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पुलिस अफसर मुकेश गुप्ता का रेखा से कनेक्शन

रायपुर. चौकिए मत... यह वह रेखा नहीं है जो फिल्म अभिनेत्री है और जिसका नाम कभी विनोद मेहरा, अभिताभ बच्चन और उद्योगपति मुकेश अग्रवाल से जुड़ा था. छत्तीसगढ़ के पुलिस महकमे में भी एक रेखा पदस्थ रही है जिसका पूरा नाम रेखा नायर है. पूर्व गृहमंत्री ननकीराम कंवर ने कुछ दिनों पहले मुख्यमंत्री भूपेश बघेल को जो शिकायत सौंपी है उसमें रेखा नायर का जिक्र है. ननकीराम का कहना है कि पुलिस अफसर मुकेश गुप्ता का रेखा नायर से अवैध कनेक्शन रहा है. ननकीराम ने रेखा नायर को मुकेश गुप्ता के खिलाफ की जांच की एक अहम कड़ी बताते हुए उसे सुरक्षा देने की मांग भी की है.

नागरिक आपूर्ति निगम में हुए घोटाले की जांच के दौरान साजिश रचने, रसूखदार लोगों को बचाने के साथ-साथ फोन टेप करवाने का आरोप लगने के बाद ईओडब्लू ने पुलिस अफसर मुकेश गुप्ता और रजनेश सिंह के खिलाफ मामला पंजीबद्ध कर लिया गया है. इस बारे में पूर्व गृहमंत्री ननकीराम कंवर ने 9 जनवरी 2019 को मुख्यमंत्री को सौंपे गए पत्र में यह साफ कर दिया था कि कुछ पुलिसकर्मी, शराब व्यवसाय से जुड़े लोग मुकेश गुप्ता से सांठ-गांठकर इंटरसेप्टरों का संचालन कर रहे थे. ननकीराम का आरोप है कि मुकेश गुप्ता ने अवैध क्रिया-कलापों में लिप्त लोगों को विधायकों, सांसदों, न्यायिक अधिकारियों, प्रमुख व्यापारियों, पत्रकारों के फोन टेप करने के काम में झोंक रखा था. ननकीराम की शिकायत में उल्लेखित है कि मुकेश गुप्ता ने रेखा नायर को जबरिया केरल भेज दिया है ताकि किसी भी तरह की जांच होने की सूरत में वह जांच एजेंसी के सम्मुख प्रस्तुत ही न हो. उन्होंने आगे लिखा है- मेरी जानकारी में यह बात भी आई है  कि रेखा नायर ने केरल में भारतीय पुलिस सेवा के अफसर  मुकेश गुप्ता के खिलाफ दैहिक शोषण किए जाने की शिकायत भी की  थी जिसे धमकाकर वापस करवा दिया गया है. ननकी का कहना है कि रेखा को खम्हारडीह स्थित मारुति सालिटेयर जैसी महंगी कालोनी में आलीशान मकान दिलवाया गया था और वहीं से अवैध इंटरसेप्टर का संचालन किया जाता था.

पन्द्रह हजार लोगों का फोन टेप

इधर खबर है कि छत्तीसगढ़ पुलिस ने रेखा के बारे में बड़ी  महत्वपूर्ण जानकारी जुटा ली है. बताते है कि उसने 15 हजार से ज्यादा लोगों का फोन टेप किया था. सूत्रों के मुताबिक महत्वपूर्ण लोगों की फोन टैपिंग के लिए अलग-अलग तीन मशीनें इस्तेमाल की जाती थी. एक मशीन का इस्तेमाल शराब माफिया के निवास पर होता था तो दूसरी मशीन सुपर सीएम के चिप्स को देखने वाले लोग करते थे जबकि तीसरी मशीन का संचालन रेखा के हाथों में था.

 

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रमन के इशारे पर साजिश रच रहे थे मुकेश गुप्ता और रजनेश

रायपुर. कुख्यात पुलिस अफसर मुकेश गुप्ता और रजनेश सिंह पर कई बड़ी धाराओं के तहत मामला दर्ज होने के बाद छत्तीसगढ़ के प्रशासनिक और राजनीतिक गलियारों में हलचल मच गई है. प्रशासन और राजनीति के मूर्धन्य भूपेश सरकार की इस तगड़ी कार्रवाई का समर्थन कर रहे हैं. दरअसल पिछले पन्द्रह साल में मुकेश गुप्ता और सुपर सीएम अमन सिंह के बारे में एक आम धारणा बन गई थीं कि दुनिया की कोई भी ताकत इन दोनों का बाल बांका नहीं कर सकती, लेकिन भूपेश बघेल ने मुख्यमंत्री बनने के बाद यह साबित कर दिया कि कानून सबके लिए बराबर है. इधर छत्तीसगढ़ कांग्रेस की नेत्री और अधिवक्ता किरणमयी नायक ने एक बयान जारी कर पूर्व मुख्यमंत्री रमन सिंह को लपेटे में लिया है. उन्होंने रमन सिंह से यह जानना चाहा है कि बदलापुर-बदलापुर का राग आलापने वाले रमन सिंह को यह तो बताना ही चाहिए कि पन्द्रह सालों तक प्रशासनिक अफसरों, पत्रकारों और अन्य महत्वपूर्ण लोगों का फोन टेप कर उन्हें साजिश के तहत फंसाने वाले मुकेश गुप्ता और रजनेश सिंह के पीछे किसका दिमाग काम कर रहा था. किरणमयी ने कहा कि तमाम तरह के लोकतांत्रिक मूल्यों को दरकिनार कर पूर्व मुख्यमंत्री अपने चहेते अफसर मुकेश गुप्ता और रजनेश सिंह से साजिश के तहत काम करवा रहे थे. दोनों अफसर अवैध रुप से लोगों का फोन टेप कर राजनीति और प्रशासन से जुड़े लोगों को ब्लैकमेल करते थे.

