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जिस कार्यपालन अभियंता को हटाने के लिए सीएम ने दिया था निर्देश...  वह ताल ठोंककर डटा हुआ है अब तक

जिस कार्यपालन अभियंता को हटाने के लिए सीएम ने दिया था निर्देश... वह ताल ठोंककर डटा हुआ है अब तक

रायपुर. इस खबर में जो तस्वीर दिखाई दे रही है वह ओमप्रकाश सिंह की है. वैसे तो ओमप्रकाश सिंह जलसंसाधन विभाग से है, लेकिन गत 16  सालों से ही वे किसी न किसी तरीके से प्रतिनियुक्ति के जरिए अंबिकापुर व उसके आसपास के जिलों में डटे हुए हैं. बीच में एकाध-बार उनका तबादला जांजगीर-चांपा किया गया, लेकिन तब भी उनका अंबिकापुर प्रेम कम नहीं हुआ. हाल-फिलहाल भी वे अंबिकापुर से सटे बलरामपुर जिले के राजपुर में ग्रामीण सड़क विकास अभिकरण में पदस्थ है. हालांकि उन्हें अभिकरण से हटाने का आदेश हो चुका है. यह आदेश किसी और ने नहीं स्वयं मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने दिया है, बावजूद इसके वे हटने का नाम नहीं ले रहे हैं.

बंद कर देना चाहिए जल संसाधन विभाग

पता नहीं ऐसा क्या है, लेकिन यह सच है कि जल संसाधन विभाग के ज्यादातर अभियंता अपने मूल विभाग में काम ही नहीं करना चाहते.वहां पदस्थ अभियंता इसी कवायद में लगे रहते हैं कि वे किसी न किसी तरीके से मलाईदार विभाग में जगह हासिल कर लें. प्रदेश में जब भाजपा की सरकार थीं तब जल संसाधन विभाग के अधिकांश अभियंता इसी जोड़-तोड़ में लगे रहते थे कि किसी न किसी तरह से पंचायत एवं ग्रामीण विभाग की ग्राम सड़क योजना से जुड़ जाय. ऐसे सभी अभियंताओं की यह मंशा होती थी कि पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग की प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना में अरबो-खरबों रुपए है. यदि दो-चार साल भी टिक गए तो सात पीढ़ी तर जाएगी.

अभियंताओं की यह कवायद अब भी कम नहीं हुई है. अब भी ज्यादातर अभियंता छत्तीसगढ़ ग्रामीण सड़क विकास अभिकरण से जुड़ने के लिए जोड़-तोड़ करते रहते हैं और जुड़े हुए हैं. ग्रामीण सड़क विकास अभिकरण में अभियंताओं की फौज देखकर तो यही लगता है कि जल संसाधन विभाग को पूरी तरह से बंद ही कर देना चाहिए. हालांकि नई सरकार बनने के बाद ऐसे सभी अभियंताओं को उनके मूल विभाग ( जल संसाधन ) में वापस भेजने का एक सैद्धांतिक फैसला लिया गया है, लेकिन इस फैसले पर ठोस तरीके से अमल नहीं हो पाया है. अब भी कई जगहों पर जल संसाधन विभाग के अभियंता ही महत्वपूर्ण पदों पर आसीन और मनमाने ढंग से काम कर रहे है.

शिकायत के बाद सीएम ने दिया हटाने का आदेश

ओमप्रकाश सिंह छत्तीसगढ़ ग्रामीण विकास अभिकरण की बलरामपुर जिले की राजपुर ईकाई में कार्यपालन अभियंता के तौर पर पदस्थ है. लंबे समय से अंबिकापुर जिले के आसपास ही पदस्थापना के चलते उनके खिलाफ शिकायतों का अंबार भी है. बताया जाता है कि उनकी गंभीर सी गंभीर शिकायतों को विभाग के अफसर यह कहकर दबाते रहे हैं कि वे राजनाथ सिंह के रिश्तेदार है. बहरहाल एक शिकायत के बाद मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने उन्हें उनके मूल विभाग ( जल संसाधन ) में वापस भेजने का निर्णय लिया. मुख्यमंत्री के इस फैसले की जानकारी पंचायत एवं ग्रामीण विकास के अवर सचिव रामलाल खैरवार ने 29 मई 2020 को छत्तीसगढ़ ग्रामीण विकास अभिकरण के मुख्य कार्यपालन अधिकारी आलोक कटियार को भेजी. श्री कटियार ने इसके परिपालन में एक जून 2020 को एक आदेश में उन्हें समस्त दायित्वों से भारमुक्त करते हुए उनकी सेवाएं जल संसाधन विभाग को लौटा दी, लेकिन ओमप्रकाश सिंह के ऊपर इन आदेशों को कोई प्रभाव नहीं पड़ा.

फोन आ गया है ऊपर बात कर लो

आदेश में यह साफ-साफ उल्लेखित था कि भारमुक्त होने के साथ ही ओमप्रकाश सिंह अपना समस्त प्रभार अंबिकापुर जिले की परियोजना ईकाई में पदस्थ सोहन चंद्रा को सौंप देंगे. बताते हैं कि जब चंद्रा चार्ज लेने गए तो उन्हें कहा गया कि रायपुर से फोन आ चुका है... वे चाहे तो ऊपर बात कर सकते हैं. अब यह माजरा समझ से परे हैं कि रायपुर से किस शख्स ने ऐसा फोन घुमा दिया है जिसकी वजह से ओमप्रकाश सिंह को डटे रहने का मौका मिल गया. क्या यह फोन छत्तीसगढ़ ग्रामीण सड़क विकास अभिकरण के सिविल लाइन स्थित कार्यालय से किया गया है या फिर किसी बंगले से ? प्रशासनिक गलियारों में यह सवाल तैर रहा है कि मुख्यमंत्री द्वारा ओमप्रकाश सिंह को हटाने के निर्णय के बाद ऐसा कौन है जो यह कहते हुए फोन घुमा रहा है कि कोई चार्ज देने की जरूरत नहीं है. नए सिरे से फिर फाइल चलाई जाएगी. इधर-उधर की उठापटक के लिए मशहूर छत्तीसगढ़ ग्रामीण विकास अभिकरण से जुड़ी एक खबर यह भी है कि यहां पदस्थ एक अधिकारी ने मुख्यमंत्री और मंत्री को भरोसे में न लेकर बगैर समन्वय के कई कार्यपालन अभियंताओं को भी इधर से उधर कर दिया है. बहरहाल ग्रामीण सड़क अभिकरण के कामकाज से जुड़े कतिपय लोग एक बार फिर मुख्यमंत्री से मिलकर वस्तुस्थिति से अवगत कराने की जुगत में हैं.

 

 

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