विशेष टिप्पणी

डरपोक कालीचरण के पीछे खड़ा केएन सिंह कौन ?

डरपोक कालीचरण के पीछे खड़ा केएन सिंह कौन ?

महात्मा गांधी पर अपमानजनक टिप्पणी करने वाले जिस कालीचरण को पुलिस ने खजुराहो से दबोचा है...दरअसल वह बेहद डरपोक हैं. यहां छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर की धर्म संसद में अनाप-शनाप बकने के बाद जब बवाल कटना प्रारंभ हुआ तो कालीचरण ने हवाई जहाज के बजाय ट्रेन को पकड़कर भागना मुनासिब समझा. कालीचरण ने फरार होने के बाद से अपने मोबाइल को बंद कर दिया था, लेकिन उसके पीए का मोबाइल चालू था. कालीचरण रायपुर से भागकर पहले भोपाल पहुंचा और फिर वहां से एक टैक्सी लेकर खजुराहो निकल गया. यहां पहुंचने के बाद उसने पल्लवी नाम की एक बेहद मामूली सी लॉज में शरण ली और वहीं से अपना दूसरा वीडियो जारी किया.

कालीचरण को शायद यह भ्रम हो गया था कि पुलिस उसे ज्यादे से ज्यादा लक्जरी होटल में ही तलाश करेगी...लेकिन छत्तीसगढ़ की पुलिस ने उसे चप्पे-चप्पे में तलाशा. इस बीच पुलिस ने उसके पीए का लोकेशन तलाशा तो वह बागेश्वर धाम के आसपास का मिला.पुलिस को पक्का भरोसा हो गया कि कालीचरण आसपास ही कहीं छिपा है.पुलिस के जवान जब भक्त बनकर बागेश्वर धाम पहुंचे तो पीए ने बताया कि वे बाहर गए हुए हैं. पुलिस ने मुस्तैदी से छानबीन की तो ज्ञात हुआ कि कालीचरण एक मकान में कुछ देर ठहरा था. मकान मालिक ने पुलिस को बताया कि कालीचरण ने फिर आने को कहा है.अभी सामान छोड़कर गए हैं. बाद में पता चला कि उसने एक दूसरा मकान भी किराए पर ले रखा था.

पुलिस ने उसे गिरफ्तार तो कर लिया, लेकिन यह सवाल अब भी मुंह बाए खड़ा हुआ है कि उसके पीछे छत्तीसगढ़ और मध्यप्रदेश के किस राजनेता का दिमाग काम कर रहा था. वैसे पूरे घटनाक्रम में यह तो साफ दिख ही रहा है कि कालीचरण किस विचारधारा से जुड़े हुए लोगों का प्रिय हैं. अगर पुलिस पीए और उसके मोबाइल की कॉल डिटेल खंगालेगी तो शायद यह भी स्पष्ट हो जाएगा कि वे लोग कौन हैं जो छत्तीसगढ़ की समरसता से भरी हुई धरती पर नफ़रत का बीज बो कर सांप्रदायिकता की फसल उगाना चाहते थे ?

इस बात का पता तो चलना ही चाहिए कि छत्तीसगढ़ का असल जॉनी दुश्मन कौन हैं ? पर्दे के पीछे खेल खेलने वाले केएन सिंह ( पुरानी हिंदी फिल्मों का खलनायक ) बहुत से लोग हैं. केएन सिंग के चेहरे से शराफत का नकाब उतारना बेहद जरूरी हैं. जो लोग केएन सिंह को नहीं जानते उन्हें यह बताना ठीक होगा कि पुरानी फिल्मों में केएन सिंह अपना हर कारनामा पर्दे के पीछे रहकर ही किया करते थे. दर्शक को अंत में समझ आता था कि जिसे हम शरीफ समझ रहे थे वहीं सबसे बड़ा वाला गोला है.

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