उन्होंने कहा कि पिछले पंद्रह वर्षों में इस राज्य का बच्चा-बच्चा यह जानने लगा था कि छत्तीसगढ़ में मोबाइल फ़ोन पर बात करना सुरक्षित नहीं है. चाहे राजनीतिक दलों के लोग हों या अफसर ,पत्रकार ,सामाजिक कार्यकर्ता या मानवाधिकार कार्यकर्ताओं से लेकर व्यापारी वर्ग तक इंटरनेट कॉलिंग में यकीन करने लगा था .चर्चा तो ये भी होती थी कि मुकेश गुप्ता या रजनीश सिंह जैसे अफसर अपने आकाओं के इशारे पर सत्तारूढ़ पार्टी के नेताओं और सरकार के मंत्रियों तक के फ़ोन कॉल्स अवैध रूप से सुनते थे .रमन सरकार ने हर स्तर पर लोकतांत्रिक मूल्यों का ही हनन नहीं किया बल्कि नागरिकों की निजता के संवैधानिक अधिकारों पर भी हमला किया है.

 

 

 

 

 

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झमेले में फंस गए महंत

रायपुर. पूर्व मुख्यमंत्री अजीत जोगी के हटने के बाद अब कांग्रेस में पहले जैसी सिर-फुटौव्वल वाली स्थिति नहीं है, बावजूद इसके वरिष्ठ नेता चरणदास महंत एक बेमतलब के झमेले में फंस गए हैं. झमेले में फंसने का यह मामला जाज्वल्य देव लोक महोत्सव एवं एग्रीटेक मेले से जुड़ा हुआ है. महंत इस कार्यक्रम में शिरकत करने गए थे कि अचानक वहां मौजूद मीडियाकर्मियों ने नारेबाजी प्रारंभ कर दी. मीडियाकर्मी जांजगीर-चांपा के मुख्यकार्यपालन अधिकारी को हटाने की मांग कर रहे थे. काफी देर तक नारेबाजी के बाद भी जब मामला शांत नहीं हुआ तो महंत ने नारेबाजी का निहितार्थ समझने की कोशिश की. पता चला कि मामला विज्ञापन से जुड़ा हुआ है. पिछले साल जब राज्य में रमन सिंह की सरकार थी तब छोटे-बड़े 42 अखबार और 13 न्यूज चैनल वालों को जाज्वल्य देव लोक महोत्सव का विज्ञापन दिया गया था. इस बार बजट पारित नहीं होने की वजह से मुख्य कार्यपालन अधिकारी केवल 17 अखबार और 9 न्यूज चैनल को विज्ञापन जारी किया. विज्ञापन से वंचित अखबार और चैनल वालों का गुस्सा भड़का तो महंत ने समझाया कि राज्य का बजट पारित होने के बाद वे स्वयं मुख्यमंत्री से आग्रह करेंगे... मामला शांत नहीं हुआ तो महंत को कहना पड़ा- जो महोत्सव में रहना चाहते हैं रहे और जिन्हें नहीं रहना है वे चले जाए... उनके इतना कहते ही मामले ने तूल पकड़ लिया और फिर उन्हें भी पत्रकारों के साथ खराब व्यवहार करने वाले नेताओं की श्रेणी में शामिल कर लिया गया. बुधवार को जब उन्होंने पहली बार विधानसभा का निरीक्षण करने के बाद पत्रकारों को संबोधित किया तो उनके चेहरे पर एक उदासी भी दिखाई दी. पत्रकारों के सारे सवालों का उन्होंने सिलसिलेवार जवाब दिया, लेकिन जाज्वल्य देव महोत्सव का सवाल वे टाल गए. अविभाजित मध्यप्रदेश हो या फिर छत्तीसगढ़... राजनीति में उन्हें देखने-समझने जानते हैं कि महंत बड़े से बड़े सवालों का जवाब बेहद शालीनता से देते रहे हैं. बुधवार को भी जब वे पत्रवार्ता लेने से पहले सभी पत्रकारों से निजी तौर पर मिलने पहुंचे तो पत्रकारों ने भी यह कहते हुए बधाई दी- अब लग रहा है कि हमारे विधानसभा अध्यक्ष सेठ नहीं है.

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मुकेश गुप्ता का जेल जाना तय... अमन सिंह पर भी होगी बड़ी कार्रवाई

रायपुर. भले ही पन्द्रह विधायकों का मुट्ठी भर विपक्ष कांग्रेस पर बदलापुर की राजनीति करने का आरोप लगा रहा है, लेकिन साजिश रचने वालों के खिलाफ लगातार धमाकेदार तरीके से की जा रही कार्रवाई ने भूपेश बघेल को एक दमदार और जानदार मुख्यमंत्री के रुप में स्थापित कर दिया है. हालांकि राजनीति के चंद अखबारी धुंरधरों, पंड़ितों और दलालों को भाजपाइयों-अफसरों पर की जा रही कार्रवाई नागवार गुजर रही है, लेकिन छत्तीसगढ़ को लूटतंत्र में बदलने वालों के खिलाफ की जा रही कार्रवाई से आम छत्तीसगढ़िया खुश है. सामंती तौर-तरीके से पन्द्रह साल तक राज करने वाली पार्टी के लोग शायद ही कभी यह जान पाएंगे कि देशज का मतलब देशज ही होता है. बहरहाल छत्तीसगढ़ में पुलिसिया आतंक से परेशान होने वाले लोगों के लिए एक खुशखबरी है. खुशखबरी यह है कि आतंक का पर्याय समझे जाने वाले पुलिस अफसर मुकेश गुप्ता पर आर्थिक अपराध अन्वेषण ब्यूरो ने धारा 166, 166 ए ( बी ), 167, 193, 194, 196, 201, 218, 466, 467, 471 और 120 बी के तहत मामला दर्ज कर लिया है. उनके साथ नारायणपुर के पुलिस अधीक्षक रजनेश सिंह पर भी इन्ही धाराओं के तहत प्रकरण पंजीबद्ध किया गया है. इन अफसरों पर जिन धाराओं के तहत मामला दर्ज किया गया है उसके बाद उनका जेल जाना तय माना जा रहा है. इन दोनों अफसरों पर एफआईआर के बाद सुपर सीएम अमन सिंह पर भी बड़ी कार्रवाई तय मानी जा रही है. फिलहाल अफसरों पर आरोप है कि उन्होंने नागरिक आपूर्ति निगम के प्रकरण की जांच के दौरान झूठा साक्ष्य गढ़ा, आपराधिक साजिश रचते हुए मामले में शामिल रसूखदार लोगों को बचाया और अवैध तरीके से फोन की टैपिंग की.

