विशेष टिप्पणी

मौत का गढ़ बनाम छत्तीसगढ़

मौत का गढ़... छत्तीसगढ़

मैं आपको डरा नहीं रहा हूं... हकीकत यही है कि छत्तीसगढ़... मौत का गढ़ बन गया है। अगर आप बस्तर में बसने की सोच रहे हैं तो आपको कभी भी फर्जी मुठभेड़ में माओवादी बताकर मारा जा सकता है। अगर माओवादी की मौत नहीं मरे तो माओवादी आपको पुलिस का मुखबिर या सीधे पुलिसवाला समझकर मौत के घाट उतार सकते हैं। अगर आप जशपुर में गुजर- बसर करने के इच्छुक हैं तो नागलोक का सांप आपको डस सकता है। अंबिकापुर/ रायगढ़ और धर्मजयगढ़ में जाएंगे तो लगेगा अब-तब में हाथी कुचल देगा। महासमुन्द में भालू आपका पीछा करेगा। भिलाई- दुर्ग, रायगढ़, कोरबा और रायपुर का औद्योगिक प्रदूषण आपका दम घोंट सकता है। अगर आप राजधानी रायपुर में रहना चाहते हैं तो आवारा कुत्तों से सावधान रहना होगा। आवारा कुत्तें कभी भी जहन्नुम का रास्ता दिखा सकते हैं। कुत्तों से बच भी गए तो शराब पीने के बाद आपकी मौत तय है। शराब की बिक्री के मामले में छत्तीसगढ़ ने एक रिकार्ड कायम किया है और अब तो यहां मिलने वाली हर ब्रांड नकली ही मानी जाती है। अगर आप शराब नहीं पीते तो भी यह मत सोचिए कि यहां की व्यवस्था आपको जिंदा छोड़ देगी। हो सकता है जिस गाड़ी ने आपको दुर्घटनाग्रस्त करने के बाद अस्पताल पहुंचाया हो उसका चालक पियक्कड़ हो। छत्तीसगढ़ में वाहन दुर्घटना के प्रकरणों में भी खासी वृद्धि देखने को मिल रही है। यदि जैसे-तैसे आप अस्पताल पहुंच भी गए तो यह अनिवार्य नहीं है कि स्वस्थ होकर जल्द से जल्द घर पहुंच जाएंगे। प्रदेश के हर प्राइवेट अस्पताल की फीस अनाप-शनाप है। इलाज के बाद फीस देखकर भी मौत हो सकती है। यह भी हो सकता है कि आपका मुर्दा शरीर अस्पताल में तब तक बंधक रहे जब तक डाक्टर को पूरी फीस न मिल जाए।

अगर आप दो-चार एकड़ जमीन लेकर खेती करने के बारे में विचार कर रहे हैं तो यह विचार अभी और इसी वक्त त्याग दीजिए। किसान बनकर क्या कर लीजिएगा। देश के अन्य हिस्सों की तरह यहां भी किसान बड़ी संख्या में आत्महत्या कर रहे हैं। अगर आप आदिवासी है और सोच रहे हैं कि कोई आपकी जमीन पर कब्जा नहीं करेगा तो यह भ्रम दिमाग से निकाल दीजिए। यहां आदिवासियों की जमीन हड़पना एक सामान्य व्यवहार माना जाता है। अब तो इसे नियम-कानून मान लिया गया है। आपको बताना ठीक होगा कि बस्तर में टाटा के स्थापित होने वाले प्लांट के लिए सरकार ने आदिवासियों से जमीन अधिग्रहीत की थी। वहां प्लांट लग नहीं पाया और आदिवासियों को अपनी जमीन से हाथ धोना पड़ा। केवल बस्तर ही नहीं छत्तीसगढ़ में ऐसे कई इलाके हैं जहां जमीनों पर सरकार के कब्जे के बाद आदिवासियों ने मौत को गले लगा लिया है। अगर आप किसी गरीब आदिवासी बेटी के पिता है तो मानव तस्कर आपकी बेटी का अपहरण कर सकते हैं और आपको इस अपराधबोध में आत्महत्या करने के लिए मजबूर होना पड़ सकता है कि आपने गरीब बेटी का बाप बनकर छत्तीसगढ़ में जन्म क्यों लिया?

