विशेष टिप्पणी

कमाने वाला कल फिर कमाएगा... मगर भूखा नहीं सोएगा !

कमाने वाला कल फिर कमाएगा... मगर भूखा नहीं सोएगा !

राजकुमार सोनी

इस तस्वीर में एक मजदूर महिला देश के प्रसिद्ध मजदूर नेता शंकर गुहा नियोगी को गौर से देख रही है. एक पूंजीवादी व्यवस्था कभी नहीं चाहती है कि लोग शंकर गुहा नियोगी को गौर से देखें और समझे, लेकिन आर्थिक असमानता दूर करने और पसीने की वाजिब कीमत हासिल करने के लिए असंगठित कामगारों का एक बड़ा आंदोलन खड़ा करने वाले शंकर गुहा नियोगी को उनके मजदूर उन्हें दिल से याद करते हैं. हर रोज याद करते हैं.

आप कह सकते हैं कि ये क्या बात हुई. मजदूर तो फैक्ट्रियों और कल-कारखानों के होते हैं. संस्थानों के होते हैं, लेकिन यह शायद सही नहीं है. नियोक्ता और मजदूर का संबंध तो काम लेने और उसका गैर वाजिब भुगतान देने तक सिमटा होता है, लेकिन जो मजदूर विचार के साथ होते हैं वे हर तरह के सुख-दुःख में अपने साथियों का ख्याल रखते हैं. वे मोदी के कहने पर थाली नहीं पीटते ... बल्कि तब थाली पीटते हैं जब किसी झोपड़ी में किलकारी गूंजती है.

कई सालों से छत्तीसगढ़ मुक्ति मोर्चा के साथियों को मजदूर बस्तियों में काम करते हुए देख रहा हूं. कुछ समय से जनमुक्ति मोर्चा के जाबांज साथियों के कामकाज की जानकारी भी मिल रही है. दोनों संगठनों से जुड़े हुए साथी मजदूर मानते हैं – नियोगी एक व्यक्ति नहीं विचारधारा है. नियोगी विचारधारा कैसे हैं इस पर कभी लंबी बातचीत की जा सकती है. अभी संक्षेप में सिर्फ इतना कह सकता हूं कि नियोगी ज्योति बसु की तरह पाइप पीने वाले कामरेड़ नहीं थे. वे किसानों की तकलीफों को जानने-समझने के लिए कभी खेत में किसान बनकर काम करते थे तो मजदूर की पीड़ा से वाकिफ होने के लिए खदान में गढ्ढा खोदा करते थे. उन्होंने प्यार भी किया और शादी भी की तो एक मजदूर महिला से. ( ऊपर तस्वीर में जो महिला नज़र आ रही है वह शंकर गुहा नियोगी की पत्नी आशा गुहा नियोगी है. आशा नियोगी भी उनके साथ मेहनत-मजूरी करती थीं. उनके तीन बच्चे हैं जिनका नाम क्रांति- मुक्ति और जीत है. )

लॉकडाउन के भीषण संकट में आज हम बात करते हैं छत्तीसगढ़ और जनमुक्ति मोर्चा से जुड़े साथियों के कामकाज के बारे में. गत कई दिनों से छत्तीसगढ़ मुक्ति मोर्चा के साथी कलादास डहरिया, जीत डहरिया, अजय टीजी, पुष्पा, मनोज कोसरे, लखन साहू, जय प्रकाश नायर, सोनू बेगम, वेलांगनी, मोतम भारती, खेमिन साहू, नेमन साहू और अरीम शिवहरे उन झुग्गी बस्तियों में राहत पहुंचाने का काम कर रहे हैं जहां कोई जाने की जहमत नहीं उठाता. मजदूरों से दिन-रात कोल्हू के बैल की तरह काम लेने वाले उद्योगपति यह भूल चुके हैं उनकी फैक्ट्रियों से सोना निकालकर देने मजदूरों का भी कोई जीवन है? वे कहां है... किधर रहते हैं. कैसे रहते हैं... कैसे जी रहे हैं... यह जानने की फुरसत किसी को नहीं है.

बहरहाल छत्तीसगढ़ मुक्ति मोर्चा के साथी हर उस मजदूर के घर में दस्तक दे रहे हैं जिनके यहां राशन नहीं है. भिलाई पावर हाउस से थोड़ा आगे छावनी बस्ती, कुम्हारी, सुपेला में बाहर के कई ऐसे श्रमिक मौजूद हैं जो आसपास की फैक्ट्रियों में काम करते हैं. किसी को पगार नहीं मिली है तो कोई घर से इतनी दूर है कि राशनकार्ड मौजूद नहीं है. कुछ मजदूर पार्षदों के पास गए थे तो पार्षदों ने भगा दिया. मोर्चा के साथी सभी जरूरतमंद साथियों को चावल-दाल, नमक-तेल, हल्दी-मिर्च,आलू-प्याज और सोयाबीन बड़ी मुहैय्या करवा रहे हैं. यही काम दल्ली राजहरा में जनमुक्ति मोर्चा के प्रमुख जीतगुहा नियोगी ( शंकर गुहा नियोगी के पुत्र ), बसंत रावटे, कुलदीप नोन्हारे, ईश्वर निर्मलकर, यादराम, जितेंद्र साहू, सुधीर यादव, मोहम्मद मेराज, शुभम वानखेड़े कर रहे हैं. दल्ली राजहरा में एक पत्रकार झुनमुन गुप्ता की सक्रियता भी जोरदार है. पत्रकार परिवार के सभी सदस्य अल-सुबह से गरीबों के लिए भोजन तैयार करने में जुट जाते हैं. छत्तीसगढ़ से एक झुनमुन गुप्ता और उसके परिवार को छोड़कर अभी और किसी पत्रकार के बारे में सकारात्मक जानकारी नहीं मिल पाई है. छत्तीसगढ़ के बहुत से पत्रकार इन दिनों तबलीगी-तबलीगी करने में व्यस्त हैं. जब वहां से फुरसत मिल जाएगी तो शायद वे यह बता पाएंगे कि उन्होंने किस गरीब को राहत पहुंचाई.

 

छत्तीसगढ़ मुक्ति मोर्चा और जनमुक्ति मोर्चा के साथियों को खूब सारी बधाई और सलाम भेजता हूं.

कुछ नंबर यहां दे रहा हूं. इन साथियों की हौसला-आफजाई करने का भी निवेदन है-

कलादास- 9399117681  

जय प्रकाश नायर- 9329025734

जीत गुहा नियोगी- 9977449745

ईश्वर निर्मलकर- 9109392409

 

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