देश

भाजपाई अफवाह फैलाते रहे और इधर 22 घंटे बिजली देने वाले 5 राज्यों में शामिल हो गया छत्तीसगढ़

भाजपाई अफवाह फैलाते रहे और इधर 22 घंटे बिजली देने वाले 5 राज्यों में शामिल हो गया छत्तीसगढ़

रायपुर. छत्तीसगढ़ स्टेट पाॅवर कंपनीज द्वारा विद्युत अधोसंरचना को सुदृढ़ बनाने के लिये अत्याधुनिक टेक्नालाजी का उपयोग किया जा रहा है, फलस्वरूप शहरी एवं ग्रामीण क्षेत्रों में निर्बाध बिजली आपूर्ति हो रही है। प्रदेश में स्थापित विद्युत प्रणालियों में आने वाली खराबी तथा इससे उत्पन्न विद्युत व्यधान को न्यूनतम समय में पूरा करने में कामयाबी मिली है। उक्त जानकारी देते हुए  पाॅवर कम्पनी अध्यक्ष शैलेन्द्र शुक्ला ने बताया कि भारत सरकार के ऊर्जा मंत्रालय द्वारा अपने वेबपोर्टल में विभिन्न प्रदेशों की बिजली व्यवस्था का मूल्यांकन कर राज्यों को उनके उत्कृष्ट कार्य हेतु रेटिंग किया गया। इस सूची में छत्तीसगढ़ राज्य के बिजली व्यवस्था को देष के उत्कृष्ट श्रेणी में अंकित किया गया। केन्द्र सरकार द्वारा जारी सेफी (सिस्टम एवरेज इंटरप्शन फ्रिक्वेंसी इंडेक्स) के रिपोर्ट के अनुसार छत्तीसगढ़ राज्य के डिवीजनों के फीडरों का भी मूल्यांकन किया गया। इस प्रतिवेदन के अनुसार छत्तीसगढ़ के फीडरों को टाॅप थ्री में स्थान दिया गया है। अध्यक्ष श्री शुक्ला ने उक्त संदर्भ में जानकारी देते हुए बताया कि देश भर के विभिन्न राज्यों के ग्रामीण फीडरों में बिजली की उपलब्धता 9 प्रतिशत 14 प्रतिशत 17 प्रतिशत और 22 प्रतिशत रही। इसकी तुलना में छत्तीसगढ़ राज्य में औसतन प्रतिदिन 22 घण्टे बिजली की उपलब्धता सुनिश्चित की गई। ग्रामीण अंचलों में बिजली की आवश्यकता कृषि कार्यों में सर्वाधिक होता है। कृषि पम्पों के लिए पृथक किए गए ग्रिड में निश्चित समय के लिए बिजली बंद की जाती है अन्यथा ऐसे फीडर, जिनमें कृषि पम्पों के साथ अन्य कनेक्शन भी हैं, उनमें निरन्तर विद्युत प्रवाह सुनिश्चित किया जाता है। केवल आंधी-तूफान व भारी वर्षा के समय ब्रेकडाउन अथवा मरम्मत कार्यों के लिए शटडाउन लेने पर बिजली सप्लाई प्रवाहित होती है। यह भी सुनिश्चित किया जाता है कि कम से कम समय में बिजली सप्लाई पुनः चालू कर ली जाए. प्रदेशभर में ग्रामीण अंचलों व आदिवासी क्षेत्रों में बिजली की सतत् आपूर्ति के लिए कंपनी प्रबंधन निरन्तर प्रयासरत है। राज्य शासन की रीति-नीति के अनुरूप सभी योजनाओं का लाभ उपभोक्ताओं को प्राप्त हो रहा है।  

 ट्रांसमीशन नेटवर्क विस्तार में बना नया कीर्तिमान

प्रदेश में गुणवत्तापूर्ण बिजली की आपूर्ति हेतु पारेषण प्रणाली को सुदृढ़ बनाने का कार्य पाॅवर ट्रांसमिशन कम्पनी द्वारा युद्धस्तर पर किया जा रहा है। इस दिशा में नये सबस्टेशनों की स्थापना, लाईनों का विस्तार, ट्रांसफार्मरों का ऊर्जीकरण एवं पारेषण क्षमता में वृद्धि जैसे अनेक कार्य किये जा रहे हैं। 