अगर आपका विरोध इस बात को लेकर हैं कि आपके गांव में बार-बार बिजली क्यों गुल हो जाती हैं तो आपको थाने लाकर पीटा जा सकता है। जब वर्दीधारियों की पिटाई से आपकी मौत हो जाएगी तो आपको लॉक अप में फांसी के फंदे पर झुलाया भी जा सकता है। आपने सीडी बनाई है या नहीं बनाई है इस बात से फर्क नहीं पड़ता। आपने अगर बलराज साहनी की किसी पुरानी फिल्म की सीडी भी अपने पास रखी है तो आपको फांसी के फंदे पर लटकना पड़ सकता है।

आपको यह तो पता ही होगा कि छत्तीसगढ़ में स्वास्थ्य सुविधाओं का बुरा हाल है। बस्तर में आज भी कई जगहों पर एम्बुलेंस नहीं पहुंच पाती है। सरकार खुद मानती हैं कि प्रदेश को जितने डाक्टर चाहिए उतने उनके पास नहीं है। अगर आप खांसी- कुशी और बीमारी से बच भी गए तो सरकार में बैठे नुमाइंदे और दलाल आपको किसी न किसी झूठे मामले में फंसा देंगे। हो सकता है कि आप जेल में सड़ जाए या फिर केस लड़ते- लड़ते स्वर्ग सिधार जाए। अगर आप सामाजिक कार्यकर्ता हैं और आपका विरोध इस बात को लेकर हैं कि बेगुनाह लोगों की मौत क्यों हो रही है तो भी आपकी मौत सुनिश्चित है। पुण्य- सुन्य-प्रसुण बाजपेयी तो अभी कुछ दिन पहले किसी चैनल से निकाले गए हैं। छत्तीसगढ़ में यह सिलसिला काफी सालों से चल रहा है। कई पत्रकार मौत के घाट उतारे जा चुके हैं और सैकड़ों पत्रकार झूठे मुकदमे झेलने को मजबूर हैं। यहां असहमति का मतलब अपराधी हो जाना है और असहमतियों के अपराधियों की सजा है- मौत... और केवल मौत। छत्तीसगढ़ में अगर आप किसी भी पत्रकार से पूछोगे कि कैसा चल रहा है तो वह बुझे मन से कहेगा- जैसा सरकार चलाना चाहती है वैसा चल रहा है।

अगर आप छत्तीसगढ़ के हैं और अभी आपकी सांसे चल रही हैं तो जिस भगवान को भी मानते हैं उसका शुक्रिया अदा करिए। अगर आप नास्तिक है तो भी कोई बात नहीं...।

छत्तीसगढ़ में आपके जिंदा रहने को लेकर 
थोड़े समय के लिए ही सही मैं यह मान लेता हूं कि किस्मत नाम की भी कोई चीज होती है।

अब...मुस्कुराइए भी 
क्योंकि आप छत्तीसगढ़ में हैं और फिलहाल जिंदा है।

इतनी बर्बरता के बावजूद भी अगर भक्त गण 
सबसे बढि़या- छत्तीसगढ़ कहते हुए कूदना 
चाहते हैं तो उनका क्या किया जा सकता है।

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अक्षय-रजनीकांत की फिल्म ने की बंपर कमाई, 4 दिन में कमाए 364 करोड़ से ज्यादा

रजनीकांत (Rajinikanth) और अक्षय कुमार (Akshay Kumar) की फिल्म '2.0' ने रिलीज के चौथे दिन ही बंपर कमाई कर ली है। पहले दिन ही 100 करोड़ के क्लब में शामिल होने वाली इस फिल्म महज चार दिनों के अंदर ही दुनियाभर में 364 करोड़ से ज्यादा की कमाई कर ली है। इस बात की जानकारी ट्रेड एनालिस्ट रमेश बाला ने अपने ट्विटर अकाउंट के जरिए दी है। इसके साथ ही इस फिल्म ने कई हॉलीवुड फिल्मों को पीछे छोड़ दिया है।

