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जल जीवन मिशन योजना में धांधलीः मुख्यमंत्री का करप्शन पर वॉर

जल जीवन मिशन योजना में धांधलीः मुख्यमंत्री का करप्शन पर वॉर

रायपुर. जल जीवन मिशन के ठेके में उपजे विवाद के बाद छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने सभी टेंडर निरस्त करके एक जोरदार पहल की है.पानी की आपूर्ति के नाम पर लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग में पदस्थ अफसरों द्वारा भारी गड़बड़ी किए जाने की शिकायत कांग्रेस के जिम्मेदार कार्यकर्ताओं के माध्यम से मुख्यमंत्री तक पहुंची थी. मुख्यमंत्री ने पहले तो जांच बिठाई ( जिसकी रिपोर्ट अभी आनी बाकी है ) लेकिन कैबिनेट की बैठक में सभी टेंडर को निरस्त करके साफ-साफ यह संकेत दे दिया है कि छत्तीसगढ़ में गड़बड़ी और धांधली करने वाले अफसरों की खैर नहीं है. अब पूरे खेल में कौन लोग जिम्मेदार है इसका खुलासा तो रिपोर्ट के आने के बाद ही हो पाएगा, लेकिन माना जा रहा है कि लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग के ईएनसी एमएल अग्रवाल, मुख्य अभियंता अजय साहू और पीएचई मंत्री के ओएसडी कैलाश मढ़रिया पर गाज गिर सकती है. इसके अलावा टेंडर के खेल में शामिल कुछ बड़े ठेकेदार भी लपेटे में आ सकते हैं.

यह है पूरा मामला

गौरतलब है कि केंद्र की जल जीवन मिशन योजना के लिए राज्य को साढ़े सात हजार करोड़ रुपए की कार्य योजना तैयार कर टेंडर जारी करना था. छत्तीसगढ़ के लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग ने इसके लिए कई तरह के नियम-कानून के साथ टेंडर जारी किया. बताया जाता है कि प्रदेश के बाहर की लगभग 44 कंपनियों को काम दे दिया गया. जिन कंपनियों को ठेका दिया गया अगर वे योग्य होती तो शायद कोई बात नहीं उठती. टेंडर में हिस्सेदारी दर्ज करने वाली अधिकांश कंपनियां पाइप निर्माण करने वाली थी तो कुछ कंपनियां सोने-चांदी के कारोबार से संबंधित थीं. सूत्र कहते हैं कि कुछ ऐसे लोग भी काम हासिल करने में सफल हो गए जो पेट्रोल पंप और होटल के कारोबार से संबंधित थे. प्रदेश में कांग्रेस की सरकार बनने के बाद मोटे तौर पर यह तय हुआ  था कि छत्तीसगढ़ के लोगों को ही ज्यादे से ज्यादा काम दिया जाएगा, लेकिन इस बड़े काम में ऐसा नहीं हुआ. बताया जाता है कि अफसरों ने सोची-समझी योजना के तहत बड़े टर्न ओवर वालों को बड़े जिले में काम थमा दिया और छोटे टर्न ओवर वाले छोटे जिले तक सीमित कर दिए गए. छत्तीसगढ़ के अधिकांश ठेकेदार बस्तर भेज दिए गए जबकि प्रदेश के बाहर के ठेकेदार जो नलजल योजना के काम से अनभिज्ञ थे वे मैदानी इलाकों का काम हासिल करने में सफल हो गए. खबर यह भी है कि बिना वर्क आर्डर दिए प्रभारी ईएनसी ने करोड़ों रुपए के काम का आवंटन भी कर दिया है. इस पूरे घटनाक्रम में एक कारोबारी और एक ओएसडी का विवादास्पद चैट भी चर्चा में हैं. हालांकि ओएसडी का कहना है कि कुछ लोगों ने उसे फंसाने के लिए साजिश रची है और शिकायत सामने आने के बाद वे सभी जगहों पर अपनी सफाई दे चुके हैं, लेकिन ठेकेदारों का आरोप है कि ओएसडी ने ही भ्रष्टाचार की चेन बनाई थी. नलजल योजना में गड़बड़ी के बाद जिन ठेकेदारों ने पीएचई मंत्री के घर के बाहर प्रदर्शन का रास्ता अख्तियार किया उसके पीछे भी ओएसडी की भूमिका थीं. बताया जाता है कि ओएसडी सी और डी श्रेणी के ठेकेदारों का टेंडर निरस्त किए जाने के पक्ष में नहीं थे, लेकिन मुख्यमंत्री ने पूरे मामले को बेहद गंभीरता से लेते हुए सभी टेंडर को  निरस्त कर दिया. माना जा रहा है कि आने वाले दिनों में जब भी नए टेंडर की प्रक्रिया प्रारंभ होगी उसमें छत्तीसगढ़ में विभिन्न श्रेणियों में पंजीकृत ठेकेदार  लाभान्वित होंगे. इधर छत्तीसगढ़ कांट्रेक्टर एसोसिएशन के प्रदेश अध्यक्ष बीरेश शुक्ला ने मुख्यमंत्री के द्वारा टेडर निरस्त किए जाने के फैसले का स्वागत किया है. उनका कहना है कि पूर्ववर्ती सरकार में सभी श्रेणियों के ठेकेदार कामकाज को लेकर परेशान थे. वर्तमान सरकार के मुखिया से उम्मीद बंधी है कि वे कभी भी छत्तीसगढ़ वासियों का अहित नहीं होने देंगे.

 

 

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