विशेष टिप्पणी

कुछ इस तरह से भी तलाशा जा रहा है पुनीत गुप्ता को

कुछ इस तरह से भी तलाशा जा रहा है पुनीत गुप्ता को

मानुष बली  नहीं होत है, समय होत बलवान

भिल्लन लूटी गोपिका वही अर्जुन वही बान

रायपुर. इस कहावत को हम सब बचपन से ही सुनते आ रहे हैं. इसका सीधा सा अर्थ यहीं है कि जब मनुष्य का अच्छा समय होता है तो उसे खुद को बलवान समझने की भूल नहीं करनी चाहिए. क्योंकि जब वक्त खराब होता है तो अर्जुन जैसे धुंरधर का धनुष भी पोंगली बनकर रह जाता है.अगर छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्यमंत्री डाक्टर रमन सिंह इस कहावत का अर्थ समझ लेते तो हाल-फिलहाल अपमान की जिस तंग गली से वे गुजर रहे हैं उस तंग गली से गुजरने की उन्हें जहमत नहीं उठानी पड़ती. लेकिन शायद... राजनीति में यह धारणा भी कायम है कि क्या सम्मान और कैसा अपमान....।  मगर ऐसा नहीं है. अपनी इमेज को चमकाने के लिए करोड़ों रुपए फूंकने वाले रमन सिंह भी शायद भली-भांति जानते होंगे कि राजनीति गंदी तो होती है, लेकिन उसमें चलता तो वहीं है जिसे जनता साफ-सुथरा मानती है. राजनीतिक विश्लेषक मानते हैं कि पन्द्रह साल तक डाक्टर रमन सिंह की इमेज चाउंर वाले बाबा यानी दानदाता की बनी हुई थीं... अगर पूर्व मुख्यमंत्री संविदा में पदस्थ अफसर अमन सिंह और विवादास्पद आईपीएस मुकेश गुप्ता के चक्रव्यूह में नहीं फंसते तो शायद चौथीं बार भी जनता उन पर अपना बेशुमार प्यार लुटाती.अब आलम यह है कि उनके और उनके परिजनों के खिलाफ छोटे-बड़े हर शख्स ने मोर्चा खोल रखा है. ( यहां तक उनकी अपनी पार्टी के लोग भी पीछे नहीं है.)

हाईकोर्ट से राहत पाने के बाद भी मंगलवार को पुनीत गुप्ता अपना बयान दर्ज करवाने के लिए गोलबाजार थाने नहीं पहुंचे. इस बीच एक ऑडियो वायरल हुआ जिसमें यह कहा गया था कि घोटाले के आरोपी पुनीत गुप्ता क्या बीमार पड़ गए हैं. आखिर वे पुलिस को बयान देने से डर क्यों रहे हैं. इस तस्वीर को गौर से देखिए. तस्वीर में पुनीत गुप्ता को मोस्ट वांटेड बताया गया है और पता बताने वाले को 51 रुपए ( 51 हजार नहीं ) ईनाम देने की घोषणा की गई है.

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