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तबादले के बाद भी गंभीर आरोपों से घिरे हुए हैं वन अफसर पंकज राजपूत

तबादले के बाद भी गंभीर आरोपों से घिरे हुए हैं वन अफसर पंकज राजपूत

रायपुर. जो लोग जंगल महकमे से जुड़े हुए हैं वे लोग इस बात को अच्छी तरह से जानते हैं कि उनका महकमे का कामकाज कितना बेहतर है और कितना खौफनाक ? यहां कोई थोड़ी सी भी उंटपटांग हरकत करता है तो मंत्रालय के गलियारों में रिकार्ड प्लेयर चालू हो जाता है-जंगल-जंगल बात चली है... पता चला है. अभी कुछ दिनों पहले भोपाल में जो हनी ट्रैप कांड हुआ था उसमें छत्तीसगढ़ के वन विभाग से जुड़े दो अफसरों का नाम प्रमुखता से उभरा, लेकिन राजनीतिक और प्रशासनिक उठापटक के चलते मामला सुलट गया और वे बच गए. बहरहाल इन दिनों पंकज राजपूत नाम के एक वन अफसर की चर्चा जोरों पर है. बताते हैं यह अफसर कभी पूर्व मुख्यमंत्री के सबसे करीबी था और लंबे समय तक राजनांदगांव में ही पदस्थ था.

एक शिकायतकर्ता नरेंद्र ने फिजूलखर्ची और महिलाकर्मियों के साथ व्यवहार को लेकर पंकज के खिलाफ मुख्यमंत्री भूपेश बघेल को शिकायत भेजी है. अपनी शिकायत में नरेंद्र ने कहा है कि पकंज राजपूत के पहले राजनांदगांव में बतौर डीएफओ शाहिद साहब पदस्थ थे. शाहिद साहब ने पदस्थ होते ही सबसे पहले अपने बंगले का रंग-रोगन करवाया, एसी और टाइल्स बदलवाया, लेकिन शाहिद साहब के स्थानांतरण होते ही पंकज राजपूत ने भी यही काम किया और एक तरह से सरकारी खजाने का दुरूपयोग किया. फिजूलखर्ची में वे इतने ज्यादा एक्सपर्ट थे कि जिस व्हालीबाल ग्राउंड पर डीएफओ अरुण प्रसाद ने लाखों रुपए फूंके थे उसी व्हालीबाल ग्राउंड पर दोबारा पैसा फूंका गया. इतना ही नहीं कमीशन के खेल में अंग्रेजी में छपी एक किताब सभी रेंजर और लिपिकों को भेजी गई और उनसे कहा गया कि इसका भुगतान करना है. अब न तो बाबू ढंग से अंग्रेजी जानते हैं और न हीं रेंजर... लेकिन साहब ने कहा है कि भुगतान करना है तो भुगतान कर रहे हैं. शिकायतकर्ता का कहना है कि वनमंडल के पुराने फर्नीचर की मरम्मत और पालिश के नाम पर भी लाखों रुपए बरबाद किए गए हैं. डिवीजन के रिकार्ड से लैपटाप, कम्पयूटर, टीवी, एसी गायब है.

महिला कर्मचारी को अटैक

पकंज राजपूत जब तक पदस्थ थे तब तक महिला कर्मचारियों से उनका व्यवहार दोयम दर्जे का था. एक महिला जिसे वे रोज अपमानित करते थे उसे हार्ट अटैक भी आया और उसके इलाज में लाखों रुपए खर्च हुए. वे अपने अधीनस्थ लिपिकों से भी देर रात घर में काम लेते रहे जिसके चलते एक बाबू भी अटैक का शिकार हुआ. इन दिनों वह बाबू लंबी छुट्टी पर है. शिकायतकर्ता का  कहना है कि पंकज राजपूत अपने चहेतों को नियुक्ति देने में भी आगे रहते थे. उन्होंने मोहम्मद अय्यूब शेख नाम के एक वनपाल को सीधे जिला यूनियन में डिप्टी रेंजर बना दिया जबकि अय्यूब ने कभी भी तेंदूपत्ते का काम ही नहीं देखा. इन दिनों अय्यूब दक्षिण मानपुर का प्रभार संभाल रहा है. वनपाल के प्रशिक्षण से वापस आए कर्मचारी शीतल, भुवन चंद्रवंशी, कृष्णालाल, नमिता, कुशल लटियार, संतोष कुसरे को बगैर किसी पदस्थापना के वेतन दिया गया और फिर बाद में इनका स्थानांतरण दूर-दराज कर दिया गया. शिकायत में भंडार क्रय नियमों के उल्लंघन से संबंधित अनेक बिंदु शामिल किए गए गए हैं. कहा गया है कि पंकज जब तक पदस्थ थे तब तक एक ही ठेकेदार से स्टेशनरी खरीदी जाती रही.

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