विदित हो कि बस्तर में सतत् बिजली आपूर्ति हेतु हेतु वर्तमान में 400 के0व्ही0 का एक सबस्टेशन क्रियाशील है। 33/11 के.व्ही. एवं 11/04 के.व्ही. के सैंक़ड़ों उपकेन्द्रों के माध्यम से बस्तर क्षेत्र में निरन्तर बिजली सप्लाई की जा रही है। नई सरकार के गठन उपरान्त धरसीवाँ कुथरेल में 220 के.व्ही. सबस्टेशन में 160 एमव्हीए का नया ट्रांसफार्मर स्थापित किया गया है। पारेषण क्षमता अब बढ़कर 7 हजार एमव्हीए हो गई है, जिसमें से 10 प्रतिशत वृद्धि इस 6 माह की है। औद्योगिक क्षेत्रों को बढ़ावा देने हेतु रायपुर के समीप उरला में सेक्टर-ए के लिए 40 एमव्हीए का तथा सेक्टर सी के लिए 40 एमव्हीए का नया ट्रांसफार्मर लगाया गया। इससे पारेषण क्षमता में वृद्धि के साथ ही पूर्व से लम्बित आवेदनों का निराकरण किया गया एवं उपभोक्ताओं को नये कनेक्शन तीव्रता से प्रदान किये गये हैं। 

पाॅवर कंपनी द्वारा दी गई जानकारी के अनुसार  जून, 2019 में ही 220 के.व्ही उपकेन्द्र भिलाई स्थित सबस्टेशन में 160 एमव्हीए का नया ट्रांसफार्मर ऊर्जीकृत किया गया, जिससे अब इस पारेषण सबस्टेशन की कुल क्षमता 695 एमव्हीए हो गई है और इस क्षेत्र में निरन्तर बिजली सप्लाई के लिए पर्याप्त है। इस ट्रांसफार्मर के लगने से 220 के.व्ही. उपकेन्द्र की क्षमता में वृद्धि हुई है और संबंधित क्षेत्र के रहवासियों को ओवर लोडिंग जैसी समस्याओं से छुटकारा मिलेगा। 

प्रदेश में अप्रैल माह के आंकड़ों के अनुसार पारेषण प्रणाली की सुदृढ़ीकरण हेतु प्रयास किये गये है जिससे पाॅवर कंपनी के अति उच्चदाब उपकेन्द्रों की संख्या 118 नग हो चुकी है तथा अति उच्चदाब लाईनों की लंबाई 12300 सर्किट किलोमीटर तक पहंुच चुकी है। इसी प्रकार 33/11 के.व्ही. उपकेन्द्रों की संख्या 1248 नग हो चुकी है एवं 33 केव्ही लाईनों की लंबाई 22088 किलोमीटर तक विस्तार कर लिया गया है। 11/04 उपकेन्द्रों की संख्या भी बढ़कर डेढ़ लाख से अधिक हो गई है। 11 के.व्ही. लाईनों की लंबाई 1 लाख 12 हजार तक पहुंच चुकी है। इसी के साथ-साथ निम्नदाब लाइनों की लंबाई में एक लाख 90 हजार तक वृद्धि हुई है। 

बिजली बिल हाफ का बढ़ने लगा लाभ

सभी घरेलू उपभोक्ताओं को उनके द्वारा खपत की गई चार सौ यूनिट पर हाफ बिजली बिल स्कीम का लाभ देने का निर्णय छत्तीसगढ़ राज्य शासन द्वारा लिया गया था। शासन के इस जनहितैषी निर्णय को छत्तीसगढ़ स्टेट पाॅवर कंपनी द्वारा 01 मार्च से प्रभावषील कर दिया गया, जिसका लाभ प्रदेश के घरेलू उपभोक्ताओं को मिलने लगा है।

