विशेष टिप्पणी

सवर्ण लॉबी के निशाने पर क्यों है भूपेश बघेल ?

सवर्ण लॉबी के निशाने पर क्यों है भूपेश बघेल ?

पिछले कुछ दिनों से सवर्ण लॉबी जिसमें वरिष्ठ पत्रकार, समाजसेवी, आरटीआई कार्यकर्ता समेत अन्य लोग लगातार छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के खिलाफ एक अभियान छेड़े हुए है, जिसमें लॉक डाउन के बाद उपजी समस्याओं को लेकर भूपेश सरकार को असंवेदनशील, मजदूर विरोधी बताया जा रहा है।

इनके विरोधों के पीछे छिपे एजेंडा को आम आदमी बिल्कुल नही समझ पाता इन्हें समझने के लिए थोड़ा रिसर्च करना पड़ता है।

भूपेश बघेल का विरोध शुरू से ही रहा है परंतु कांग्रेस अध्यक्ष बनने के बाद एकाएक उनके विरोधियों की संख्या बढ़ गई। उस समय के वर्तमान रमन सरकार ने भूपेश बघेल को झूठे मामलों में फंसाने क्या कुछ नही किया। (खैर ये बातें कभी और)

भूपेश के नेतृत्व में जब छग विधानसभा के चुनावों में एक बड़ी जीत कांग्रेस ने दर्ज की, उसके बाद सीएम चयन के बाद से सवर्ण लॉबी जो भूपेश के समर्थन में थे वो भी विरोध में हो गए।

एक खबर के मुताबिक भूपेश बघेल को सीएम बनने से रोकने के लिए एक हजार करोड़ तक कि सौदेबाजी हो रही थी।

जब सीएम चुनने की बारी थी तब यही सवर्ण लॉबी टीएस सिंहदेव को योग्य सीएम बता रही थी लेकिन जब भूपेश बघेल सीएम बने तब से भूपेश बघेल संघ और स्वर्ण लॉबी की आंखों की किरकिरी बने हुए है।

भूपेश बघेल के आदिवासी,दलित,पिछड़ा हितैषी निर्णय सवर्ण लॉबी को चुभ रहा था, सवर्ण लॉबी का सब्र का सीमा तब टूट गया जब भूपेश ने पिछड़ा आरक्षण 27 फीसदी कर दिया है तब लगभग इन्ही सवर्ण लाबी ने भूपेश सरकार को बदनाम करने में बड़ा षड्यंत्र रचा जो अब भी जारी है।

सवर्ण लाबी लगातार भूपेश सरकार में हो रहे कार्यों में और छोटी मोटी अव्यवस्था को लेकर हो-हल्ला करते रहता है,परन्तु कोई बड़ी सफलता नहीं मिल रही है।

लॉक डाउन में हो रही अव्यवस्था को लेकर सवर्ण लाबी भूपेश बघेल पर हमलावर है और सीएम को बदनाम करने कोई कसर नही छोड़ रहें है, लेकिन ये सवर्ण लॉबी केंद्र की भाजपा सरकार पर मुंह तक नही खोल रहें है।

वर्तमान में देश के कुछ चुनिंदा राज्य ही मजदूर,गरीब,किसान,दलित,आदिवासी के हित मे काम कर रहें है उनमें  छग की भूपेश सरकार भी है परन्तु संघी सवर्णों को दिक्कत होती है । मेरे दलित,आदिवासी,पिछड़ा भाइयों एक बात याद रखों जहां से आप सोचना खत्म करते हो वहां से संघी सोचना शुरू करते है, इसलिए सम्भल के रहिये।

अभिषेक कुमार के फेसबुक वॉल से 

 

ये भी पढ़ें...