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एक्सप्रेस- वे की सड़क धंसी... अनिल राय पर भी उठे सवाल

एक्सप्रेस- वे की सड़क धंसी... अनिल राय पर भी उठे सवाल

रायपुर. छोटी लाइन को हटाकर रेलवे स्टेशन से शदाणी दरबार तक बनाए गए 12 किमी फोरलेन एक्सप्रेस-वे की सड़क का एक हिस्सा गुरुवार को धसक गया. इस सड़क के धंसने से एक कार पलट गई और महावीर नगर निवासी अभिनव शुक्ला-दिव्या राज शुक्ला को गंभीर चोटें आई. सड़क के धसकने के साथ भाजपा बचाव की मुद्रा में आ खड़ी हुई तो कांग्रेस ने भाजपा शासनकाल की कमीशन खोरी को जिम्मेदार माना है. प्रदेश कांग्रेस के प्रवक्ता धनंजय सिंह ठाकुर ने एक्सप्रेस वे हुए हादसे के लिए पूर्व मुख्यमंत्री रमन सिंह पूर्व पीडब्ल्यूडी मंत्री राजेश मूणत और पूर्व विधायक श्रीचंद सुन्दरानी को जिम्मेदार ठहराया है. जबकि कांग्रेस के संयुक्त सचिव नरेश गड़पाल ने सीधे तौर पर पीडब्लूडी विभाग के अनिल राय पर निशाना साधा है.

नरेश गड़पाल का कहना है कि 22 अप्रैल 2017 में इस सड़क के निर्माण कार्य का ठेका आयरन ट्रेंगल लिमिटेड को कुल 258.11 करोड़ में दिया गया था. धीरे-धीरे यह राशि और अधिक हो गई. गड़पाल ने कहा कि जिस रोज से यह सड़क बन रही थीं उसी रोज से इसकी गुणवत्ता को लेकर सवाल उठने लगे थे और भ्रष्टाचार की बू आने लगी थीं.कई तरह की शिकायतों के बाद कोई कार्रवाई नहीं हुई और अततः इस साल की पहली झमाझम बारिश में सड़क के कई हिस्से धसक गए. उन्होंने कहा कि पूर्व पीडब्लू मंत्री राजेश मूणत तो इसके जिम्मेदार है ही, लेकिन योजना को अंजाम देने वाले अनिल राय भी इसके मुख्य कर्ताधर्ता है. गड़पाल ने कहा कि अनिल राय वन विभाग के अफसर है जिन्हें सड़क निर्माण और उसकी गुणवत्ता का अनुभव भी नहीं है बावजूद इसके वे लंबे समय से पीडब्लूडी विभाग में जमे हुए हैं. 

प्रदेश कांग्रेस प्रवक्ता धनंजय सिंह ठाकुर का कहना है कि एक्सप्रेस-वे के उदघाटन के लिए भाजपा ने प्रदर्शन किया था जो घटिया निर्माणकर्ता ठेकेदार के हित को समर्पित था. भाजपा को राजधानी में रहने वाली जनता की सुरक्षा नही बल्कि एक्सप्रेस वे का निर्माण करने वाले ठेकेदार की बिल की चिंता थी.इधर सड़क के धसक जाने के बाद लोक निर्माण मंत्री ताम्रध्वज साहू ने जांच के निर्देश तो दे दिए हैं, अब यह देखना बाकी है कि इस जांच में अनिल राय पर कोई कार्रवाई होती भी है या नहीं ? वैसे पिछले कुछ समय से राजनीति और प्रशासनिक  गलियारों में एक सवाल लगातार उठ रहा है कि मंत्रालय में पदस्थ रहे बहुत से वन अफसरों की उनके मूल विभाग में वापसी हो गई है तो फिर अनिल राय को वापस क्यों नहीं भेजा जा रहा है ? आखिर अनिल राय को किसका संरक्षण हासिल है ? 

 

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