अमन सिंह पर भी होगी एफआईआर

इधर सूत्रो का दावा है कि रमन सिंह के प्रमुख सचिव रहे अमन कुमार सिंह पर भी जल्द ही एफआईआर दर्ज हो सकती है. फिलहाल तो उनके खिलाफ प्रधानमंत्री कार्यालय से राज्य सरकार को जांच के लिए भेजे गए पत्र के आधार पर जांच चल रही है. सरकार ने दिल्ली की निवासी विजया मिश्रा की शिकायत के बाद मामले की जांच के लिए एसआईटी गठित की है. खुद को देश का सबसे ताकतवर नौकरशाह बताने वाले अमन सिंह पर आरोप है कि उन्होंने आईआरएस से वीआरएस यानि स्वैच्छिक सेवानिवृति लेने के बाद अपनी संविदा नियुक्ति के दौरान इस तथ्य को छिपाया था कि उनके खिलाफ कभी किसी तरह की कोई जांच लंबित नहीं है. विजया मिश्रा ने दावा किया है कि छत्तीसगढ़ में डेपुटेशन से पहले 2001-2002 में जब वे कस्टम एंड सेंट्रल एक्साइज डिपार्टमेंट बैंगलुरू में पदस्थ थे तब भ्रष्टाचार के एक मामले में उनके खिलाफ जांच की गई थी. उन्हें सीबीआई जांच की प्रक्रिया से गुजरना पड़ा था. सूत्रों का कहना है कि विजया मिश्रा की शिकायत के अलावा सरकार को उनके संबंध में कुछ अन्य सनसनीखेज शिकायतें भी हासिल हुई है. फिलहाल सरकार  सभी शिकायतों का परीक्षण करवा रही है.

वीरेंद्र पांड़े की शिकायत पर भी होगी जांच

भाजपा के पूर्व विधायक एवं वित्त आयोग के पूर्व अध्यक्ष वीरेंद्र पांडे ने विवादित पुलिस अफसर मुकेश गुप्ता और रजनेश सिंह के खिलाफ शिकायत दी है. उनकी शिकायत पर भी जांच प्रारंभ हो गई है.पांडे ने पिछले दिनों मुख्यमंत्री को दस्तावेजों के साथ शिकायत सौंपकर यह जानकारी दी थी कि अगर कोई रिपोर्ट लिखवाना चाहे तो पुलिस  रेगुलेशन एक्ट के पैरा 710 और विधि की धारा 154 के तहत प्रथम सूचना दर्ज की जाती है, लेकिन अफसर मुकेश गुप्ता और रजनेश सिंह छत्तीसगढ़ के अफसरों और जनता को फर्जी मुकदमों का भय दिखाकर मामला दर्ज करते थे. पांडे  ने कई मामलों के उदाहरण देते हुए कहा कि आर्थिक अपराध अन्वेषण ब्यूरो ने अपराध क्रमांक 53/ 2014 में प्रथम इत्तिला सूचना पृष्ठ क्रमांक 30, 31 एवं 32 तथा 34 में दर्ज की है. इसी तरह अपराध क्रमांग 54/ 2014 की प्रथम इत्तिला सूचना पृष्ठ क्रमांक 34, 35, 36 एवं 37 में दर्ज है. अपराध क्रमांक 55/ 2014 की प्रथम सूचना 38, 39, 40 एवं 41 नंबर के पेज में दर्ज है और अपराध क्रमांग 57/ 2014 की सूचना 42, 43, 44 एवं 45 में उल्लेखित है. महत्वपूर्ण तथ्य यह है कि अपराध क्रमांक 56/ 2014 को प्रथम इत्तिला पुस्तक के पेज नंबर 42, 43, 44, 45 में लेख किया जाना था, लेकिन विजय सिंह ठाकुर, गोविंदराम देवांगन, अबरार बेग, बीडीएस नरबरिया जिनके पास से करोड़ों रुपए की संपत्ति जप्त की गई थीं के खिलाफ प्रथम इत्तिला पुस्तक के बजाय कम्प्यूटर में फर्जी  एफआईआर दर्ज की गई. जब इन लोगों से रिश्वत प्राप्त कर ली गई और कम्प्यूटर के सादे कागज की फर्जी एफआईआर फाड़ दी गई और एक इंजीनियर आलोक अग्रवाल के खिलाफ प्रथम इत्तिला पुस्तक के पृष्ठ क्रमांक 43, 44 एवं 45 में लेख कर दिया गया. पांडे का कहना है कि अपराध क्रमांक 5/ 2015 की जानकारी प्रथम इत्तिला पुस्तक में दर्ज नहीं है. इसे कम्प्यूटर में सादे कागज में लेख किया गया है. इंजीनियर आलोक अग्रवाल से मुकेश गुप्ता और रजनेश सिंह ने रिश्वत की मांग की. जब उसने देने से मना कर दिया तो उसके खिलाफ एफआईआर दर्ज कर दी गई. अबरार बेग, गोविंद राय, विजय सिंह ठाकुर, गोविंदराम देवांगन, बीड़ीएस नरबरिया जैसे लोग जिनके पास से करोड़ों रुपए बरामद हुए थे उनसे रिश्वत लेकर कम्प्यूटर में लिखी गई शिकायत फाड़ दी गई. पांडे ने मुख्यमंत्री को अपने आरोपों की पुष्टि के लिए और भी कई तरह के प्रकरणों के उदाहरण दिए. पांडे ने कहा कि मुकेश गुप्ता और रजनेश सिंह सांठगांठ कर अफसरों और अन्य लोगों के घरों पर छापामार कार्रवाई करते थे. उनकी हर कार्रवाई कानून सम्मत न होकर कूटरचित होती थीं.

