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खुद को पूर्व चीफ सेक्रेटरी सुनील कुजूर का करीबी बताकर मंत्रालय में घूमता रहता था ठगी का आरोपी मनीष शाह

खुद को पूर्व चीफ सेक्रेटरी सुनील कुजूर का करीबी बताकर मंत्रालय में घूमता रहता था ठगी का आरोपी मनीष शाह

रायपुर.निजी कंपनी में शेयर होल्डर बनाकर लाभांश दिलाने का झांसा देने वाले मनीष शाह और उनकी पत्नी ऋचा शाह पर पुलिस ने मामला तो दर्ज कर लिया है, लेकिन अभी तक आरोपी दंपत्ति की गिरफ्तारी नहीं हो पाई है. बताते हैं इस दंपत्ति ने शहर के और भी कई नामी-गिरामी लोगों को भी ठगी का शिकार बनाया है. सूत्रों का कहना है कि मनीष शाह ने मंत्रालय में पदस्थ भारतीय प्रशासनिक सेवा के कई अफसरों के बीच खासी पैठ बना रखी थीं. वह खुद को पूर्व चीफ सेक्रेटरी सुनील कुजूर का करीबी बताकर मंत्रालय में घूमता भी रहता था.

पूर्व केंद्रीय मंत्री पुरुषोत्तम कौशिक के बेटे दिलीप कौशिक ने मनीष शाह और ऋचा शाह के खिलाफ पुलिस थाने रिपोर्ट दर्ज करवाई है. दिलीप कौशिक  का कहना है कि उसने वर्ष 2013 -14 में लक्ष्य नेचुरल फुड प्राइवेट लिमिटेड में चार करोड़ के आसपास शेयर किया था. इतनी बड़ी रकम शेयर करने के बाद ऋचा शाह और मनीष शाह ने उन्हें लक्ष्य नेचुरल फूड्स प्राइवेट लिमिटेड, लक्ष्य टेक्नोक्रेट इंडिया प्राइवेट लिमिटेड, सीजी सोया प्राइवेट लिमिटेड में डायरेक्टर बना दिया और यह आश्वासन देते रहे कि जल्द ही मुनाफे के साथ पैसा वापस कर दिया जाएगा, लेकिन जब पैसा वापस नहीं हुआ तब उन्होंने थाने की शरण ली. कौशिक ने बताया कि कंपनी में खेती-किसानी की मशीन व उपकरण तैयार किए जाते हैं. इस कंपनी में 40 से अधिक किसानों का पैसा भी लगा हुआ है. उन्होंने बताया कि इस कंपनी में उन्होंने बैंक से लोन लेकर इनवेस्ट किया था. कौशिक ने जानकारी दी कि शाह दंपत्ति से कई और लोग पीड़ित है.

भाजपा के शासनकाल से चल रहा है शाह का गोरखधंधा

प्रदेश में मनीष शाह और उसकी कथित कंपनी का गोरखधंधा भाजपा के शासनकाल से ही फलता-फूलता रहा है. प्रदेश में जब रमन सिंह की सरकार थी तब शाह ने एक से बढ़कर एक कारनामों को अंजाम दिया. शाह ने सोया मिल्क, बिस्कुट और केटलफिड की बिक्री के नाम पर भी करोड़ों का खेल खेला. ज्ञात हो कि भाजपा के शासनकाल में सरकार ने बच्चों के कुपोषण को दूर करने के लिए सोया मिल्क बांटने का फैसला किया था. सरकार की रजामंदी के बाद शाह ने केंद्रीय और राज्य स्तरीय प्रयोगशाला से जांच करवाए बगैर बच्चों को दूध का पैकेट वितरित कर दिया था. कई स्कूलों में जब बच्चे बीमार पड़ने लगे तब थोड़े समय के लिए पैकेट के वितरण में रोक लगी.

बीज निगम से सांठगांठ

रमन सिंह की सरकार में बीज निगम ने जन निजी भागीदारी ( पीपीपी मोड ) के तहत सोया बिस्कुट, सोया मिल्क और केटलफिड की खरीदी की थी. इसके लिए शाह की कंपनियों से अनुबंध किया गया था. इन चीजों की खरीदी के लिए सबसे महत्वपूर्ण और अनिवार्य शर्त यह थीं कि कंपनी को  छत्तीसगढ़ में अपनी ईकाई स्थापित करनी थी और प्रदेश के किसानों या बाजार से कच्चे माल की खरीददारी करनी थी, लेकिन ऐसा नहीं हुआ. बीज निगम के अधिकारियों ने यह जांचे-परखे कि किसी तरह की कोई ईकाई स्थापित की है या नहीं...शाह को करोड़ों का काम सौंप दिया था. जाहिर सी बात है कि जब ईकाई स्थापित नहीं हुई हो तो स्थानीय बाजार और किसानों से खरीददारी भी नहीं हुई होगी. ऐसा ही हुआ. शाह ने सोया मिल्क के लिए कच्चा सामान पड़ोसी राज्यों से खरीदा और स्कूल शिक्षा विभाग तथा महिला बाल विकास विभाग की ओर से संचालित आंगनबाड़ी केंद्रों में इसकी जमकर सप्लाई की. शाह ने पशु आहार के लिए भी किसी तरह की कोई ईकाई स्थापित नहीं की और गौशालाओं में पशु आहार पहुंचाया जाता रहा. बिस्कुट की ट्रेडिंग नागपुर के सुंदर इंडस्ट्रीज से की गई और स्कूल तथा आंगनबाड़ी केंद्रों में वितरण होता रहा. सूत्रों का कहना है कि जल्द ही बीज निगम के वे अधिकारी भी लपेटे में आएंगे जो शाह के साथ गोरखधंधे में शामिल थे. 

महालेखाकार की आपत्ति

एक शिकायत के बाद महालेखाकार ( कैग ) ने 31 मई 2015 को आपत्ति जताते हुए बीज निगम को नियमों के खिलाफ की जा रही खरीदी और भुगतान पर रोक लगाने को कहा. निगम ने कैग की तमाम आपत्तियों को उस दौरान रद्दी की टोकरी में डाल दिया और बड़े पैमाने पर खरीदी और भुगतान का खेल जारी रखा. वर्ष 2015 से वर्ष 2018 तक यह क्रम जारी रहा. वर्ष 2018 में कैग ने एक बार फिर बीज निगम को खरीदी और पर रोक लगाने को कहा तब बीज निगम ने 11 जनवरी 2019 को खानापूर्ति करते मनीष शाह को एक पत्र लिखा और कहा कि वे जल्द से जल्द प्लांट स्थापित कर लें. अब तक न तो प्लांट लगा है और न ही स्थानीय स्तर पर कच्चे माल की खरीदी होती है. सारा कुछ बाहर से नियंत्रित होता है. अधिकारियों की सांठगांठ से शासन को चूना लगाने का खेल अब तक चल रहा है. बताते हैं कि शाह  ने कृषि विभाग, बीज निगम और शिक्षा विभाग में पदस्थ अधिकारियों से मिली-भगत कर करोड़ों रुपए का काम हथियाया और हर विभाग में घटिया सप्लाई की.

 

 

 

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