इस फिल्म ने 'फैंटास्टिक बीस्ट', 'राल्फ ब्रेक्स द इन्टरनेट', 'द ग्रिंच' और 'वेनम' जैसी सुपरडुपर हिट हॉलीवुड मूवीज को भी पीछे छोड़ दिया है और कमाई के मामले में नंबर वन बन गई है। जो अपने आप में एक रिकॉर्ड है। इससे पहले किसी इंडियन फिल्म ने ऐसा कमाल नहीं दिखाया है। 

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इस महिला कॉन्स्टेबल को लोग कर रहे सलाम, 6 माह की बेटी के साथ थाने में करती हैं काम

नई दिल्ली: कोई भी पुलिस स्टेशन अक्सर दो ही लोगों का ठिकाना होता है. पुलिसकर्मी या फिर अपराधी. मगर थाने में जब एक नन्ही सी पड़ी पुलिस स्टेशन की डेस्क पर सोती, खेलती, हंसती-उछलती और अटखेलियां लेती दिख जाए तो यह कोई आम बात नहीं होती. दरअसल, झांसी में महिला पुलिस कॉन्स्टेबल अर्चना जयंत हर दिन की तरह सामान्य रूप से अपनी ड्यूटी पर थीं. मगर जैसे ही उनकी तस्वीर सोशल मीडिया पर आई, उनके प्रशंसकों की बाढ़ सी आ गई. क्योंकि जिस रूप में वह थाने में अपनी ड्यूटी निभाती दिखीं, वह कोई सामान्य बात नहीं. रविवार को ट्विटर पर एक तस्वीर आई, जिसमें अर्चना अपनी बच्ची के साथ दिखीं. थाने में वह एक ही वक्त में अपनी बच्ची की देखभाल भी कर रही हैं और अपनी ड्यूटी भी ईमानदारी से निभा रही हैं. 


दरअसल, अर्चना झांसी के कोतवाली में पोस्टेड हैं. वह अपनी बच्ची को एक टेबल पर अपने पास रखती हैं ताकि उसकी देखभाल भी कर सके और वह अपना काम भी करती हैं. इस तस्वीर के वायरल होने के बाद सोशल मीडिया पर उनकी प्रशंसा हुई और लोगों ने उनके बॉस से बेहतर सुविधा उपलब्ध कराने की मांग की है. 

उत्तर प्रदेश के सीनियर पुलिस अधिकारी राहुल श्रीवास्तव ने तस्वीर को शेयर कर ट्वीट किया- मिलिए, झांसी में कोतवाली में तैनात मदरकॉप अर्चना से, जो मां के साथ-साथ विभाग का काम एक साथ निभा रही हैं. उन्हें मेरा सलाम.
स्थानीय मीडिया रिपोर्ट की मानें तो अर्चना की 6 महीने की बेटी है, जिसका नाम अनिका है. वह अपने साथ अपनी छोटी सी बेटी को पुलिस स्टेशन लाती है, क्योंकि उनके घर पर बच्चे की देखभाल करने वाला कोई नहीं है. जैसे ही बच्ची को डेस्क पर रख अपना काम करतीं अर्चना की तस्वीर उनके सीनियर अधिकारियों तक पहुंची, इसे देख वह काफी प्रभावित हुए. उनके सीनियर अधिकारियों ने उनके इस समर्पण के लिए 1000 रुपये के इनाम की घोषणा की. 
इस तस्वीर को देखने के बाद ट्विटर पर कई लोगों ने कहा कि पुलिस को कमाकाजी मदर्स और उनके नवजात बच्चे को बेहतर सुविधा देनी चाहिए. वहीं, कुछ ने कहा कि पुलिस सुधार अभी वक्त की मांग है. 

अर्चना के दो बच्चे हैं. एक दस साल की बेटी कनक और दूसरी 6 माह की अनिका. साल 2016 में मास्टर की डिग्री लेने के बाद अर्चना ने पुलिस बल में नौकरी शुरू कर दी थी. उनके पति हरियाणा के गुड़गांव में एक बड़ी कार मैनुफैक्चरर कंपनी में काम करते हैं. 

