साहित्य
एकता नाहर की कविता- सपाट सीने वाली लड़कियां
मध्यप्रदेश के दतिया जिले की रहने वाली एकता नाहर पत्रकारिता और लेखन से जुड़ी हुई हैं. उनका एक कविता संग्रह ‘सूली पर समाज’ आ चुका है. उनकी कविता- सपाट सीने वाली लड़कियां.... सोशल मीडिया पर जमकर वायरल हो रही है. यह कविता मरद नामक जात पर करारा तमाचा है.
सपाट सीने वाली लड़कियां हर जगह से ठुकराई गयीं
रिश्ते की बात करने आए लड़के वालों ने
जब नजर भर के उसे देखा तो फिर
उसका कोई और हुनर मायने न रहा
पुलिस की नौकरी में आवेदन करने से भी,
लोक सेवा आयोग ने शर्तों में लिखा है
कि कितने इंच का होना चाहिए सीना
किसी चित्रकार ने अपने खूबसूरत चित्रों में
जगह नहीं दी उस स्त्री को
जिसके सीने पे उभार न था
चित्र बनाने के लिए सुडौल शरीर का बिम्ब सबसे आकर्षक था.
आए दिन देखा तिरस्कार
सहेलियों की बातों में, पति की नज़रों में
अंतरंग क्षणों में भी वो प्रेमी के सामने सहमी-सहमी सी रही
कभी खुद को ही आइने में देख हुई शर्मिंदा
कभी पैडेड ब्रा में छिपाती रही खुद से खुद को ही
उसके लिए छाती पर दुपट्टा डालना
भरे बदन वाली लड़की जितना ही जरूरी था
ताकि वो बचा सके खुद को उस पर हंसती हुई लालची नज़रों से
हां...भरे बदन का मतलब भरी हुई छातियों से ही है शायद.
ये लोग नहीं कर सके उन्हें पूरा प्रेम
लेकिन इन सबने चुटकुले बना कर हंसा उन पर खूब
क्योंकि हम बड़े हुनर बाज हैं
हर चीज को अपने चुटकुलों में जगह देते हैं.