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छत्तीसगढ़ में फर्नीचर सप्लाई में गड़बड़झाला करने वाले फर्मों की शिकायत प्रधानमंत्री से

छत्तीसगढ़ में फर्नीचर सप्लाई में गड़बड़झाला करने वाले फर्मों की शिकायत प्रधानमंत्री से

रायपुर. छत्तीसगढ़ में भाजपा की सरकार रहने के दौरान एक बड़ा फर्नीचर घोटाला सामने आया था. तब इस घोटाले शिकायत प्रधानमंत्री से की गई थीं. एक बार फिर फर्नीचर सप्लाई करने वाले चुनिंदा फर्मों की कारगुजारियां प्रधानमंत्री तक भेजी गई है. जिन फर्मों की शिकायत भेजी गई  है उनमें ड्रोलिया इंटरप्राइजेस, गणपति इंटरप्राइजेस, गोयल फर्नीचर, सवाडिया स्टील, शर्मा स्टील, हरिओम उद्योग, खंडेलवाल सेल्स कार्पोरेशन, एमएस रानी सती उद्योग, सांई इंडस्ट्रीज सहित फर्नीचर सप्लाई करने वाली दो अन्य फर्म का नाम शामिल है.

जब केदार कश्यप शिक्षा मंत्री थे तब ठीक चुनाव पहले वे गंभीर विवादों में फंस गए थे. तब यह आरोप सामने आया था कि जिला शिक्षा अधिकारियों पर दबाव डालकर स्कूलों में फर्नीचर खरीदी के नाम पर 50 करोड़ का गोलमाल किया गया है. बताया जाता है कि प्रदेश में सीएसआइडीसी में पंजीकृत 180 सूक्ष्म और लघु इकाइयों को निविदा प्रक्रिया से बाहर कर दिया था. लघु इकाईयों के बाहर हो जाने से इनमें काम करने वाले 45 हजार बढ़ई और अन्य मजदूर बेरोजगार हो गए थे. ठेका उन्हीं फर्मों को मिला था जो साठगांठ करने में सफल हो गए थे. इस मामले में स्थानीय मीडिया में जमकर गूंज होने के बाद प्रधानमंत्री कार्यालय ने जांच के आदेश भी दिए थे, लेकिन धीरे-धीरे पूरा मामला ठंडे बस्ते में चला गया. इधर एक बार फिर नए सिरे से शिकायत भेजी गई है.

यह है शिकायत में

शिकायत में ई-मानक सीएसआईडीसी पोर्टल पर सवाल उठाए गए हैं. कहा गया है कि फर्नीचर ई मानक पर लगभग 189 रेटकांट्रेक्ट सप्लायर है, लेकिन इन सप्लायरों में केवल पांच फर्म और उनसे जुड़े लोग ही अपना उल्लू साध रहे हैं. जिन पांच फर्मों को सबसे ज्यादा महत्व दिया जा रहा है उन पर जांच लंबित है. ऑनलाइन जेम से क्रय प्रक्रिया बंद कर दिए जाने के बाद फर्म से जुड़े कर्ताधर्ता जिला शिक्षा अधिकारियों से सांठगांठ कर ई-मानक पोर्टल पर अपनी मर्जी चला रहे हैं. ई-मानक पोर्टल का उद्देश्य स्थानीय उद्योगों को काम देना है, लेकिन यह बात केवल दिखावे में रह गई है. उन सभी विभागों में जहां-जहां फर्नीचर की खरीदी होती है वहां जमकर भ्रष्टाचार हो रहा है.

जमकर चला खेल

शिकायत में कहा गया है कि प्रदेश में जब भाजपा की सरकार थीं तब जो सप्लायर अफसरों से सांठगांठ कर चूना लगा रहे थे वहीं सप्लायर अब भी सबसे ज्यादा सक्रिय है. पहले भी सबसे ज्यादा काम गणपति इंटरप्राइजेस, गोयल फर्नीचर्स, खंडेलवाल सेल्स कारपोरेशन सवाडिया स्टील, शर्मा स्टील, हरिओम उद्योग, एमएस रानी सती उद्योग, सांई इंडस्ट्रीज सहित दो अन्य फर्म को दिया गया था. अब भी इन्हीं फर्मों से जुड़े कर्ताधर्ता सीएसआईडीसी के दफ्तर में अफसरों के कमरों में देखे जा सकते हैं.

जेम पोर्टल को ठेंगा

केंद्र में मोदी की सरकार बनने के बाद सरकारी खरीदी में पारदर्शिता के लिए जेम पोर्टल से खरीदी का नियम बनाया गया था. हालांकि यह व्यवस्था भी छत्तीसगढ़ में अफसरों के लिए कमाई का जरिया बन गई थी. जेम पोर्टल में एक बार किसी एक वस्तु का रजिस्ट्रेशन करवाकर  सप्लायर दूसरी सामग्री भी सप्लाई कर रहे थे. जेम पोर्टल में अधिक रेट पर अपने माल को अप्रूव कराने के लिए दलालों का एक रैकेट सक्रिय था. इधर ई-मानक सीएसआईडीसी पोर्टल के माध्यम से भी कुछ ऐसा ही हो रहा है. बताया जाता है कि अब भी वहीं सप्लायर हावी है जो पुराने खिलाड़ी है. इस बारे में सीएसआईडीसी के एक अधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर कहा कि एक बार जो सिस्टम बन जाता है वह नियम-कानून बदल जाने के बाद भी लगभग-लगभग कायम ही रहता है. अधिकारी ने कहा कि सीएसआईडीसी केवल रेट का निर्धारण करता है जबकि खरीदी का काम विभागों से होता है. अब कौन सा विभाग किस दर पर खरीदी कर रहा है कैसे बताया जा सकता है. बहुत संभव है कि सप्लायरों ने शिक्षा विभाग और अन्य अधिकारियों से गठजोड़ कर लिया हो.

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