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राहत देने वाली खबरः मंदिर के पुजारी को ऑटो चालक हबीब ने पहुंचाया राशन

राहत देने वाली खबरः मंदिर के पुजारी को ऑटो चालक हबीब ने पहुंचाया राशन

राजकुमार सोनी

रायपुर. संभव है कि देशभर में ऐसी बहुत सी तस्वीरें और खबरें इधर-उधर घूम रही होगी, लेकिन तबलीगी-फबलीगी के चक्कर में फंसे हुए लोगों ने इस तरफ ध्यान नहीं दिया होगा. यह भी संभव है कि कुछ लोगों ने  ध्यान देने के लिए रिमोट का बटन दबाया हो, लेकिन हर बटन दबने के साथ ही कोई एक सिरफिरा चीखते मिला होगा तो वे कर भी क्या लेंगे. तीसरे-चौथे और पांचवे बटन के दबने पर भी जब सिरफिरे समझाइश देते मिले होंगे कि कोरोना वायरस निपट लेंगे...मगर.... ( आप समझ गए न ? )

आप भयभीत हो गए होंगे और सोचने लगे होंगे कि क्या वाकई दाढ़ी रखने और टोपी पहनने वाले हमारा सफाया कर देंगे. जबकि कोरोना काल में कौन किसको मारेगा...यह साफ नहीं है. दिल्ली एक डरावने स्वप्न का नाम है. हो सकता है कि किसी रोज देश की छाती पर चुभने वाली सफेद दाढ़ी वाले किसी बूढ़े का स्वप्न आए और हम लुढ़क जाय. दीया-बाती के युग में कुछ भी हो सकता है. बहरहाल लॉकडाउन के उजाड़ और उदास मौसम में दिल को राहत देने वाली एक खबर छत्तीसगढ़ रायपुर के देवपुरी इलाके से आई है. अपने दिल को तसल्ली दीजिए और गहरी सांस खींचकर बोलिए- ऑल इज वेल

देवपुरी में एक सांई वाटिका है. इस वाटिका में कई लोग रहते हैं जो ठीक-ठाक कमाते हैं. समय-असमय सांस्कृतिक कार्यक्रम और भंडारे का आयोजन भी करते रहते हैं. वाटिका के भीतर एक सांई मंदिर है. इस मंदिर में एक पुजारी रहता हैं. दिन-रात सेवा करता है. कभी किसी को नाराज नहीं करता. शायद उनका गांव दूर है इसलिए अब तक उसका कोई राशन कार्ड नहीं बन पाया है. इसी वाटिका में एक महिला मीनाक्षी रहती है. मीनाक्षी समय-असमय पुजारी की मदद भी करती है. वह कल भी मंदिर के पुजारी का हालचाल पूछने गई थीं. बातचीत के दौरान उसे पता चला कि पुजारी के घर का राशन खत्म हो गया है. मीनाक्षी ने यह बात पेशे से पत्रकार अपनी बहन रेणु नंदी को बताई और रेणु ने फ्रेण्ड्रस ग्रुप से जुड़े सदस्यों को. मुख्य रुप से फ्रेण्ड्रस ग्रुप को शेख तनवीर और रिजवान भाई संचालित करते हैं. इस ग्रुप का रायपुर शहर में खूब नाम है. ग्रुप के सभी सदस्य संगीत के क्षेत्र से जुड़े हैं. रिजवान भाई ने पुजारी के घर पर राशन पहुंचाने की जवाबदारी सौंपी एक ऑटो चालक हबीब खान को. हबीब खान ने खुशी-खुशी यह जवाबदारी ली और पहुंच गए चावल-दाल, तेल, नमक और साबुन- सोड़ा लेकर.

जब हबीब खान पहुंचे तो वाटिका के बहुत से लोग घबरा गए कि अरे कौन आ गया है.... लेकिन फिर बाद में सभी सहज हो गए. अब यह सवाल मत करिएगा कि वाटिका के लोग अपने पुजारी का ध्यान क्यों नहीं रख पा रहे हैं. मुमकिन है घर के भीतर खुद को बंद कर लेने वाले लोगों को इसकी जानकारी नहीं मिल पाई हो कि बाहर क्या चल रहा है. यह भी कहना ठीक नहीं होगा कि किसी को जानकारी नहीं मिली. मीनाक्षी को मालूम चला तभी तो उसने रास्ता निकाला. बहरहाल जाते-जाते हबीब खान पुजारी से कह गए हैं- और किसी चीज की जरूरत हो तो बताइगा... सब पहुंच जाएगा. सांई बाबा की इबादत करिएगा...और कहिएगा हम सब लोगों का संकट जल्द ही दूर हो. सांई...सबकी सुनते हैं.

अब थोड़ी सी बात फ्रेण्ड्रस ग्रुप को लेकर कर लेता हूं. यह ग्रुप लॉक डाउन के दूसरे दिन से दिव्यांग, कमजोर और बेसहारा लोगों के बीच पहुंच रहा है. लगभग दस दिनों तक तो इस ग्रुप के सदस्यों ने प्रतिदिन 20 हजार रुपए की सब्जियों का वितरण किया. जब भी कोई सूचना देता है कि फलां जगह कोई भूखा है. कोई प्यासा है तो ग्रुप के सदस्य राशन-पानी लेकर सेवा में हाजिर हो जाते हैं. ग्रुप के एक प्रमुख सदस्य रिजवान कहते हैं-यह सब करके हम किसी पर कोई अहसान नहीं कर रहे हैं. यह जीवन नेकी के कामों में इजाफे के लिए ही मिला है. हमारे दिल को अच्छा लगता है तो हम करते हैं. मुझे रिजवान भाई का नंबर मिला है. आप चाहे तो उनसे बात कर उनकी हौसला-आफजाई कर सकते हैं- 7987023845

 

- कितना भी सिर पटक लो नागपुरी संतरो... यह देश सबका है. तुम्हारी कोई भी कोशिश भाई-चारे का खात्मा नहीं कर पाएगी.

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