प्रदेश के नवगठित सरकार की महत्वाकांक्षी योजना ‘बिजली बिल हाफ‘ का लाभ उपभोक्ताओं को मिल रहा है। साथ ही लाभान्वित उपभोक्ता इस योजना से संतुष्ट होकर समय पर बिजली बिल जमा कर रहे है। पाॅवर कंपनी के अध्यक्ष श्री शैलेन्द्र शुक्ला ने बताया कि बिल भुगतान के आंकड़ों का मूल्यांकन करने पर ज्ञात हुआ कि अप्रैल माह में केवल 29 लाख उपभोक्ता इस योजना से लाभान्वित हुए थे, जिन्होंने निर्धारित तिथि पर बिल का भुगतान किया। दूसरे माह में लाभान्वित उपभोक्ताओं की संख्या बढ़कर 35 लाख हो गई। तुलनात्मक अध्ययन में विगत माह में लाभान्वित उपभोक्ताओं में 20 प्रतिशत की वृद्धि हुई।

आगे श्री शुक्ला ने बताया कि इस योजना से राज्य के समस्त बी.पी.एल. एवं फ्लैट रेट योजना के अंतर्गत शामिल अन्य घरेलू श्रेणी के उपभोक्ताओं को इससे बड़ी राहत मिली है। प्रदेश में 19 लाख 93 हजार से अधिक बीपीएल. कनेक्शन देकर गरीब तबके के लोगों को बिजली की मूलभुत सुविधा उपलब्ध कराई जा रही है। 

बिजली बिल हाफ योजना का लाभ उठाते हुए उपभोक्ताओं में भी निर्धारित तिथि के पूर्व बिजली बिल जमा करने की प्रवृत्ति देखी जा रही है। प्रदेश के अधिकांश घरेलू उपभोक्ता योजना का लाभ लेने हेतु समय पर बिजली बिल भुगतान कर रहे है। जिससे पाॅवर कंपनी को भी समय पर राजस्व का लाभ मिल रहा है। जिससे इस योजना से पाॅवर कंपनी के साथ उपभोक्ता भी लाभान्वित हो रहे हैं और उन्हें सरचार्ज भी नहीं देना पड़ रहा है।  

6 माह में बनाए गए 116 विद्युत उपकेन्द्र,ट्रांसफार्मर क्षमता

छत्तीसगढ़ राज्य सरकार के दिशा निर्देशों के अनुरूप पाॅवर कम्पनी द्वारा प्रदेश की विद्युत प्रणाली में अनवरत् सुधार कार्य किये जा रहे हैं। पूर्व के कार्यों का आकलन कर नई कार्ययोजना तैयार की गई है। पूर्ववर्ती राज्य सरकार द्वारा नये कनेक्शन दिये जाने का वादा तो किया गया किन्तु उसके अनुरूप ट्रांसफार्मरों की संख्या, उनकी क्षमता में वृद्धि एवं ग्रिड के संचालन का कार्य उसके अनुपात में नहीं किया गया जिसका परिणाम यह हुआ कि देवभोग एवं गरियाबंद जैसे क्षेत्रों में लो वोल्टेज एवं प्रणालियों पर बार-बार ओवरलोड की समस्या उत्पन्न होने लगी। इसके निराकरण हेतु प्रदेश की वर्तमान कांग्रेस सरकार ने विगत पांच महिनों में ही मुख्यमंत्री ऊर्जा प्रवाह योजना अन्तर्गत ग्रामीण क्षेत्रों में 33/11 केव्ही के 34 नये उपकेन्द्र की स्थापना के कार्य को प्राथमिकता से किया जा रहा है। साथ ही शहरी क्षेत्रों में 33/11 केव्ही के 9 उपकेन्द्र स्थापित किये गये। 