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सैमसंग ने अपने कर्मचारियों को दिया 95-95 लाख का मुआवजा, मांगी माफी

सियोलः सैमसंग इलेक्ट्रॉनिक्स ने शुक्रवार को उन कर्मचारियों से माफी मांग ली, जिन्हें सेमीकंडक्टर फैक्ट्रियों में काम करने के दौरान कैंसर सहित कई बीमारियां हो गई थी। इस तरह कई साल पुराना यह विवाद खत्म हो गया है। कंपनी के को-प्रेजिडेंट किम कि-नम ने कहा, 'हम उन कर्मचारियों और उनके परिजनों से माफी मांगते हैं, जिन्हें कैंसर हुआ था। हम अपनी सेमीकंडक्टर और एलसीडी फैक्ट्रियों में स्वास्थ्य के जोखिम को उचित ढंग से संभालने में नाकाम रहे।' 

सैमसंग ने मानी अपनी चूक
अभियान समूहों के मुताबिक, सैमसंग की फैक्ट्रियों में काम करने वाले करीब 240 लोग काम करने की परिस्थितियों की वजह से बीमार हो गए। इनमें से करीब 80 की मौत हो गई। बीमार कर्मचारियों और उनके पक्ष में अभियान चलाने वाले समूहों ने सैमसंग के खिलाफ लंबी कानूनी लड़ाई लड़ी। कुछ दावेदार तो 1984 में बीमार हुए थे। इस महीने सैमसंग ने डील के तहत हर पीड़ित कर्मचारी के लिए 1.33 लाख डॉलर (करीब 95 लाख रुपए) मुआवजा देने का फैसला किया है। 

क्या है विवाद
यह विवाद पहली बार 2007 में सामने आया जब सोल के दक्षिण में स्थित सुवोन में सैमसंग की सेमीकंडक्टर और डिस्प्ले फैक्ट्रियों के कर्मचारियों और उनके परिवार ने आरोप लगाया कि काम करने के दौरान उन्हें कई तरह के कैंसर हो गए, जिससे कई लोगों की मौत हो गई। हालांकि कई पीड़ितों ने सैमसंग की माफी को नाकाफी बताया है। अपनी बेटी को खोने वाले हवांग सैंग-गीन ने कहा कि हम इस माफी को स्वीकार नहीं करेंगे। 

सैमसंग इलेक्ट्रॉनिक्स दुनिया की सबसे बड़ी मोबाइल फोन और चिप बनाने वाली कंपनी है। यह सैमसंग ग्रुप की फ्लैगशिप सब्सिडिअरी है। दक्षिण कोरिया की अर्थव्यवस्था में सैमसंग का दबदबा जगजाहिर है। दक्षिण कोरिया की अर्थव्यवस्था दुनिया की 11वीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है और इसमें सैमसंग की प्रमुख भूमिका रही है। 

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भारत-पाक के बीच करतारपुर कॉरिडोर के निर्माण को अमेरिका ने किया स्वागत

वाशिंगटन: अमेरिका ने भारत और पाकिस्तान के लोगों के बीच संपर्क बढ़ाने की कोशिशों का स्वागत किया है. अमेरिका का ये बयान हाल ही में दोनों पड़ोसी देशों के बीच करतारपुर गलियारे की आधाशिला रखे जाने के संदर्भ में आया है. अमेरिकी विदेश मंत्रालय के उप प्रवक्ता रॉबर्ट पैलाडिनो ने संवाददाताओं को बताया, "हम करतारपुर गलियारे की खबरों से वाकिफ हैं. इससे भारतीयों को पाकिस्तान स्थित सिख धार्मिक स्थल पर बिना वीजा के जाने की अनुमति मिलेगी. हम इसका स्वागत करते हैं." 

करतारपुर गलियारा पाकिस्तान के करतारपुर में स्थित दरबार साहिब (कहा जाता है कि गुरु नानक ने यहीं अंतिम सांसें ली थीं) को भारत के पंजाब में गुरदासपुर जिले के डेरा बाबा नानक तीर्थस्थल से जोड़ेगा.  करतारपुर साहिब पाकिस्तान में रावी नदी के पार स्थित है और डेरा बाबा नानक से करीब चार किलोमीटर दूर है. सिख गुरु ने 1522 में इस गुरुद्वारे की स्थापना की थी.

