साहित्य

रात आठ वाला मूरख

रात आठ वाला मूरख

पूरी दुनिया जब कोरोना का टेस्ट कर रही थी तब हिंदू राष्ट्र में मजदूरों का सामूहिक सैनिटाइजर स्नान करवाया जा रहा था. आदमी आदमी नहीं रहा चूहा बिल्ली बना दिया गया था कि डीडीटी का छिडकाव कर दो तब घर में आ पाएंगे.

जो लोग शुद्धता के इस स्नान से बच पाए उनके माथे पर लिख दिया गया कि मैंने लॉकडाउन तोड़ा है. माथे पर ये तमगा लेकर जब मज़दूर घर को लौटे तो उन्हें डियर लीडर के मन की बात सुननी पड़ी ताकि शुद्धिकरण पूरा हो सके. अमिताभ बच्चन के हाथ पर जब किसी ने लिख दिया था कि मेरा बाप चोर है तो अमिताभ बच्चन ने सोने के बिस्कुटों की तस्करी थी. जिनके माथे पर कोरोना लिखा गया वो बंबई दिल्ली से तस्करी कर के पोटलियों में आटा चावल ला रहे थे जो सैनिटाइजर में भीग कर खाने लायक नहीं रहा था.

ये सब हमारे और हम सब के प्रिय द ग्रेट लीडर के नेतृत्व में ही संभव था.

यूं तो उनके नेतृ्त्व में क्या क्या कमाल नहीं हुए और हम अगर जी गए तो आगे भी देखते ही रहेंगे. मसलन महान पार्टी के एक छुठभैये से सांसद ने कहा कि जो लॉकडाउन को न माने उसे गोली मार दी जाए. मेरा मानना है कि इस नेता को भारत रत्न दिया जाना चाहिए.

उधर गुजरात के नवादा में फंसे कुछ मजदूरों ने एसपी को फोन कर के गालियां दी ताकि वो जेल भेजे जाएं तो वहां खाना पानी मिल सके.आवश्यकता को आविष्कार की जननी ऐसे ही नहीं कहा गया है शास्त्रों में.

शास्त्रों से याद आया कि ब्राम्हणों ने घोषणा की है कि छूआछूत को पुनश्च लागू किया जाए क्योंकि कोरोना के खिलाफ एकमात्र रामबाण दवा हिंदू बामनों को ही पता थी वो भी तीन हजार साल पहले और इसी क्रम में छूआछूत की परंपरा शुरू हुई थी.

इस तरह से लॉकडाउन के तीसरे या चौथे दिन जब लाखों लोग पलायन करने लगे तो उनसे पूछा गया कि तुम सब लोग ऐसे क्यों जा रहे हो तो एक बुद्धिमान मजदूर ने बताया कि चूंकि अब तो रामायण में राम भी सीता को लेकर जंगल जाने ही वाले होंगे तो हम लोगों ने भी सोचा कि जंगल में भगवान राम से मिलने के लिए हम लोग थोड़ा पहले ही अपने घरों से निकल जाएं.

इस बीच भगवान राम टीवी पर अपने महल से निकले औऱ रास्ते में एक योगी महाराज ने उन्हें मंदिर में बिठा दिया और कहा कि अब यही आपका घर है जहां भव्य मंदिर बनेगा. राम कहते रह गए कि सीरियल आगे बढ़ना है लेकिन योगी महाराज माने नहीं.

आगे रामायण में क्या हुआ ये मुझे पता नहीं क्योंकि पता चला है कि दिल्ली की सड़कों पर मनुष्यों को नदारद पाकर सारी वानर सेना लंका से लौट कर दिल्ली के मंत्रालयों पर कब्जा कर चुकी है. वानरों ने शासन अपने हाथ में ले लिया है. उनकी टेबलों पर पेन और पैड देखे जा सकते हैं जहां वो एक डायनासोर से निर्देश प्राप्त कर रहे हैं.

निर्देश मिलने के बाद उन्होंने विभिन्न माध्यमों पर सबसे पहला काम दिल्ली की सरकार को गरियाने का किया जो लाजिमी था. इन गालियों के जवाब में केजरीवाल ने गीता पाठ करने की सलाह दी और कहा कि वो खुद भी यही कर रहे हैं.

गीता से याद आया कि गीता में लिखा हुआ है कि कर्म करते रहो फल की चिंता मत करो. इसलिए मैंने इसे मानते हुए लिखने का अपना कर्म किया. अब इस पर गाली आएगी तो मैं उसकी चिंता नहीं करूंगा. उन्हें बिना पढ़े डिलीट करूंगा.

Jey Sushil की वाल से...

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