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रिश्वत लेकर एफआईआर फाड़ देते थे मुकेश गुप्ता... वीरेंद्र पांडे ने सौंपी सीएम को शिकायत

रायपुर. पूर्व मुख्यमंत्री डाक्टर रमन सिंह कांग्रेस सरकार पर बदलापुर-बदलापुर का राग आलापते हुए बदले की राजनीति करने का आरोप लगा रहे हैं, लेकिन हकीकत यह है कि इन दिनों रमन सरकार के पन्द्रह सालों में हुए घोटालों की जांच की मांग भाजपाई ही कर रहे हैं. पूर्व गृहमंत्री ननकीराम कंवर, भाजपा के प्रवक्ता गौरीशंकर श्रीवास के बाद शुक्रवार को भाजपा के पूर्व विधायक एवं वित्त आयोग के पूर्व अध्यक्ष वीरेंद्र पांडे ने विवादित पुलिस अफसर मुकेश गुप्ता और रजनेश सिंह के खिलाफ शिकायत सौंपी है. अपनी शिकायत में पांडे ने कई गंभीर आरोप लगाए हैं. पांडे का आरोप है कि मुकेश गुप्ता और रजनेश सिंह कम्प्यूटर पर भी एफआईआर लिखते थे और तगड़ा माल देने वालों की एफआईआर फाड़ दी जाती थीं.

दस्तावेजों के साथ सौंपी शिकायत

पांडे ने मुख्यमंत्री को दस्तावेजों के साथ शिकायत सौंपकर दोनों अफसरों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की है. सिलसिलेवार जानकारी देते हुए पांडे ने कहा कि अगर कोई रिपोर्ट लिखवाना चाहे तो पुलिस  रेगुलेशन एक्ट के पैरा 710 और विधि की धारा 154 के तहत प्रथम सूचना दर्ज की जाती है, लेकिन अफसर मुकेश गुप्ता और रजनेश सिंह छत्तीसगढ़ के अफसरों और जनता को फर्जी मुकदमों का भय दिखाकर मामला दर्ज करते थे. पांडे  ने कई मामलों के उदाहरण देते हुए कहा कि आर्थिक अपराध अन्वेषण ब्यूरो ने अपराध क्रमांक 53/ 2014 में प्रथम इत्तिला सूचना पृष्ठ क्रमांक 30, 31 एवं 32 तथा 34 में दर्ज की है. इसी तरह अपराध क्रमांग 54/ 2014 की प्रथम इत्तिला सूचना पृष्ठ क्रमांक 34, 35, 36 एवं 37 में दर्ज है. अपराध क्रमांक 55/ 2014 की प्रथम सूचना 38, 39, 40 एवं 41 नंबर के पेज में दर्ज है और अपराध क्रमांग 57/ 2014 की सूचना 42, 43, 44 एवं 45 में उल्लेखित है. महत्वपूर्ण तथ्य यह है कि अपराध क्रमांक 56/ 2014 को प्रथम इत्तिला पुस्तक के पेज नंबर 42, 43, 44, 45 में लेख किया जाना था, लेकिन विजय सिंह ठाकुर, गोविंदराम देवांगन, अबरार बेग, बीडीएस नरबरिया जिनके पास से करोड़ों रुपए की संपत्ति जप्त की गई थीं के खिलाफ प्रथम इत्तिला पुस्तक के बजाय कम्प्यूटर में फर्जी  एफआईआर दर्ज की गई. जब इन लोगों से रिश्वत प्राप्त कर ली गई और कम्प्यूटर के सादे कागज की फर्जी एफआईआर फाड़ दी गई और एक इंजीनियर आलोक अग्रवाल के खिलाफ प्रथम इत्तिला पुस्तक के पृष्ठ क्रमांक 43, 44 एवं 45 में लेख कर दिया गया. पांडे ने कहा कि अपराध क्रमांक 5/ 2015 की जानकारी प्रथम इत्तिला पुस्तक में दर्ज नहीं है. इसे कम्प्यूटर में सादे कागज में लेख किया गया है. इंजीनियर आलोक अग्रवाल से मुकेश गुप्ता और रजनेश सिंह ने रिश्वत की मांग की. जब उसने देने से मना कर दिया तो उसके खिलाफ एफआईआर दर्ज कर दी गई. अबरार बेग, गोविंद राय, विजय सिंह ठाकुर, गोविंदराम देवांगन, बीड़ीएस नरबरिया जैसे लोग जिनके पास से करोड़ों रुपए बरामद हुए थे उनसे रिश्वत लेकर कम्प्यूटर में लिखी गई शिकायत फाड़ दी गई. पांडे ने मुख्यमंत्री को अपने आरोपों की पुष्टि के लिए और भी कई तरह के प्रकरणों के उदाहरण दिए. पांडे ने कहा कि मुकेश गुप्ता और रजनेश सिंह सांठगांठ कर अफसरों और अन्य लोगों के घरों पर छापामार कार्रवाई करते थे. उनकी हर कार्रवाई कानून सम्मत न होकर कूटरचित होती थीं. पांडे  ने कहा कि अगर उनके आरोपों की एफएसएल से परीक्षण कराया जाएगा तो मुकेश गुप्ता और रजनेश सिंह को जेल जाने से कोई नहीं रोक पाएगा. पांडे के शिकायत के बाद मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने पुलिस महानिदेशक को जांच करने का निर्देश दिया है.

 

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जिन्हें होना चाहिए जेल में वे घूम रहे हैं निज सचिव बनने के लिए

रायपुर. भाजपा शासनकाल में लोग मंत्रियों का निज सचिव बनने के लिए एड़ी-चोटी का जोर लगाया करते थे. कमोबेश यही स्थिति अब भी बरकरार है. हालांकि नई सरकार के मंत्री देख-समझकर निज सचिवों की नियुक्ति कर रहे हैं बावजूद इसके उठापटक बंद नहीं हुई है. खबर है कि समाज कल्याण विभाग के कतिपय अफसर और सेवानिवृत कर्मचारी सबसे ज्यादा जोड़-तोड़ में लगे हुए हैं.

