विशेष टिप्पणी

क्या ओपी की तरह जीपी भी भाजपा ज्वाइन करेंगे ?

क्या ओपी की तरह जीपी भी भाजपा ज्वाइन करेंगे ?

आय से अधिक संपत्ति के मामले में गिरफ्तार किए गए निलंबित पुलिस अफसर जीपी सिंह फिलहाल एंटी करप्शन ब्यूरो की कस्टडी में हैं, लेकिन कल 14 जनवरी को मकर संक्रांति के दिन उन्होंने कोर्ट में मीडिया के सामने जो बयान दिया है वह यह बताने के लिए काफी हैं कि जब कभी भी वे थोड़ी-बहुत राहत पाने की स्थिति में होंगे तो पहली फुरसत में राजनीति का रुख ही अख्तियार करेंगे. वैसे उनके साथ काम कर चुके कुछ पुलिस अफसर नाम न छापने की शर्त पर बताते हैं कि वे छत्तीसगढ़ के दो पूर्व मुख्यमंत्री अजीत जोगी और डाक्टर रमन सिंह के न केवल प्रशंसक रहे हैं ब्लकि बेहद करीबी भी समझे जाते रहे हैं. कल कोर्ट में उन्होंने साफ-साफ कहा था कि उन पर नान घोटाले के मामले में डाक्टर रमन सिंह और उनकी पत्नी वीणा सिंह पर कार्रवाई करने का दबाव था. जब उन्होंने कार्रवाई नहीं की तो फंसा दिया गया. जीपी के इस बयान में घटनाक्रम को राजनीति की तरफ मोड़ देने वाली चालाकियां साफ-साफ नज़र आ रही हैं.

सब जानते हैं कि नागरिक आपूर्ति निगम का घोटाला भाजपा के शासनकाल में ही सामने आया था. तब इस मामले में कई मंत्रियों और अफसरों की भूमिका को लेकर सवाल उठे थे. कहा जाता है कि तब सरकार इस मामले को जोर-शोर से उठाना ही नहीं चाहती थीं, लेकिन संविदा में पदस्थ एक अफसर ने सुझाव दिया था कि अगर हम नान घोटाले में अपने ही कुछ लोगों को लपेट लेंगे तो भ्रष्टाचार के खिलाफ आवाज़ उठाने वाली पहली सरकार के तौर पर हमारी धूम मच जाएगी. चारों तरफ वाहवाही होगी कि देखो सरकार ने किसी को भी नहीं बख्शा ? उस समय खूब जीरो टारलेंस...जीरो टारलेंस की बात भी हो रही थीं. भाजपा के मुखपत्र बन चुके अखबारों में यह सब छप भी रहा था. खैर... जैसे-तैसे नान घोटाला उजागर तो हो गया लेकिन सरकार को क्या मालूम था कि इसमें जप्त की गई एक डायरी में सीएम मैडम का भी उल्लेख होगा और वह परेशानी का सबब बन जाएगा.

इस डायरी में उल्लेखित नामों को लेकर तात्कालिक कांग्रेस अध्यक्ष भूपेश बघेल लगातार सवाल उठाते रहे और बेहद दमदारी से यह भी कहते रहे कि सरकार यह बताने से क्यों डर रही हैं कि सीएम मैडम कौन है ? कब एक्शन लिया जाएगा ? इधर यह विदित होना भी आवश्यक है कि जीपी सिंह को जून 2020 में ईओडब्ल्यू के प्रभार से हटा दिया गया था. उनको हटाने के ठीक एक साल बाद 1 जुलाई 2021 को उनके सरकारी बंगले पर छापा मारा गया. इस एक साल में जीपी सिंह ने कभी नहीं कहा कि उन पर डाक्टर रमन सिंह और वीणा सिंह को फंसाने के लिए किसी ने दबाव बनाया था. यदि नौकरी में रहते हुए यह सब नहीं किया जा सकता था तो भाजपा के मुखपत्र अखबारों और चैनलों को यह खबर पास की जा सकती थीं. ( ठीक वैसे ही जैसे उन्होंने कभी बस्तर के आईजी एमडब्लू अंसारी के बारे में एक चैनल में खबर चलवाई थीं कि लूट का पैसा उनके बंगले से बरामद हुआ है. )

कांग्रेस संचार विभाग के प्रमुख सुशील आनंद शुक्ला जीपी सिंह के बयान पर पलटवार करते हुए कहते हैं- नान घोटाले में रमन सिंह पहले से ही फंसे हुए हैं... ऐसे में उनके लिए दबाव बनाने की जरूरत क्या है ? शुक्ला का कहना है कि जीपी सिंह पर आय से अधिक संपत्ति बटोरने, संवैधानिक रूप से गठित सरकार के खिलाफ घृणा और असंतोष को बढ़ावा देने और उगाही के गंभीर आरोप लगे हैं. जीपी सिंह अपने ऊपर दर्ज संगीन आरोपों से बचने के लिए सतही आरोप लगा रहे हैं. लेकिन सतही आरोपों से न उनके अपराधों की गंभीरता खत्म होगी और न ही वे बच पाएंगे.

वैसे आज के दैनिक भास्कर में उन्हें लेकर एक खबर छपी है. इस खबर में कहा गया है कि जीपी सिंह का मोबाइल एसीबी के लिए सिर का दर्द बन गया है. जीपी सिंह इस मोबाइल को खोलने वाला कोड़ किसी को नहीं बता रहे हैं. साथ में यह भी कह रहे हैं कि मोबाइल उनका नहीं है. मोबाइल के खुल नहीं पाने से एसीबी की टीम यह पता नहीं लगा पा रही है कि इस बीच वे किन-किन लोगों के संपर्क में थे? अब तक कितनों ने संपर्क किया ? सवाल यह भी है कि जीपी सिंह किस शख्स का मोबाइल संचालित कर रहे हैं ? क्या यह मोबाइल किसी चोर या डाकू का है ? दूसरों का मोबाइल संचालित करना भी तो एक अपराध है ? अगर जीपी सिंह पाक-साफ है तो उन्हें मोबाइल की डिटेल एसीबी की टीम को साझा करने में परेशानी क्यों होनी चाहिए ? अगर जीपी सिंह सही होते तो हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट में उनकी याचिका खारिज ही क्यों होती ? बहरहाल राजनीति के गलियारों में जीपी सिंह के राजनीतिक निहितार्थ से भरे बयान की जबरदस्त चर्चा कायम है.कड़कड़ाती ठंड में लोग-बाग मिर्ची-भजिया खाते हुए यह कहने से भी नहीं चूक रहे हैं कि छत्तीसगढ़ में भाजपा को ओपी के बाद जीपी मिलने वाला है.

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