सियासत
भाजपा ने किया कुशाभाऊ ठाकरे का अपमान
भिलाई. भिलाई की प्रथम महापौर सुश्री नीता लोधी ने चंदूलाल चन्द्राकर पत्रकारिता एवं जनसंचार विश्वविद्यालय नामकरण का स्वागत करते हुए इसे मुख्यमंत्री भूपेश बघेल द्वारा छत्तीसगढिय़ा अस्मिता का सम्मान बताया है. उन्होंने कहा कि कुशाभाऊ ठाकरे भारतीय जनता पार्टी अथवा राष्ट्रीय स्वयं संघ के लिए उल्लेखनीय व्यक्तित्व हो सकते हैं, लेकिन उनका नाम पत्रकारिता विश्वविद्यालय से जोड़ कर भारतीय जनता पार्टी ने ही उनका अपमान किया है। क्या भाजपा-संघ के विचारक बता सकते हैं कि स्व. ठाकरे का पत्रकारिता में क्या योगदान था?
उन्होंने छत्तीसगढ़ सरकार के इस कदम का विरोध करने वालों को आड़े हाथों लेते हुए कहा है कि नाम बदलने की परिपाटी भारतीय जनता पार्टी की रही है, जिसने छत्तीसगढ़ में 2003 में अपनी सरकार बनाते ही खुर्सीपार भिलाई के राजीव गांधी स्टेडियम का नाम बदलकर दीनदयाल उपाध्याय खेल परिसर कर दिया था. जबकि वहां भूतपूर्व प्रधानमंत्री स्व. राजीव गांधी की प्रतिमा पहले ही स्थापित की जा चुकी थी और इसका लोकार्पण तत्कालीन मुख्यमंत्री के हाथों किया जा चुका था. आज भी लोग यह नहीं भूले हैं, जब विश्वविद्यालय की स्थापना की गई थी तब भी बुद्धिजीवी वर्ग ने इस नामकरण पर आपत्ति जताई थी. सुश्री नीता लोधी ने कहा कि नाम बदलने की परिपाटी भाजपा की रही है जिसमें न सिर्फ खुर्सीपार खेल परिसर का नाम बदला गया था बल्कि इंदिरा शहरी धरोहर योजना,राजीव आश्रय योजना और इंदिरा हरेली सहेली योजना तक का नाम बदल दिया गया था. क्या मध्यप्रदेश या देश के दूसरे हिस्से में बैठे भाजपा-संघ के विचारक तब इससे अंजान थे? आज पूर्व मंत्री अजय चंद्राकर धमकी भरे अंदाज में कह रहे हैं कि भाजपा सरकार आएगी तो गांधी-नेहरू जैसी विभूतियों के नाम हटा देगी, तो यह उनका वैचारिक सतहीपन दर्शाता है. छत्तीसगढ़ में भाजपा की सरकार ने पिछले 15 साल में विभूतियों के नाम में परिवर्तन करने का काम खूब किया है.
सुश्री नीता लोधी ने कहा कि पत्रकारिता विश्वविद्यालय का नामकरण अगर दिग्गज पत्रकार स्व. चंदूलाल चंद्राकर के नाम पर किया गया है तो यह बिल्कुल सही कदम है. पिछली सरकार की गलती को सुधार कर छत्तीसगढ़ की अस्मिता की रक्षा कर माटी को सम्मानित कर एक अच्छी सरकार होने का दायित्व निभाया है. चंदूलाल चंद्राकर छत्तीसगढ़ की मिट्टी से जुड़े व्यक्तित्व थे और कांग्रेस के घोषणापत्र में छत्तीसगढ़ राज्य की स्थापना का संकल्प शामिल करवाने वाले स्व. चंद्राकर ही थे.अगर स्व. चंद्राकर छत्तीसगढ़ राज्य निर्माण सर्वदलीय मंच का गठन कर आंदोलन नहीं छेड़ते तो शायद ही कभी छत्तीसगढ़ का निर्माण हो पाता.
जहां तक स्व. चंदूलाल चंद्राकर के पत्रकारिता में योगदान का प्रश्न है तो यह किसी से छिपा नहीं है कि छत्तीसगढ़ की माटी से निकले वे आज तक भी एकमात्र पत्रकार हैं, जिन्होंने ओलंपिक खेलों से लेकर युद्ध तक की रिपोर्टिंग 100 से ज्यादा देशों में की है. महात्मा गांधी की अंतिम प्रार्थना सभा में भी वे मौजूद थे और बापू की हत्या की कायराना वारदात की उन्होंने रिपोर्टिंग की थी. हिंदुस्तान जैसे प्रतिष्ठित समाचार पत्र में संपादक होने वाले भी वह छत्तीसगढ़ की इकलौती विभूति हैं. अगर ऐसे माटीपुत्र को सम्मान दिया जा रहा है तो इसका स्वागत होना चाहिए.
नीता लोधी ने अन्जोरा के कामधेनु विश्वविद्यालय का नाम प्रख्यात किसान नेता एवं सहकारिता नेता स्व. वासुदेव चंद्राकर के नाम पर रखे जाने का भी स्वागत किया श्री चंद्राकर किसानों की समस्या को लेकर आवाज उठाते रहे है. सत्ता पक्ष मे रहते हुए भी उन्होने समय समय पर आंदोलन किए और वर्ष 2002 में समर्थन मूल्य पर धान खरीदी की शुरूआत किए जाने पर उनके योगदान को भुलाया नही जा सकता.