विभाग के एक सेवानिवृत अफसर मिश्रीलाल पर काफी समय पहले आर्थिक अपराध अन्वेषण ब्यूरो ने छापामार कार्रवाई की थी और लंबी-चौड़ी संपत्ति का पता लगाया था. इस अफसर के खिलाफ अब तक चालान पेश नहीं किया है. यह अफसर इन दिनों एक मंत्री के निवास पर नियमित रुप से देखा जा रहा है. विभाग में अशोक तिवारी नाम का एक ऐसा कर्मचारी भी कार्यरत था जिस पर करोड़ों रुपए के गबन का आरोप लग चुका है. गौरतलब है कि इस शख्स ने दृष्टि- श्रवण एवं अस्थि बाधित शासकीय विद्यालय में अपनी पदस्थापना के दौरान कई तरह की गड़बड़ियों को अंजाम दिया था. एक गंभीर शिकायत के बाद विभाग के अवर सचिव पी श्रीवास्तव ने अशोक तिवारी के खिलाफ एफआईआर दर्ज कर कठोर कार्रवाई करने के निर्देश दिए थे, लेकिन इस कर्मचारी की रिपोर्ट लिखवाना तो दूर उल्टे कर्मचारी को पद्दोन्नति देकर सेवानिवृत कर दिया गया.यह कर्मचारी भी एक मंत्री के आगे-पीछे घूम रहा है. विभाग में और भी कई ऐसे अफसर और कर्मचारी है जिन पर दिव्यांगों के पैसों को हड़पने का आरोप लगता रहा है. अफसरों की लूटमारी को संरक्षण देने के लिए विभाग में पदस्थ किए गए हर संचालक पर भी शक की सुई घूमती रही है. फिलहाल विभाग कई कर्मचारी और अफसर बरसों से एक ही जगह पर जमे हुए हैं और आर्थिक गड़बड़ियों को अंजाम देने में लगे हुए हैं.

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शराब के समुंद्र में गोता लगाने वाले समुंद्र सिंह को गिरफ्तार करने की मांग

रायपुर. रमन सिंह की सरकार में नौ साल तक शराब के समुंद्र में गोता लगाकर ठेकेदारों को अरबपति बनाने और सरकार को चूना लगाने वाले समुंद्र सिंह को गिरफ्तार करने की मांग उठी है. जनता कांग्रेस के प्रवक्ता नितिन भंसाली का आरोप है कि समुंद्र सिंह ने शराब ठेकेदारों को लाभ पहुंचाने के लिए सारे नियम- कानून ताक पर रख दिए थे. शराब की बिक्री पर 50 से 60 तक प्रॉफिट मार्जिन यानि लाभ दिया गया जो कि अन्य राज्यों की तुलना में बेहद ज्यादा था. उल्लेखनीय है कि भाजपा के शासनकाल में शराब के मूल्य निर्धारण का कोई मापदंड नही था. एक दुकान में शराब का रेट अलग था तो दूसरी दुकान में अलग रेट. अलग-अलग दर पर बिक्री का लाभ सीधे तौर पर समुंद्र सिंह को मिलता था. लोकल ब्रांड की शराब बिना मापदंडों के परीक्षण के मनमाने तरीके से इंडियन मेड फारेन लिकर की श्रेणी में रख दी जाती थीं और स्थानीय स्तर पर निर्मित होने वाली शराब की बिक्री महंगे दर पर की जाती थी.

नौकरों को भी दिलवाई शराब दुकानें

भंसाली ने बताया कि वर्ष 2012 से वर्ष 2017 तक शराब दुकानों का आवंटन लॉटरी के माध्यम से होता था जिसका लाभ शराब ठेकेदारों ने उठाया. ठेकेदारों ने रामलाल, श्यामलाल, मांगीलाल जैसे नौकरों को भी दुकानें दिलवाई. इस खेल में समुंद्र सिंह की भूमिका बेहद महत्वपूर्ण थीं. जिन नौकरों ने दुकानें हासिल की उनका टर्न ओवर करोड़ों में बताया गया जिसका एक रुपया भी आयकर विभाग को नहीं चुकाया गया. हकीकत यह थी कि जिन लोगों के नाम पर दुकानें आवंटित थीं खुद उन्हें ही यह नहीं पता था कि वे अरबपति है. भंसाली ने कहा कि फिलहाल समुंद्र सिंह अंडर ग्राउंड हो गए हैं, लेकिन उन्हें गिरफ्तार कर उनसे कड़ी पूछताछ होनी चाहिए. भंसाली ने कहा कि समुंद्र सिंह को लगभग पांच हजार करोड़ से अधिक का गड़बड़झाला किया है. उनकी धरपकड़ से कई और चेहरे बेनकाब होंगे.

 

 

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सावधान..होशियार... आबकारी महकमा ढूंढ रहा है समुंद्र सिंह को

रायपुर. छत्तीसगढ़ में अब से दो महीने पहले तक चपरासी से लेकर अफसर का सिंह होना अनिवार्य था. कह सकते हैं कि सिंह लॉबी काफी हावी थीं. इस लॉबी में आबकारी महकमे में संविदा में लगभग नौ साल से तैनात विशेष कर्तव्यस्थ अधिकारी समुंद्र सिंह का नाम भी शामिल था. लेकिन जैसी ही सरकार बदली समुंद्र सिंह ने इस्तीफा दे दिया और अब किसी अज्ञात स्थान पर चले गए हैं. इधर  आबकारी महकमा समुंद्र सिंह की तलाश कर रहा है. वजह यह है कि समुंद्र सिंह को नौकरी से इस्तीफा से देने से पहले नोटिस देना था कि वे अब नौकरी नहीं कर सकते. उन्हें एक महीने की तनख्वाह भी जमा करनी थीं. लेकिन उन्होंने ऐसा नहीं किया और अचानक-भयानक ढंग से गायब हो गए. नियमानुसार अब आबकारी महकमा उनके विधायक कालोनी स्थित 36 नंबर के मकान पर नोटिस चस्पा करने के लिए चक्कर काट रहा है. आबकारी विभाग के आयुक्त कमलप्रीत ने बताया कि समुंद्र सिंह के नाम पर नोटिस जारी किया गया है, लेकिन वे मिल नहीं रहे हैं. यहां तक उनका फोन नंबर भी बंद है.

