संस्कृति

आई लव यू अफगान स्नो

आई लव यू अफगान स्नो

बचपन में हम बोरीलीन चुपड़ते थे तो सेक्टर छह भिलाई के सड़क नंबर 22 के पड़ोस में रहने वाली एक लड़की अफगान स्नो चुपड़ती थीं. मेरे और उस लड़की के बीच इस बात को लेकर ही काम्पीटिशन चलते रहता था कि अफगान स्नो बेहतर है या बोरीलीन?

एक दिन लड़की जीत गई और यह साबित करने में सफल हो गई कि अफगान स्नो का कोई मुकाबला नहीं है. एक रोज लड़की दौड़ते हुए घर आई और आते ही उसने कहा- छूकर देख...छूकर देख...। वह मेरे दोनों हाथों को अपने गाल तक ले गई. मैंने कहा- अरे....हां...बाप रे...एकदम ठंडा है. काफी दिनों तक मैं उसके गाल छूकर यही चेक करते रहता था उसने अफगान स्नो लगाया है या नहीं. मैंने अपनी मां को भी बताया था कि लड़की के गाल ठंडे रहते हैं. मां ने हिदायत देते हुए कहा- जिस रोज तेरे बाप का जूता पड़ेगा न...सारी ठंडक निकल जाएगी. पिता के जूतों से बड़ा डर लगता था. उनका निशाना अचूक था. जहां से भी फेंकते थे साला...सिर पर ही लगता था. फिर भी मैं बच-बचाकर यह चेक कर लिया करता था कि लड़की ने अफगान स्नो लगाया है या नहीं? एक रोज मैंने लड़की से रिकवेस्ट की थीं कि वह मेरी बोरीलीन लगा लें और मैं उसका स्नो.मैं उसे बोरीलीन देता रहा और वह स्नो. इस तरह लंबे समय तक वस्तु विनिमय का क्रम चलता रहा. बीच-बीच में लड़की भी यह चेक करती थीं कि अफगान स्नो लगाने से मेरे गालों को ठंडक पहुंच रही है या नहीं ? बहुत बाद में जाकर पता चला कि अफगान स्नो एक फेमस स्नो था. उस जमाने में इस स्नो का विज्ञापन कई मशहूर हिरोइनों ने किया था. शायद आखिरी बार इस स्नो का विज्ञापन पदमिनी कोल्हापुरे ने किया था.

(  राजकुमार सोनी की फेसबुक वॉल से  )

 

 

 

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