विशेष टिप्पणी

अर्णब पर हमला: कहानी में जबरदस्त झोल

अर्णब पर हमला: कहानी में जबरदस्त झोल

राजकुमार सोनी

संभव है कि अर्णब गोस्वामी पर हमला हुआ हो. यह भी संभव है कि हमला न हुआ हो. अर्णब गोस्वामी के बहुत सारे विचारों से असहमति के बावजूद इस टिप्पणी को लिखने वाला हिंसा का समर्थक नहीं है.

... तो खबर आई है कि रिपब्लिक टीवी के एडिटर इन चीफ एंकर अर्णब गोस्वामी बुधवार की रात हमले के शिकार हो गए हैं. खुद अर्णब गोस्वामी ने एक वीडियो जारी कर कहा है कि उन पर हमला करने की कोशिश की गई. पहले तो हमलावरों ने गाड़ी का शीशा तोड़ने की कोशिश की और जब नाकामयाब रहे तो गाड़ी में स्याही फेंक दी. हमलावरों की संख्या दो थी और वे मोटर साइकिल में थे. अर्णब गोस्वामी पर यह हमला रात सवा बारह बजे के आसपास गणपत राव कदम मार्ग पर हुआ. जब हमला हुआ तब गोस्वामी अपनी पत्नी के साथ बॉम्बे डायिंग कॉम्पलेक्स स्थित एक स्टूडियों से घर लौट रहे थे.

गोस्वामी पर हुए इस हमले के बाद सोशल मीडिया में कई तरह के सवाल उठ रहे हैं और नागरिक पत्रकारिता को महत्वपूर्ण मानने वाले लोग कुछ नए सवालों के साथ जांच-पड़ताल की मांग भी कर रहे हैं.

नागरिक सवाल उठा रहे हैं कि गोस्वामी साहब लॉकडाउन में देर रात अपनी पत्नी के साथ क्या कर रहे थे. बहुत संभव है कि पत्नी कामकाज में सहयोग करती हो. या साथ में कार्य करती हो. यह सवाल बेमानी सा है. फिर भी उठ रहा है. लोग कह रहे हैं कि गोस्वामी साहब जिस स्टूडियो से निकले वहां का सीसीटीवी फुटेज खंगालकर यह देखा जाना चाहिए कि बुधवार की रात उनकी पत्नी उनके दफ्तर आई भी थी या नहीं ? वे खुद स्टूडियो से कितने बजे निकले और गणपतराव मार्ग कितने बजे पहुंचे थे. नागरिक यह सवाल भी उठा रहे हैं कि गणपतराव मार्ग के आसपास के तमाम सीसीटीवी फुटेज से भी यह जानने में मदद मिल सकती है कि हमला हुआ भी था या नहीं ?

यह भी कहा जा रहा है कि विवादित होने की वजह से अर्णब गोस्वामी देश के बड़े पत्रकार बन गए हैं. जब वे बड़े पत्रकार है तो जाहिर सी बात है कि उन्हें तगड़ी सुरक्षा हासिल है. हालांकि यह सुरक्षा रवीश कुमार को मिलनी चाहिए जो सत्ता की बघिया उधेड़ते रहते हैं, लेकिन गोस्वामी साहब सुरक्षा में घूम रहे हैं जो सत्ता से सवाल ही नहीं करते. भला उन्हें सुरक्षा क्यों चाहिए ? खैर अर्णब गोस्वामी ने अपने वीडियो में यह बताया है कि घटना के दौरान उनके सुरक्षाकर्मी पीछे रह गए थे. अब सवाल यह है कि लॉकडाउन में जब चप्पे-चप्पे पर पुलिस मौजूद है तब हमला कैसे हो जाता है और गोस्वामी साहब ऐसी सुरक्षा लेकर चलते ही क्यों है जो पीछे रह जाती है. ? नागरिक यह भी सवाल उठा रहे हैं कि गोस्वामी साहब को बगैर पुलिसिया पड़ताल के यह कैसे पता चला कि जो लोग पकड़े गए हैं वे युवक कांग्रेस के हैं. 