उल्लेखनीय है कि वर्तमान में स्थापित 33 सबस्टेशनों में अतिरिक्त ट्रांसफार्मर लगाकर क्षमता वृद्धि करते हुये बिजली की आपूर्ति सुनिश्चित करने का निर्णय लिया गया है। पूर्व में संचालित पाॅवर ट्रांसफार्मर में 40 नये एवं उन्नत क्षमता के ट्रांसफार्मर लगाकर ग्रिड को मजबूती प्रदान करने का प्रस्ताव है। इस प्रकार कुल 116 सबस्टेषन में नवीन स्थापना क्षमता, उन्नयन कार्य किया गया। इसका लाभ बलोदाबाजार के राजदेवरी, कटगी, गिधपुरी, बलरामपुर के महावीरगंज, पास्ता, जांजगीर-चांपा के कचन्दा, कोेसी, लखानी व गरियाबन्द के मालगाँव एवं डोंगरीगाँव जैसे अनेकों दूरस्थ ग्रामों को मिला।

प्रथम चरण में प्रदेश के दूरस्थ ऐसे स्थानों का चयन किया गया है, जहाँ तक बिजली पहुँचा दी गई थी, किन्तु बिजली की सतत् आपूर्ति एवं वोल्टेज़ को मेंटेन करने में बहुत कठिनाईयाॅ आ रही थी। पाॅवर कम्पनी द्वारा ऐसे क्षेत्रों को चिन्हित किया गया है एवं सतत् बिजली आपूर्ति हेतु स्थायी समाधान करने के लिए प्रयासरत किये जा रहे हैं। 

19 साल बाद रौशन सरगुजा के 174 गांव

छत्तीसगढ़ को पॉवर हब चाहे जब घोषित कर दिया गया हो, परंतु सरगुजा के जनकपुर क्षेत्र के 174 गांवों तक असल उजाला 19 साल बाद अब जाकर पहुंचा है। बिजली का भरपूर उत्पादन करने वाले छत्तीसगढ़ के इन गांवों के हजारों लोग इतने वर्षों तक सिर्फ इसलिए समस्याओं से जूझते रहे, क्योंकि उन तक उनके अपने प्रदेश की बिजली पहुंच ही नहीं पाई थी। मध्यप्रदेश से इन गांवों को ऊंची कीमत पर बिजली की आपूर्ति हो रही थी। अब जाकर इस समस्या का स्थायी समाधान हो पाया है।*   केवल साढ़े 3 महीने के रिकार्ड समय में नयी सरकार ने 60 किलोमीटर नयी विद्युत लाइन बिछाकर छत्तीसगढ़ से ही बिजली पहुंचाने का इंतजाम कर दिया है।

मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल की जानकारी में जब जनकपुर क्षेत्र की समस्या लाई गई तो उन्होंने इसके तत्काल समाधान का निर्देश दिया। राज्य बनने के बाद छत्तीसगढ़ ने विद्युत उत्पादन के मामले में हालांकि सरप्लस राज्य के रूप में पहचान बनाई, लेकिन अधोसंरचना के मामले में अनेक सीमावर्ती उपेक्षित रह गए। जनकपुर क्षेत्र भी इन्हीं में से एक था। 19 सालों में भी इस क्षेत्र को छत्तीसगढ़ के निकटतम विदुयत उपकेंद्र से कनेक्ट नहीं किया गया। मध्यप्रदेश से जिस 33 केवी लाइन से विद्युत आपूर्ति की जा रही थी, उसकी लंबाई 100 किलोमीटर है। इसीलिए इस क्षेत्र के गांवों को न तो निर्बाध बिजली मिल पा रही थी, और न ही सही वोल्टेज। 

4178 उपभोक्ताओं वाले जनकपुर क्षेत्र में आए दिन बिजली गुल रहा करती थी। लाइन में खराबी आने पर सुधार के लिए मध्यप्रदेश के अधिकारियों-कर्मचारियों के भरोसे रहना पड़ता था। समय पर सुधार नहीं हो पाने के कारण अक्सर कई-कई दिनों तक बिजली बाधित रहती थी। 

