संस्कृति

मरफी का रेडियो और ग्रामोफोन पर गाना सुनने वाला कुत्ता

मरफी का रेडियो और ग्रामोफोन पर गाना सुनने वाला कुत्ता

इस पोस्ट के साथ जिन दो चित्रों को आप देख रहे हैं उन चित्रों से मुझे अब भी प्यार हैं. खुर्शीपार भिलाई के मुर्गी छाप मकान में रहने के दौरान पहली बार ग्रामोफोन को देखने का अवसर मिला था. मेरे पिता गाना सुनने और गाने के शौकीन थे सो बंबई जाकर ग्रामोफोन ले आए थे. सुबह नींद भी नहीं खुली थीं कि घर में गाना बजने लगा. जो गाना बजा उसके रिकार्ड पर खूबसूरत कुत्ते का चित्र था. गाने के बोल थे-चुन-चुन करती आई चिड़िया... दाल का दाना लाई चिड़िया..। बहुत बाद में जाकर पता चला कि इस गाने को रफी साहब ने फिल्म अब दिल्ली दूर नहीं के लिए गाया था.

पिताजी अल-सुबह घर के बाहर ग्रामोफोन में गाना लगा दिया करते थे. आसपास के लोग भी हमारे घर गाना सुनने के लिए इकट्ठे हो जाया करते थे. ग्रामोफोन पर गाना सुनने के लिए हाथ से घुमाकर चाबी भरनी पड़ती थीं और एक नुकीली पिन का भी इस्तेमाल करना होता था. जब रिकार्ड घूमता था तो तेजी के साथ कुत्ता भी घूमने लगता था. अब जरा गौर से इस कुत्ते के चेहरे का भाव देखिए. लगता है कि जैसे गाना सुनकर वह तृप्त हो उठा है.वैसे कई बार इस चित्र को देखकर यह ख्याल भी आता रहा हैं कि जब एक कुत्ता संगीत से प्रेम कर सकता है तो फिर मनुष्य कैसे भागता है. सचमुच वे लोग कैसे होते हैं जिनके जीवन में संगीत नहीं होता.

बहरहाल चित्र में ग्रामोफोन के साथ जो कुत्ता नजर आ रहा है उसका असली नाम निप्पर था.यह कुत्ता मुफलिसी में दिन गुजारने वाले चित्रकार फ्रासिंस बरोड़ का दोस्त था. एक रोज जैसे-तैसे वे भी ग्रामोफोन ले आए. वे जब भी ग्रामोफोन बजाते थे कुत्ता सामने आकर बैठ जाता था. अपने कुत्ते की इस आदत को उन्होंने चित्र बनाकर कैद कर लिया. थोड़े दिनों बाद इसी चित्र ने फ्रासिंस की मुफलिसी दूर की. चित्र को अच्छे-खासे पैसे देकर रिकार्ड बनाने वाली कंपनी एचएमवी ने खरीदा था. जो कुत्ता लंदन में फ्रासिंस के साथ रहता था वह देश-दुनिया के करोड़ों लोगों के बीच पहुंच गया था.

दूसरा चित्र उस बच्चे का है जो मरफी के रेड़ियो पर अंकित था. मरफी भी एक विदेशी कंपनी थी. जब मरफी का रेड़ियो बाजार में आया तो इसने रातों-रात धमाल मचा दिया था. हर कोई मरफी का रेडियो खरीदना चाहता था. बताते है कि पहली बार भारत में फिल्म अभिनेत्री शर्मिला टैगोर ने इस रेडियो के लिए विज्ञापन किया था. इस विज्ञापन में शर्मिला ने कहा था- अगर आप दीवाली मनाने जा रहे हैं तो अपने घर में मरफी रेडियो ले आइए. अभी हाल के दिनों में यह जानकारी मिली कि मरफी रेडियो पर जिस बच्चे का चित्र अंकित था उसका नाम डॉ. कग्यूर टी रिनपोचे ठाकुर है. रिनपोचे लंबे समय तक बौद्ध भिक्षु भी रहे और फिर एक रोज उन्होंने राम तेरी गंगा मैली में काम करने वाली फिल्म अभिनेत्री मंदाकिनी से शादी कर ली है. इस मरफी बच्चे की दो संतान है. एक पुत्र राबिल ठाकुर का सड़क हादसे में निधन हो गया जबकि पुत्री राबजी इनाया साथ में रहती है.

वैसे जब मरफी रेडियो बाजार में आया तब सभी लोग कहते थे कि रेडियो में जिस बच्चे का चित्र अंकित है वहीं असली मरफी है, लेकिन सच्चाई यह है कि इस रेडियो के जन्मदाता का नाम फ्रैंक मरफी था. एक बार किसी ने मुझे बता दिया कि मरफी बेबी और उसके बाप का पूरा पता रेडियो के अंदर ही मौजूद रहता है. बस...फिर क्या था हमने चाकू-छुरा लेकर  रेडियो का पुर्जा-पुर्जा खोल दिया. बड़े-बड़े वाल्ब देखकर दिमाग घूम गया. हमारी भयानक किस्म की छानबीन की जानकारी चुगलखोर भाई को लग गई और उसने होशियारी झाड़ते हुए पिता जी को अवैज्ञानिक ढंग से की गई पड़ताल की पूरी जानकारी दे दी. अब आप समझ ही गए होंगे कि मेरे साथ क्या हुआ होगा?

 राजकुमार सोनी की फेसबुक वॉल से 

 

 

 

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