विशेष टिप्पणी

रतलामी सेव...आपकी लैग्वेज बहुत ही खराब है भाई साहब...जरा इसको सुधारिए वर्ना जेल हो जाएगी ?
जो लोग छत्तीसगढ़ के सामाजिक ताने-बाने से वाकिफ हैं वे जानते हैं कि यहां हर तरह की कला-संस्कृति और खानपान का जबरदस्त सम्मान किया जाता है. यहां के लोग रतलामी सेव को भी बड़े चाव से खाते रहे हैं, लेकिन हाल के दिनों में जब रतलामी सेव ने कुंठा से भरे हुए अपने तीखेपन को दिखाया है तब से इस सेव के प्रति लोगों में वितृष्णा पैदा हो गई है.
आप सोच रहे होंगे कि ये रतलामी सेव है कौन ? माजरा क्या है ? हमें भी अभी थोड़ी देर पहले ही सोशल मीडिया में चस्पा हुई एक पोस्ट के जरिए पता चला कि छत्तीसगढ़ के एक भाजपा नेता और पूर्व मंत्री को रतलामी सेव कहा जाता है. यह वहीं नेता है जिसने दो दिन पहले राहुल गांधी के लिए अपशब्दों का प्रयोग किया था और वीडियो में मां-बहन की गंदी-गंदी गालियां देते हुए खुद को सूरमा साबित करने की कवायद करता हुआ नजर आया था.
नेताजी के मुंह से फूल तो झर गए लेकिन इन फूलों के झरने के साथ ही छत्तीसगढ़ का आम नागरिक बुरी तरह आहत हो गया. ऐसा भी नहीं है कि छत्तीसगढ़ के लोग गाली-गलौच नहीं करते, लेकिन जो मूल रुप से छत्तीसगढ़ी हैं अगर कभी आप उनकी गालियों को सुनेंगे तो आनंद से भर उठेंगे. मूल छत्तीसगढ़िया की गाली में आनंद और प्रेम का भाव हमेशा विद्यमान रहता है.
इसमें कोई दो मत नहीं है कि छत्तीसगढ़ के लोग बेहद सीधे-सादे और सरल हैं, लेकिन वे इतने भी सरल नहीं होते हैं कि प्रेम और नफरत की भाषा नहीं समझते. जो लोग भी रतलामी सेव को जानते हैं वे इस बात को जानते हैं कि उनकी पूरी शारीरिक भाषा में अकड़ है. उनको देखकर ही लगता है कि उन्होंने अपने शरीर के हर हिस्से को किसी नट-बोल्ट से कस रखा है. लेकिन यह भी एक बड़ी सच्चाई है कि जब ऐंठन की चूड़ी आवश्यकता से अधिक टाइट हो जाती है तो छत्तीसगढ़िया उसे अपने ढंग की पाना-पेन्चिस से ठीक कर देता है.
यहां के लोगों को आप मोहब्बत के जरिए ही अपना बना सकते हैं. अगर आप छतीसगढ़ियों से नफरत की भाषा में बात करेंगे तो फिर वह आपको कब घोलकर पी जाएगा...पता भी नहीं चलेगा. कल एक छत्तीसगढ़ी ने फेसबुक पर लिखा- रतलामी सेव को जिस पुलिस वाले ने कूटा है उसको गाड़ा-गाड़ा बधाई. हम पुलिस वाले भाई से निवेदन करते हैं कि सेव को गाठिया बनते तक कूटा जाय ताकि जब हम लोग दारू पीने बैठे तो गाठिया भी खा सकें.
जो हालात बन रहे हैं उसे देखकर लग रहा है कि दो-चार दिनों के बाद रतलामी सेव की मुसीबत बढ़ सकती है. रतलामी सेव और बारीक सेव ( मतलब समर्थकों ) ने जिन दो युवकों को पीटा है उनमें से एक सतनामी समाज से संबंधित है जबकि दूसरा आदिवासी वर्ग से है. दोनों युवकों ने पुलिस के पास अपनी शिकायत दे दी है. युवकों का कहना है कि नेताजी के खिलाफ अनुसूचित जाति एवं जनजाति अत्याचार निरोधक अधिनियम के तहत भी मामला पंजीबद्ध कर कार्रवाई की जाय. कुछ पुलिस वालों ने भी नेताजी के खिलाफ रिपोर्ट लिखवाई हैं.
इधर मुसीबत को बढ़ता देखकर पार्टी के जिम्मेदार और समझदार नेताओं ने किनारा करना प्रारंभ कर दिया है. पार्टी के एक बड़े नेता की राय है कि हम धरना-प्रदर्शन करने की रणनीति तो बना रहे हैं, लेकिन नेताजी ने जिस ढंग से अपशब्दों का प्रयोग किया हैं उसे हम जस्टिफाई नहीं कर पा रहे हैं. हर तरफ से लोग यहीं पूछ रहे हैं कि जो गाली दी गई है क्या वह जायज़ है ? संस्कारी पार्टी में नेटफिलिक्स के पाकेट एडिशन को आखिरकार किसका संरक्षण हासिल हैं ?
जो भी हो रतलामी सेव जी...आपकी लैग्वेज बहुते ही खराब है भाई साहब...जरा सुधारिए इसको...वर्ना किसी दिन आपको जेल हो जाएगी. अगर आपको जेल हो गई तो फिर... कालीचरण महाराज और जीपी सिंह की बैरक के बाजू वाली बैरक में रहना पड़ेगा. वैसे बहुत से लोग इस बात की दुआ मांग रहे हैं कि ऐसा हो जाय. जो लोग दुआ मांग रहे हैं उसमें आपकी पार्टी के लोग ही सबसे ज्यादा शामिल हैं. आपकी जुब़ान से आहत छत्तीसगढ़ की बड़ी आबादी तो खुश होगी ही. बस...आपको और आपकी पार्टी के दो-चार-दस लोगों को ही थोड़ा खराब लग सकता है. ओपी गुप्ता को तो जानते हैं न आप ? अरे भाई साहब... वहीं ओपी गुप्ता जो दुष्कर्म के आरोप में जेल में बंद थे अब जाकर जैसे-तैसे जमानत पर बाहर आ पाए हैं. गुप्ता जी लगभग दो साल तक जेल के भीतर सफेद छत को ताकते हुए-नीला आसमां खो गया जैसा मार्मिक गीत गाया करते थे. आपके भी आसार गीत गाने लायक बनते हुए दिखाई दे रहे हैं.
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राजकुमार सोनी