छत्तीसगढ़ में पूर्ववर्ती सरकार ने शराब ठेके की नीलामी को बंद कर सरकारी दुकान को खोलने का जो निर्णय लिया था उसके पीछे समुंद्र सिंह की ही भूमिका मानी जाती है. आबकारी विभाग की सूत्रों की मानें तो शराब दुकानों के सरकारीकरण के बाद समुंद्र सिंह का ओहदा काफी बढ़ गया था. उन पर यह आरोप भी लगता रहा है कि वे एक शराब माफिया के बेहद करीबी थे और उस माफिया के इशारे पर यह तय करते थे कि किस शराब दुकान में कौन सी ब्रांड बेची जाएंगी. पूर्व आबकारी मंत्री अमर अग्रवाल करीबी समझे जाने वाले समुंद्र सिंह पर यह भी आरोप भी लगा कि संविदा में रहने के दौरान उन्होंने कई ऐसे लोगों को लाभ पहुंचाया जो न तो शराब के क्रेता थे और न ही विक्रेता. जब ठेका पद्धति लागू थीं तब रामलाल-श्यामलाल सहित अन्य कई लोग शराब दुकान का ठेका पाने में सफल हो गए थे. इधर जनता कांग्रेस के प्रवक्ता नितिन भंसाली का कहना है कि समुंद्र सिंह भले ही कहीं जाकर छिप गए हों, लेकिन उन्हें खोजकर पूछताछ जरूरी है. भंसाली का आरोप है कि समुंद्र सिंह ने संविदा में पदस्थ रहने के दौरान कम से कम पांच हजार करोड़ का घोटाला किया है. भंसाली ने मुख्यमंत्री भूपेश बघेल से समुंद्र सिंह के प्रत्येक कारनामों के जांच की मांग भी की है.

 

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वन खेल में बड़ा खेल... रमन का चहेता श्री निवास राव फिर आरोपों के घेरे में

रायपुर.पूर्व मुख्यमंत्री डाक्टर रमन सिंह के बेहद करीबी और खास माने जाने वाले भारतीय वन सेवा के अफसर श्री निवास राव एक बार फिर आरोपों से घिर गए हैं. उन पर राष्ट्रीय वन खेलों के लिए ब्रांडेड कंपनियों के नाम पर नकली ट्रेक सूट, टीशर्ट, जूते तथा अन्य खेल सामाग्री खरीदने का आरोप लगा है. सामाजिक कार्यकर्ता कुणाल शुक्ला ने शनिवार को एक आडियो जारी किया है जिसमें एक शख्स उन्हें यह जानकारी दे रहा है कि वन अफसर राव ने एडिडास जैसी नामी के नाम पर नकली ट्रेक सूट खरीद लिया है. बातचीत से यह भी पता चलता है कि खेल के आयोजन के लिए साढ़े तीन सौ इनोवा और साढ़े चार सौ बसें चलाई गई और बगैर टेंडर के ढ़ाई सौ अफसरों के लिए बैलेजर बनवा लिया गया. आडियो में यह जानकारी भी है कि प्रत्येक खिलाड़ी की भोजन की थाली का रेट 12 सौ रुपए निर्धारित किया गया है और इसका ठेका भी अफसर ने अपने किसी खास को दे दिया है.

कुणाल शुक्ला का कहना है कि 13 दिसम्बर को भूपेश बघेल ने मुख्यमंत्री पद की शपथ नहीं ली थीं और न ही मंत्रिमंडल का गठन हुआ था, लेकिन रमन के कार्यकाल में अवैध तौर-तरीकों से पैसा कमाने वाले अफसर ने इसी तिथि को एक कंपनी को खेल सामानों की सप्लाई का ठेका दे दिया. निविदा में अंतरराष्ट्रीय मानकों को पूरा करने के लिए नाइक, रिबॉक, लोट्टो जैसी कंपनियों से रेट भी आमंत्रित करने थे, लेकिन ऐसा नहीं किया गया. गौरतलब है कि श्री निवास राव जहां कही भी पदस्थ रहे हैं वहां विवादित रहे हैं. जब वे दुर्ग में पदस्थ थे तब सामाजिक कार्यकर्ता अब्दुल करीम ने उन पर नियम-प्रावधानों से हटकर अनावश्यक बजट खर्च करने का आरोप लगाया था. उनके बारे में यह भी कहा गया था कि वे भ्रष्टाचार में लिप्त रेजरों को मनमाफिक पदस्थापना देते रहे हैं. उनकी बस्तर की पदस्थापना भी कई कारणों से सुर्खियों में रही है. कहा जाता है कि ठीक चुनाव के पहले वन मंत्री महेश गागड़ा उन्हें बस्तर ले गए थे ताकि वे तेंदूपत्ता के सरहदी बिचौलियों को लाभ दिलाकर चुनाव के लिए फंड़ की व्यवस्था कर सकें. उन पर सामाजिक वानिकी जगदलपुर, सुकमा, दंतेवाड़ा व बस्तर वन मंडल में अरबों के कागजी कार्य कराए जाने का आरोप भी लगता रहा है. एक बड़ा आरोप कोंडागांव के विधायक मोहन मरकाम ने भी लगाया था. राव के कार्यकाल में ही वन विभाग ने क्लोनल नीलगिरी की पौधों की खरीदी थीं. सामान्य तौर पर नीलगिरी का एक पौधा आठ रुपए में मिल जाता है, लेकिन विभाग ने उसे 732 रुपए में खरीदा था. पौधों को बेचने का काम नागपुर की फर्म सापरा इंटरनेशनल वेयर हाउस एंड लाजिस्टिक प्राइवेट लिमिटेड ने किया था

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सेक्स सीडी कांड में जिसका नाम उछला वह अफसर घूम रहा है रमन सिंह के साथ

रायपुर. एक मंत्री की कथित सेक्स सीडी मामले में छत्तीसगढ़ में पदस्थ रहे विशेष कर्तव्यस्थ अधिकारी अरुण बिसेन का नाम भी जोरदार ढंग से उछला है, लेकिन इस अफसर को इन दिनों पूर्व मुख्यमंत्री रमन सिंह के साथ देखा जा रहा है. अभी हाल के दिनों में इस अफसर को विधानसभा परिसर में भी देखा गया.