करतारपुर गलियारे से भारतीय सिख श्रद्धालु करतारपुर में स्थित गुरुद्वारा दरबार साहिब तक वीजा रहित यात्रा कर सकेंगे. भारत ने पाकिस्तान के सामने 20 साल पहले करतारपुर कॉरिडोर बनाने का प्रस्ताव रखा था, जिसका निर्माण कार्य छह महीने के भीतर पूरा होने की उम्मीद है. भारत से हजारों सिख श्रद्धालु हर साल गुरू नानक की जयंती मनाने के लिए पाकिस्तान जाते हैं.

बता दें, करतारपुर कॉरिडोर की आधारशीला अभी ही रखी गई है. पाकिस्तान की तरफ हुए समारोह में भारत सरकार ने कार्यक्रम में शिरकत करने के लिए केंद्रीय मंत्री हरसिमरत कौर बादल और हरदीप सिंह पुरी को भेजा था. वहीं नवजोत सिंह सिद्धू पाकिस्तान के न्योते पर पहले से ही वहां गए हुए थे. न्योता विदेश मंत्री सुषमा स्वराज को भी दिया गया था, लेकिन उन्होंने पाकिस्तान का न्योता नहीं स्वीकार किया. सुषमा स्वराज ने उसके बाद कहा था कि कॉरिडोर का मतलब यह नहीं कि भारत-पाकिस्तान दि्वपक्षीय बातचीत शुरू हो जाएगी. बातचीत और करतारपुर कॉरिडोर दोनों अलग-अलग हैं. साथ ही उन्होंने कहा था कि जब तक पाकिस्तान आतंकवाद खत्म नहीं करेगा, तब तक भारत उससे बात नहीं करेगा.

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रिपोर्ट: 2017 में देश के 1.2 लाख बच्चे HIV से पीड़ित

संयुक्त राष्ट्रः यूनिसेफ की एक रिपोर्ट के मुताबिक भारत में 2017 तक करीब 1 लाख 20 हजार बच्चे और किशोर एचआईवी संक्रमण से पीड़ित हैं। ये दक्षिण एशिया के किसी देश में एचआई‍वी पीड़ितों की सबसे ज्यादा संख्या है। यूनिसेफ ने चेताया है कि अगर इसे रोकने की कोशिशें तेज नहीं की गईं तो 2030 तक हर दिन दुनियाभर में एड्स की वजह से 80 किशोरों की मौत सकती है। 

रिपोर्ट में कहा गया है कि दक्षिण एशिया ने बच्चों, किशोरों, गर्भवती महिलाओं और माताओं में एचआईवी की रोकथाम के लिए जरूरी प्रयास किए हैं। गुरुवार को जारी यूनिसेफ की रिपोर्ट‘चिल्ड्रन, एचआईवी और एड्स: द वर्ल्ड इन 2030’के मुताबिक पाकिस्तान में 5800, उसके बाद नेपाल में 1600 और बांग्लादेश में (1000 से कम) लोग एचआईवी का शिकार हैं। वर्ष 2017 में पांच साल तक की आयु वाले एचआईवी संक्रमित बच्चों की संख्या में वर्ष 2010 की तुलना में 43 प्रतिशत की कमी आई है जबकि इसी

साल 0 से 14 वर्ष के जीवनरक्षक एंटीरेट्रोवाइरल थेरेपी (एआरटी) पा रहे पीड़ितों का हिस्सा 73 प्रतिशत था जो 2010 के मुकाबले 50 फीसदी ज्यादा है।   
रिपोर्ट कहती है कि ताजा रूझान बताते है कि एड्स से संबंधित मौतों और नए संक्रमणों की गति धीमी हो रही है, लेकिन पुराने मामलों में कमी कम देखी जा रही है। यूनिसेफ प्रमुख हेनरिता फोरे ने कहा, रिपोर्ट से साफ होता है कि दुनिया 2030 तक बच्चों और किशोरों के बीच एड्स को खत्म करने के प्रयास पटरी पर नहीं हैं।  

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