साहित्य

देश के नामचीन साहित्यकार विनोद कुमार शुक्ल को जनकवि नागार्जुन स्मृति सम्मान

देश के नामचीन साहित्यकार विनोद कुमार शुक्ल को जनकवि नागार्जुन स्मृति सम्मान

रायपुर.जनकवि नागार्जुन स्मारक निधि, नई दिल्ली के निर्णायक मण्डल की ओर से वर्ष 2020 का जनकवि नागार्जुन स्मृति सम्मान प्रख्यात कवि और लेखक विनोद कुमार शुक्ल को प्रदान किया गया. जनकवि नागार्जुन स्मारक निधि के अध्यक्ष प्रख्यात आलोचक मैनेजर पाण्डेय, सचिव जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय के प्राध्यापक और लेखक देवशंकर नवीन और उपाध्यक्ष वरिष्ठ कवि मदन कश्यप की ओर से उनके प्रतिनिधि के तौर पर आलोचक प्रोफेसर सियाराम शर्मा, कवि अंजन कुमार और युवा लेखक अम्बरीश त्रिपाठी ने रविवार को यहां विनोद कुमार शुक्ल के निवास पर जाकर उन्हें स्मारक निधि की ओर से शॉल, श्रीफल, स्मृति चिह्न एवं प्रशस्ति पत्र के साथ पन्द्रह हजार रुपए की सम्मान राशि का चेक भेंट किया.

ज्ञात हो जनकवि नागार्जुन स्मृति सम्मान की शुरुआत वर्ष 2017 में की गयी है. यह सम्मान अब तक वरिष्ठ कवि नरेश सक्सेना, राजेश जोशी, आलोक धन्वा को दिया जा चुका है. स्मारक निधि के अध्यक्ष, सचिव और उपाध्यक्ष के अलावा 2020 के आमंत्रित निर्णायक मण्डल के सदस्य महत्त्वपूर्ण कवि लीलाधर मंडलोई थे. यह सम्मान 2020 में नागार्जुन की पुण्य तिथि पर दिल्ली में एक आयोजित समारोह में विनोद कुमार शुक्ल को प्रदान किया जाना था, लेकिन कोरोना महामारी के चलते ऐसा नहीं हो पाया.

जनकवि नागार्जुन स्मारक निधि, नई दिल्ली के निर्णायक मण्डल के सदस्यों ने विनोद कुमार शुक्ल के रचनात्मक अवदान को रेखांकित करते हुए कहा है कि विनोद कुमार शुक्ल अनूठे शब्द परिष्कारक कवि हैं. उनका काव्य जगत अक्सर निरुद्वेग ढंग से जनसामान्य की पक्षधरता का गंभीर भाष्य रचता है. उनकी कविता में आस्वाद के सौन्दर्य का एक भिन्न लोक है, जो लोक शिक्षण के अपरिहार्य काम को क्रियारूप देता है. उनके खाते में लगभग जयहिन्द जैसी वर्गद्वन्द्व की कविता है, तो आधुनिक भावबोध की वह आदमी नया गरम कोट पहनकर चला गया विचार की तरह भी है. आत्म निर्वासन और विस्थापन के मार्मिक दृश्यों में उनकी कविताओं में आजादी का इतिहास बोलता सुनाई देता है. वे धरती की ही नहीं, अंतरिक्ष की सुरक्षा में फिक्रमन्द कवि हैं. इस सम्मान के लिए विनोद कुमार शुक्ल ने जनकवि नागार्जुन स्मारक निधि के प्रति आभार व्यक्त किया है. इस अवसर पर उनके परिवार के सदस्यों के साथ उनके पुत्र शाश्वत शुक्ल भी उपस्थित थे.  .

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