गौरतलब है कि जब सन स्टार टीवी ने जनसंपर्क आयुक्त राजेश टोप्पो का स्टिंग आपरेशन किया तब वे यह कहते हुए पाए गए थे – अमन सिंह साहब का फोन आया था. वे बोल रहे थे कि बिसेन काम को संभाल नहीं पा रहा है तो तुम संभालो. राजेश टोप्पो के इस कथन के बाद ही पत्रकारों की दूसरी खेप को बैंकाक-पटाया ले जाकर सेक्स सीडी बनाने की योजना बनाई गई थीं.हालांकि पहली खेप में 10-12 पत्रकार बैंकाक-पटाया जा चुके थे जिनके बारे में अब भी यह बात हवा में तैर रही है कि वे स्टिंग आपरेशन के शिकार हो चुके हैं.

इधर हाल के दिनों में सीडी कांड के एक आरोपी कैलाश मुरारका ने कोर्ट में शपथ पत्र देकर कहा है कि पूर्व मुख्यमंत्री को काफी पहले से पता था कि उनकी मंत्रियों की गंदी सीडी बनाने का खेल चल रहा है. मुरारका का कहना है कि सीएम हाउस से मिले निर्देश के बाद वह मुंबई गया था तब उसे रिंकू खनूजा ने एक आडियों दिया था. इस आडियो में उद्योगपति सुरेश गोयल और किसी लवली खनूजा के बीच लेन-देन का जिक्र है. मुरारका के मुताबिक उसने आडियो की बात ओएसडी अरुण बिसेन को भी बताई थीं, लेकिन बिसेन ने विश्वास नहीं किया और 24 अगस्त 2017 को मुंबई के होटल सहारा में एक अन्य सदस्य के साथ उससे मुलाकात की थीं. वैसे सीबीआई ने जो चालान पेश किया है उसमें एक जगह अरुण बिसेन ने यह स्वीकार किया है कि वह मुरारका को जानता है. बिसेन के  पूर्व मुख्यमंत्री के साथ घूमने और साथ दिखने पर कई तरह की बातें इसलिए भी हो रही है क्योंकि कुछ समय पहले ही पूर्व मुख्यमंत्री ने यह सवाल उठाया था कि कांग्रेस शुचिता की बात करती है, लेकिन जिस अफसर की जमानत याचिका खारिज हो गई है वह सीएम हाउस के आसपास घूमता है और उसके आवेदन पर सरकार एसआईटी का गठन कर देती है. राजनीतिक प्रेक्षकों का कहना है कि शुचिता की राजनीति के लिए प्रतिबद्ध रहने वाले पूर्व मुख्यमंत्री को अपने आसपास ऐसे व्यक्ति को फटकने नहीं देना चाहिए जिन पर गंभीर किस्म के आरोप लग रहे हो. वैसे गौर करने वाली बात यह भी है कि प्रमुख सचिव रहे अमन सिंह पर आदिवासी नेता ननकीराम सहित  कई जिम्मेदार लोगों ने गंभीर आरोप लगाए हैं. भाजपा के एक बड़े नेता ने उन्हें सुपर सीएम की उपाधि से भी नवाजा है. अमन सिंह पर लगे आरोपों के बाद पूर्व मुख्यमंत्री ने सार्वजनिक जगहों पर उनके साथ अपनी उपस्थिति बंद कर दी है.

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कटघरे में निर्वाचन आयोग

कटघरे में निर्वाचन आयोग 

रायपुर.छत्तीसगढ़ का निर्वाचन आयोग सवालों के कटघरे में हैं. ऐसा होने की कई वजह है. दरअसल आयोग का काम निष्पक्षता  के साथ चुनाव कराना ही नहीं, निष्पक्षता के साथ दिखना भी हैं, लेकिन हाल के दिनों में आयोग पर जिस ढंग से आरोप लगे हैं उसके बाद    यह यह लगा कि जो कुछ भी घटा वह ठीक नहीं है. आयोग वैसा नहीं है जैसा दिखाई दे रहा है. प्रदेश में प्रथम और दूसरे चरण के मतदान के दौरान जिस ढंग से इवीएम मशीनें खराब हुई उसने सबसे पहले आयोग की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाया. हालांकि मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी का कहना है कि आयोग बगैर किसी दबाव के काम कर रहा है, लेकिन जनता के बीच यह संदेश तो चला ही गया कि आयोग का अधिक से अधिक मतदान का नारा फ्लाप था. जनता वोट देने निकली तो मशीन खराब थी. मतदान के बाद  बलौदाबाजार, धमतरी, बेमेतरा सहित कई अन्य जगहों से स्ट्रांग रुम में अनाधिकृत प्रवेश को लेकर आई  शिकायतों ने यह साबित कर दिया कि सुरक्षा के इंतजाम बेहद लचर है. धमतरी में बगैर अनुमति कई कर्मचारियों के प्रवेश के बाद तो यह साफ हो गया है कि कहीं न कहीं कुछ गड़बड़ है. अब भी यह शिकायतें आ रही है कि किसी स्ट्रांग रुम में लाइट बंद हो जाती है तो किसी में कोई लैपटाप लेकर फिल्म देख रहा है. प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष भूपेश बघेल का कहना है कि हार के भय से सरकार हर हथकंड़े अपनाना चाहती है. वह कोई मौका छोड़ना नहीं चाहती, लेकिन जनता ने चौके-छक्के मारने का दावा करने वाले को ब्राउंड्री पर ही कैच करने का निर्णय कर लिया है.                                        

