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एंटी करप्शन ब्यूरो में पदस्थ दो बड़े अफसरों को दूसरे अफसर ने लपेटा

एंटी करप्शन ब्यूरो में पदस्थ दो बड़े अफसरों को दूसरे अफसर ने लपेटा

रायपुर. एंटी करप्शन ब्यूरो में पदस्थ दो बड़े अफसरों की कार्यप्रणाली को लेकर हर रोज नई-नई बातें सामने आ रही है. कुछ समय पहले एंटी करप्शन ब्यूरो में पदस्थ उप पुलिस अधीक्षक स्तर के एक अधिकारी अजितेश कुमार सिंह ने मुख्यमंत्री भूपेश बघेल और पुलिस महानिदेशक डीएम अवस्थी को एक शिकायत भेजकर गंभीर आरोप लगाए हैं.

अधिकारी अजितेश कुमार का कहना है कि दिनांक 28 जून 2019 को बिलासपुर के सहायक आबकारी आयुक्त दिनेश दुबे के मामले में खात्मा प्रकरण न्यायालय के समक्ष पेश किया गया था. जब मामले का खात्मा हो गया तब उनके द्वारा एसीबी के जिस अफसर को वाट्सअप काल पर सूचना दी उसने पहले तो फोन नहीं उठाया, लेकिन बाद में जब फोन उठाया तो गंदी-गंदी गालियों से नवाजा और सीधे वरिष्ठ अफसर को फोन थमा दिया. वरिष्ठ अफसर ने भी अपशब्दों का प्रयोग करते हुए कहा कि तुमने इस मामले में जानकारी छिपाकर अच्छा नहीं किया. अब तुम्हें बरबाद होने से कोई नहीं बचा सकता. तुम्हारा निलंबन तो होकर रहेगा.

फंसा सकते हैं झूठे मामले में

अफसर ने अपनी शिकायत में अपने जान-ओ-माल की सुरक्षा की गुहार लगाई है. अफसर का आरोप है कि दोनों अफसर सीधे-सादे लोगों को झूठे मामलों में फंसाने की कला में माहिर है.अफसर ने खुद को मानसिक तौर पर प्रताड़ित बताते हुए कहा कि जब से दोनों अफसरों ने उसे धमकाया है तब से वह खुदकुशी करने के बारे में सोच रहा है. अगर कल को उसके द्वारा कोई अप्रिय कदम उठा लिया जाता है तो इसके लिए उसे प्रताड़ित करने वाले अफसर जिम्मेदार होंगे. ( अफसर ने जिन्हें जिम्मेदार बताया है उनका नाम भी लिखा है.)

दूसरी शिकायत और भी गंभीर

इधर एंटी करप्शन ब्यूरो में पदस्थ अफसर की दूसरे अफसर की और भी गंभीर शिकायत मंत्रालय के गलियारों में घूम रही है. यह शिकायत राजेश कुमार बानी नाम के किसी सिविल इंजीनियर ने लिखी है जो वर्ष 2018 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को तब भेजी गई थी जब आर्थिक अपराध अन्वेषण ब्यूरो के पुलिस महानिदेशक मुकेश गुप्ता थे. शिकायत में कहा गया है कि अफसर जब धमतरी में पदस्थ था तब वह साहू नाम के एक करीबी पुलिसकर्मी के जरिए हर थाने से मोटी रकम की वसूली करता था. पैसों की वसूली के लिए चालान को रोककर रखा जाता था.

क्लासमेंट को बचाया

शिकायतकर्ता का कहना है कि रायगढ़ जिले घरघोड़ा में सीईओ के पद पर अरूण कुमार शर्मा पदस्थ थे, लेकिन तमाम तरह की छापामार कार्रवाई के बाद उन्हें इसलिए बख्श दिया गया क्योंकि वे पुलिस अफसर के क्लासमेंट थे. इसके अलावा आलोक पांडे, कृष्ण कुमार पाठक, कौशल यादव, श्यामचंद पटेल, राममोहन दुबे को भी जेल जाने से बचा लिया गया. शिकायतकर्ता का कहना है कि अगर सरकार यह जांच करें कि अफसर के नेतृत्व में कब-कब छापामार कार्रवाई की गई है और कितने लोगों का चालान पेश किया गया... कितने बरी हो गए... तो भी सच्चाई सामने आ जाएगी. शिकायत में अफसर के मकान-दुकान समेत अन्य घोषित-अघोषित संपत्तियों का ब्यौरा भी दिया गया है.

 

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