विशेष टिप्पणी

यूपी के लाइव शो में जूता खाते-खाते बचे अमिश देवगन उर्फ हिंदी के अर्णब गोस्वामी

यूपी के लाइव शो में जूता खाते-खाते बचे अमिश देवगन उर्फ हिंदी के अर्णब गोस्वामी

अमिश देवगन...

पहली बार नाम सुनकर यहीं लगा था कि यह देवगन फिल्म स्टार अजय देवगन का कोई भाई-वाई होगा, लेकिन कांग्रेस के एक लीडर राजीव त्यागी ने जब उन्हें खुलेआम टीवी पर भड़वा और दल्ला कहा तो पता चला कि ये वाले देवगन साहब हिंदी के टॉमी मतलब सस्ते किस्म के अर्णब गोस्वामी है.

तो भाइयों...खबर यह है कि हिंदी के इस गोस्वामी को कल जनता ने बुरी तरह लताड़ा और फटकारा है. हिंदी के सस्ते गोस्वामी साहब 2 मार्च को बनारस हिंदू विश्वविद्यालय में लाइव शो कर रहे थे. सब जानते हैं कि बनारस हिंदू विश्वविद्यालय की स्थापना महामना पंडित मदन मोहन मालवीय ने की थीं. इस विश्वविद्यालय में लंबी-लंबी फेंकने वाले कभी नहीं चल पाए हैं. यूपी चुनाव में कव्हरेज के लिए पहुंचे देवगन साहब भी लंबी-लंबी फेंक रहे थे, लेकिन उनकी फेंकम-फाकी ज्यादा चल नहीं पाई. कार्यक्रम के दौरान मौजूद दर्शकों ने उन्हें जमकर लताड़ा. बताते हैं कि अगर अमिश देवगन अपना शो बंद नहीं करते तो जनता की तरफ से जूता चल जाता. उन्हें जैसे-तैसे जान बचाकर भागना पड़ा.

अमिश देवगन को अंधभक्त एक राष्ट्रवादी पत्रकार के  तौर पर देखते-समझते हैं, लेकिन निजी तौर पर मैं इस महान पत्रकार को लोकतंत्र का मर्सिया पढ़ने वाले शख्स के तौर पर ही जानता हूं. इनके कार्यक्रम आर-पार में शामिल अगर कोई शख्स सत्ता से सवाल करता है तो जवाब अमिश देवगन की तरफ से ही सुनने को मिलता है. एक मर्तबा चैनल पर डिबेट के दौरान समाजवादी पार्टी के प्रवक्ता राजकुमार भाटी ने इनको गोदी मीडिया का सरताज कह दिया था. भाटी का कहना था कि एंकर के तौर पर अमिश ने चाटुकारिता की सारी सीमा पार कर ली है. भाटी ने अमिश को गोदी मीडिया के पद्मश्री अवार्ड से सम्मानित करने की सिफारिश भी की थीं.

अमिश देवगन न्यूज़ 18 के प्रबंध संपादक है. एक बार एक खबर में उन्होंने यह झूठा दावा किया था कि कुर्ला, मुम्बई में मस्जिद के बाहर नमाज़ के बाद पुलिस के साथ बदसुलूकी की गई. असल में जो झड़प हुई थी उसमें किसी भी मस्जिद और किसी भी नमाज़ का कोई सन्दर्भ ही नहीं था. बाद में इस खबर के लिए अमिश को सफाई देनी पड़ी.

अपने शो आर-पार में उन्होंने पूजा स्थल के विशेष प्रावधान अधिनियम के संबंध में जनहित याचिका पर बहस की मेजबानी करते हुए ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती को हमलावर और लुटेरा निरुपित कर दिया था. उनके इस कृत्य के बाद देशभर में उनके खिलाफ शिकायतें हुई और एफआईआर तक दर्ज की गई.

बहरहाल नौकरी-चाकरी कर रहे पत्रकार शायद इस बात को समझने के लिए तैयार नहीं होंगे कि भगवा बिग्रेड और गोदी में बैठी हुई मीडिया के खिलाफ जनता का गुस्सा फूट रहा है, लेकिन सच्चाई यही है कि जनता भाजपाइयों और उनकी तारीफ में कसीदें पढ़ने वाले मीडियाकर्मियों को दौड़ा-दौड़ाकर पीट रही है. किसान आंदोलन के दौरान हम  सबने मीडियाकर्मियों की कुत्तागति देखी हैं.कल यूपी में बीएचयू से लाइव शो में भी यहीं हुआ है.

लोगों ने देखा कि डिबेट के दौरान एंकर युवक के पास जाता है और उससे अपना सवाल करने को कहता है. युवक एंकर को ईमानदार पत्रकार कहने लगता हैं. इतना सुनते ही अमिश देवगन आगे बढ़ जाते हैं. जैसे ही अमिश देवगन आगे बढ़ते हैं कार्यक्रम में मौजूद अन्य लोग हंगामा करने लगते हैं. जमकर नारेबाजी भी होती है.

बहरहाल इस कार्यक्रम के बंद होने के बाद लोग तरह-तरह की प्रतिक्रिया दे रहे हैं. पूर्व आईएएस सूर्य प्रताप सिंह ने इस वीडियो को शेयर करते हुए तंज कसा है. पुनीत कुमार सिंह नाम के एक टि्वटर हैंडल से एंकर पर चुटकी लेते हुए लिखा है कि जैसे ही ईमानदार बोला अमिश देवगन का माइक डोला. सूरज नाम के एक ट्विटर यूजर ने लिखा है- अगर थोड़ी देर और माइक लड़के के पास रहता तो लाइव में फजीहत हो जाती.

राजा पाल नाम के यूजर ने कमेंट किया – बीएचयू के नौजवान बहुत गुस्से में दिख रहे हैं? सात मार्च को अगर यह गुस्सा वोट के जरिए ईवीएम पर निकल गया तो ? विजय नाम के ट्विटर यूजर लिखते हैं कि कुछ तो मर्यादा रखनी चाहिए. नीरज नाम के ट्विटर यूजर कमेंट करते हैं कि बनारस के युवाओं ने तय किया है कि अब डिबेट हिंदू – मुसलमान, मंदिर – मस्जिद के बजाय रोजगार, शिक्षा और स्वास्थ पर होगी. जब इन मुद्दों पर डिबेट होगी तो नेताओं को भागना ही पड़ेगा.

राजकुमार सोनी 

 

 

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