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अब छोटे-मझौले उद्योगों को 59 मिनट में मिलेगा एक करोड़ तक का लोन :मोदी

नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार को एमएसएमई यानी छोटे-मझौले उद्योगों के लिए कई नई योजनाओं का ऐलान किया.
इन फ़ैसलों में प्रधानमंत्री मोदी ने 59 मिनट में लोन मिलने की योजना शुरू की है. इसके तहत सभी जीएसटी रजिस्टर्ड एमएसएमई को एक नए पोर्टल की मदद से 1 करोड़ रुपये तक का कर्ज़ मिल सकता है.
इसके साथ ही प्रधानमंत्री कार्यालय की ओर से लघु उद्योगों के लिए प्रदूषण मानकों को भी काफ़ी सरल बनाया गया है.
प्रधानमंत्री मोदी ने ट्वीट किया, "सरकार ने फ़ैसला किया है कि वायु प्रदूषण और जल प्रदूषण कानूनों के तहत एमएसएमई के लिए इन दोनों को एक करके अब सिर्फ एक ही कंसेंट यानी सहमति अनिवार्य होगी."

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अब NRI भी ले सकेंगे RTI से जानकारी

नई दिल्ली : सरकार ने अपना रूख बदलते हुए कहा कि अब प्रवासी भारतीयों (एनआरआई) को भी देश में सूचना का अधिकार अधिनियम (RTI) के तहत आवेदन देकर प्रशासन से जुड़ी जानकारी लेने का हक होगा.  कार्मिक, जन शिकायत और पेंशन राज्य मंत्री जितेन्द्र सिंह ने आठ अगस्त, 2018 को लोकसभा में एक सवाल के जवाब में कहा था कि एनआरआई आरटीआई कानून के तहत अर्जी देने के लिए पात्र नहीं हैं. गौरतलब है कि आरटीआई कार्यकर्ता कोमोडोर (सेवानिवृत्त) लोकेश बत्रा ने यह रेखांकित करते हुए हाल ही में लिखा था कि पारदर्शिता कानून के तहत प्रत्येक भारतीय को सूचना पाने का अधिकार है.

इसके बाद ही मंत्रालय ने अपने रूख में सुधार किया है. मंत्रालय ने इससे पहले अपनी प्रतिक्रिया में कहा था, ‘‘सिर्फ भारतीय नागरिकों को सूचना का अधिकार अधिनियम, 2005 के प्रावधानों के तहत सूचनाएं मांगने का अधिकार है. एनआरआई आरटीआई के तहत अर्जी देने के लिए पात्र नहीं हैं''.  इस संबंध में नयी और सुधार के साथ प्रतिक्रिया को लोकसभा की वेबसाइट पर अपलोड कर दिया गया है. 

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आतंकवाद के खिलाफ थोपा गया युध्द नहीं लड़ेगा पाकिस्तान :इमरान खान

इस्लामाबाद: पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने ‘‘आतंकवाद के खिलाफ युद्ध’’ को देश पर ‘‘थोपा गया युद्ध’’ करार दिया और अपने देश के अंदर ऐसा कोई युद्ध नहीं लड़ने का सोमवार को वादा किया. इमरान का यह बयान परोक्ष रूप से अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप पर हमला है जिन्होंने बार बार आरोप लगाया है कि आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में पाकिस्तान ने अमेरिका की मदद नहीं की. इमरान ने कहा कि हमने अपने देश के अंदर थोपा हुआ युद्ध अपने युद्ध की तरह लड़ा और इसकी भारी कीमत चुकानी पड़ी. इससे हमारे सामाजिक-आर्थिक ताने-बाने को भी नुकसान हुआ.

उन्होंने कहा कि हम ऐसा कोई युद्ध पाकिस्तान के अंदर नहीं लड़ेंगे. वह उत्तरी वजीरिस्तान में हाल ही में विलय कर बनाए गए नए जिलों की पहली यात्रा के दौरान कबायली सरदारों को संबोधित कर रहे थे. यह क्षेत्र एक समय तालिबान आतंकवादियों का गढ़ होता था. उनके साथ सेना प्रमुख जनरल कमर जावेद बाजवा भी थे.

इमरान ने आतंकवादियों के खिलाफ सफल अभियान के लिए सेना, अन्य सुरक्षा बलों और खुफिया एजेंसियों की उपलब्धियों की सराहना की. उन्होंने कहा कि आतंकवाद के खिलाफ युद्ध में पाकिस्तान और उसके सशस्त्र बलों ने जितना कुछ किया है, उतना किसी देश या उसके सशस्त्र बल ने नहीं किया है.

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अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति जॉर्ज बुश अब नहीं रहे

वाशिंगटन: अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति जॉर्ज एचडब्ल्यू बुश का निधन हो गया है. बीबीसी ने उनके पुत्र और पूर्व राष्ट्रपति जॉर्ज बुश के हवाल से बताया है कि जॉर्ज एचडब्ल्यू बुश का 94 साल की उम्र में निधन हो गया है. शुक्रवार शाम को जॉर्ज बुश सीनियर ने अंतिम सांस ली. बताया जा रहा है कि वह लंबे समय से बीमार चल रहे थे.

जॉर्ज बुश सीनियर के राष्ट्रपति रहते हुए ही अमेरिका ने इराक पर हमला किया था. उस दौरान इराकी तानाशाह सद्दाम हुसैन ने पड़ोसी कुवैत पर हमला कर दिया था, जिसके जवाब में अमेरिकी सेना ने इराक को निशाना बनाया था. इस युद्ध को पहला खाड़ी युद्ध कहते हैं.

जॉर्ज डब्ल्यू बुश अमेरिका के 41वें राष्ट्रपति थे. वे साल 1988 में अमेरिका के राष्ट्रपति बने थे. वह संयुक्त राष्ट्र और चीन में अमेरिका के राजदूत भी रह चुके थे. वह सीआईए के निदेशक भी रहे.

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