वैसे हम सबने कई बार चुनाव के दौरान यह देखा है कि चुनाव जीतने के लिए नेताजी अपने ऊपर हमले करवा लेते हैं. सहानुभूति में कुछ वोट तो मिल ही जाते हैं. खैर... गोस्वामी जी चुनाव मैदान में नहीं है, लेकिन जिसके चैनल में काम करते हैं उसका मालिक भाजपा से अवश्य जुड़ा है. सोशल मीडिया में इस बात की भी चर्चा है कि जिसके ऊपर एफआईआर हो जाती है उसके सीने में अचानक दर्द उठता है और वह फिर अस्पताल में एडमिट हो जाता है. एफआईआर होते ही बौखलाहट में क्रिया-प्रतिक्रिया दोनों होती है. वह भी एक एफआईआर नहीं.... छत्तीसगढ़ में अकेले एक सौ एक लोगों ने एफआईआर दर्ज करवाई है. यह अपने आप में एक रिकार्ड है जो शायद कभी नहीं टूटने वाला.

अब तो तकनीक का जमाना है और तकनीक से पाइंट टू पाइंट यह जाना जा सकता है कि कब क्या हुआ. फेसबुक पर रजनीश जैन नाम के एक शख्स ने यह पोस्ट डाली है कि अर्णब गोस्वामी ने खुद के ऊपर किए गए हमले की जो पोस्ट डाली है उसका वीडियो बुधवार की रात को आठ बजकर 17 मिनट पर ही तैयार कर लिया गया था. यानी हमले से कुछ घंटे पहले ही वीडियो तैयार कर लिया गया था. ( मेटाडाटा रिपोर्ट ) यदि वीडियो पर कोई कांट-छांट नहीं की गई है तो साइबर सेल की जांच-पड़ताल के बाद यह आसानी से जाना जा सकता है कि वीडियो कब बना ? कांग्रेस के राष्ट्रीय स्तर पर डिजिटल कम्युनिकेशन के समन्वयक गौरव पांधी ने भी यह जानकारी दी गई है कि अर्णब का वीडियो कथित हमले से कई घंटा  पहले ही तैयार कर लिया गया था. यह सिर्फ अभी दावा है. इस दावे की अधिकृत सच्चाई आनी बाकी है. 

फेसबुक पर लोग यह सवाल उठा रहे हैं कि जिस गोस्वामी को वाय श्रेणी की सुरक्षा हासिल है उसे दो लोग जो किसी भी श्रेणी के नहीं है अचानक घेरकर हमला कर देते हैं. हमले की सबसे पहली खबर रिपब्लिक भारत में रात एक बजकर छह मिनट पर दिखाई जाती है मगर उससे ठीक एक मिनट पहले यानी एक बजकर पांच मिनट पर भाजपा के संबित पात्रा टिव्हट करके यह जानकारी देते हैं कि अर्णब गोस्वामी पर हमला हो गया है.

अपने वीडियो में अर्णब पूरी ताकत से यह कहते हुए भी सुनाई देते हैं कि पूरा भारत देश उनके साथ है. लोग यह भी कह रहे हैं कि अगर पूरा देश साथ है तो फिर विभिन्न राज्यों में लोग एफआईआर क्यों लिखवा रहे हैं. चलिए आप कह सकते हैं कि जिन लोगों ने एफआईआर की है वे सबके सब कांग्रेसी है. मगर सवाल यह भी है कि जब कांग्रेस  कानून-सम्मत तरीके से निपटने के लिए मामले दर्ज करवा रही है तो उसे हमले की जरूरत क्या है और क्यों है? लोग यह भी कह रहे हैं कि फर्जी हमले की कहानी इसलिए भी गढ़ी गई क्योंकि सोनिया गांधी ने प्रधानमंत्री को विज्ञापन बंद करने की सलाह दे डाली थीं. सोशल मीडिया में एक बड़ा सवाल यह भी तैर रहा है कि अर्णब का बचाव केवल और केवल भाजपाई ही क्यों कर रहे हैं. कोई बड़ा पत्रकार या लेखक क्यों नहीं कह रहा है कि अर्णब के साथ जो कुछ हुआ वह गलत है. इस हमले के साथ-साथ लोग राज ठाकरे का वह इंटरव्यूह भी शेयर कर रहे हैं जिसमें उनकी घिग्घी बंधी हुई नजर आती है. फेसबुक पर एक टिप्पणी यह भी चल रही है कि  सोनिया गांधी ने हमले में अपनी सास और फिर पति को खोया है. जो महिला अपने पति के हत्यारों को माफ कर सकती है क्या वह वैमनस्य और घृणा का व्यापार करने वाले अर्णब गोस्वामी से बदला लेगी ?

 

 

ये भी पढ़ें...