बाद भी भैया सफल नहीं हुए. एक रोज पता चला कि लड़की कहीं चली गई हैं.शायद कम उम्र उसकी शादी कर दी गई थीं. भैया ने गाना बंद कर दिया था-लाइफबॉय हैं जहां तदुरुस्ती हैं वहां. लेकिन यह भी सच था कि भैया कुछ दिनों तक तदुरुस्त नहीं रहे.एक रोज मैंने उन्हें छत पर नया गाना गाते हुए सुना- जो ओके से नहाए...कमल सा खिल जाय...ओके नहाने का बड़ा साबुन.सामने के ब्लाक पर एक नई लड़की आ चुकी थीं. मुझे लगा कि भैया की जिंदगी पटरी पर आ जाएगी, लेकिन लड़की जब भी छत पर जाती तो सिर से जुएं निकालकर उनका काम-तमाम करते रहती.

इस पोस्ट के चित्र में जो सज्जन नहा रहे हैं उनका नाम मजहर खान है. मजहर खान लंबे समय तक जीनत अमान के पति थे. इस चित्र को देखकर यह भी याद आया कि पति-पत्नी दोनों को नहाने में मास्टरी हासिल थीं. दोनों ने हमें यह समझाया है कि चाहे झरने में नहाओ या तालाब में....। नहाने से शरीर स्वस्थ्य रहता है. अगर आप अब तक नहाने नहीं गए है तो जाइए और जाकर नहा लीजिए. और हां साबुन जो भी लगाइए....मगर गाकर देखिए- लाइफबॉय हैं जहां तदुरुस्ती है वहां....अच्छा लगेगा आपको.

(  राजकुमार सोनी की फेसबुक वॉल से )

 

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