साहित्य

दिल की बात दिल से...चंद्रशेखर देवांगन की रचनाएं

दिल की बात दिल से...चंद्रशेखर देवांगन की रचनाएं

शायद ही कोई ऐसा हो जो छत्तीसगढ़ शासन के आबकारी मंत्री कवासी लखमा को पसंद न करता हो. राजनीति के जानकार कहते हैं कि अगर लखमा मंत्री नहीं भी होते तो भी उनकी सरलता और सहजता उनकी लोकप्रियता को कम नहीं करती. मंत्री लखमा के विशेष सहायक चंद्रशेखर देवांगन भी कुछ इसी तरह से है. उनका मिलनसार व्यवहार सबको अचंभे में डाल देता है और आकर्षित करता है. यकीन न हो तो कभी मिलकर देखिए... आपको निराशा नहीं होगी. दरअसल इस व्यवहार के पीछे चंद्रशेखर देवांगन की साहित्यिक अभिरुचि है. वे जब भी वक्त मिलता है लिखते-पढ़ते हैं. किसी ने सच ही कहा है कि साहित्य एक मनुष्य के भीतर मनुष्यता को जीवित रखने में मददगार होता है. यहां अपना मोर्चा डॉट कॉम की तरफ से प्रस्तुत है उनकी पांच रचनाएं. इन रचनाओं में ज्यादातर बात दिल की है, मगर दिल से हैं.

 

( एक )

कभी प्यार तो कभी परिवार की खातिर 

मर मर के जी रहे हैं सरकार की खातिर.

ये जिन्दगी सहरा है कभी प्यास ना बुझेगी

जब तक ना जीयेंगे मरेंगे यार की खातिर.

अपनों  के हुए हम ना  गैरों  के  हो  सके

क्या खूब हम जीये परवरदिगार की खातिर.

दिन तो किसी को दे दिए रात आई ही नहीं

रूत कोई ना आई मुझ गुनाहगार की खातिर.

बीपी शुगर दिल का भी रोग क्या कहें

लाखों मरज़ पाले दिन चार की खातिर.

प्रशस्ति से प्रेरित कभी सो-काज़ के  चक्कर में 

दिल अपना दुखाया महल औ दरबार की खातिर.

 

( दो )

हां...

मुझे भी करनी है ,

ढेर सारी गुफ्तगू.

कहना है हाल-ए दिल

सुनना है दर्द-ए दिल.

उलझनें

ना जाने कितनी

मन में ही उलझी हैं.

दो पल की फुरसत का 

कर रहा

इन्तेज़ार मुद्दत से.

जाने कब कर पाऊंगा 

ढेर सारी बातें

खुद से.

 

( तीन )

तुम ना मिलो ना चांद दिखे, 

वो रात बेरहमी लगती है.

तुम क्या जानो तुम बिन सांसें 

सहमी-सहमी लगती हैं.  

तेरी आंखों की गहराई में

मैं ना जाऊं डूब कहीं 

अब मेरे हाथों की लकीरें 

बदली-बदली लगती हैं.

( चार )

भटकता ढूंढता रहा मैं

जिस गुलशन में रात भर.

वो सुबह सिराहने मिली 

ओस की बूंद बनकर.

पूनम का चांद आया था 

चुपके से रात मेरे घर

सुबह गया सूरज की

रोशनी बिखेरकर

 

( पांच )          

तुम बिन

आंखों ने कोई ख्व़ाब ना देखा

तेरे जाने के बाद.

प्यार ने परवाज़ ना देखा

तेरे जाने के बाद.

 

मैंने तुमको टूटकर  चाहा

उसका क्या अंजाम बताओ.

जीने का नहीं तो मौत सही

कुछ मेरे लिए सामान सजाओ.

अश्क़ों से अशआर लिखा

 तेरे जाने के बाद.

आंखों ने कोई ख्व़ाब ना देखा

 तेरे जाने के बाद.

 

खत ना लिखे ना तार किया

कोई तेरा सन्देश ना लाता

तुममें कुछ मेरा प्रेम बचा हो

कोई मुझको यकीन दिलाता.

तेरा कोई इश्तहार ना देखा

तेरे जाने के बाद.

आंखों ने कोई ख्व़ाब ना देखा

तेरे जाने के बाद.

 

 

 

 

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