मध्यप्रदेश से बिजली की व्यवस्था किए जाने से जहां ग्रामीण परेशान थे, वहीं छत्तीसगढ़ को हर महीने बड़ा आर्थिक नुकसान उठाना पड़ रहा था। हाल के दिनों तक छत्तीसगढ़ को मध्यप्रदेश से हर महीने 1.14 मिलियन यूनिट बिजली खरीदनी पड़ रही थी। इसके ऐवज में छत्तीसगढ़ राज्य विद्युत वितरण कंपनी द्वारा औसत प्रति यूनिट 7 रुपए 21 पैसे की दर से हर महीने 82 लाख रुपए का भुगतान मध्यप्रदेश को किया जा रहा था। अब जबकि छत्तीसगढ़ से बिजली आपूर्ति की व्यवस्था हो गई है, मात्र 5 रुपए 43 पैसे की दर से बिजली उपलब्ध हो जाएगी। इस तरह 20 लाख 30 हजार रुपए की बचत हर महीने होगी।

         जनकपुर क्षेत्र के लिए 33 केवी की 60 किलोमीटर लंबी नयी लाइन बिछाने का काम मात्र साढ़े तीन महीने के रिकार्ड समय में पूरा कर लिया गया है, बावजूद इसके कि यह पूरी लाइन जंगल क्षेत्र से होकर गुजरती है। छत्तीसगढ़ के केल्हारी 33/11 केवी सब स्टेशन से जनकपुर क्षेत्र तक यह लाइन बिछाई गई है। इसमें 13 करोड़ 88 लाख रुपए खर्च हुए हैं। नयी लाइन के जरिये अब 174 गांवों को भरपूर वोल्टेज के साथ निर्बाध बिजली मिल पाएगी। लाइन में किसी तरह की खराबी या बाधा आने पर वे छत्तीसगढ़ के ही           अधिकारियों-कर्मचारियों से शिकायत कर उसे तुरत ठीक करा पाएंगे। जनकपुर क्षेत्र को मध्यप्रदेश से 33 केवी लाइन पर लगभग 23 केवी वोल्टेज प्राप्त हो रहा था, नई लाइन के चालू होने पर वोल्टेज बढ़कर 27 केवी हो गया है। 

देवभोग के 200 गांवों में रोशनी की राह

अधोसरंचना की खामियों की वजह से बिजली की समस्याओं से जूझ रहे देवभोग क्षेत्र के 200 गांवों को जल्द राहत मिल जाएगी। इस क्षेत्र को अच्छी गुणवत्ता के साथ निर्बाध बिजली की आपूर्ति करने के लिए भूपेश सरकार 67 करोड़ रुपए खर्च करने जा रही है। इस राशि से इंदा गांव में एक नये सब स्टेशन का निर्माण कराया जाएगा। 132 केवी की 68 किलोमीटर लंबी नयी विद्युत लाइन नगरी से बिछाने की तैयारी कर ली गई है। बीते वर्षों में देवभोग क्षेत्र में विद्युत कनेक्शनों की संख्या जिस रफ्तार से बढ़ी, उस रफ्तार से अधोसंरचना में सुधार का काम नहीं हो पाया। क्षेत्र की विद्युत संबंधी दिक्कतें संज्ञान में आने के बाद मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने अधोसंरचना संबंधी खामियों को जल्द से जल्द दूर करने के निर्देश अधिकारियों को दिए थे। इस समय गरियाबंद के 132 केवी सब स्टेशन से देवभोग को बिजली की आपूर्ति की जाती है। देवभोग तक बिजली पहुंचाने वाली 33 केवी की लाइन 140 किलोमीटर लंबी है। लंबाई अधिक होने की वजह से 33 केवी उपकेंद्रों में 33 केवी की जगह मात्र 21-22 केवी वोल्टेज प्राप्त हो पा रहा है। इसीलिए क्षेत्र के गांवों को लो-वोल्टेज की समस्या का सामना करना पड़ रहा है। खेती-किसानी के मौसम में पंप चलने के कारण फीडर में लोड बहुत ज्यादा बढ़ जाता है, जिसके कारण अक्सर तार टूटने की घटनाएं होती रहती हैं। इन सब की वजह से अक्सर गांवों में बिजली गुल रहती है। 

          देवभोग क्षेत्र के 33 हजार से ज्यादा उपभोक्ता पिछले 8 सालों से इसी तरह की समस्याओं का सामना कर रहे हैं। अब छत्तीसगढ़ स्टेट पॉवर ट्रांसमिशन कंपनी लिमिटेड ने इंदा गांव में 40 एमवीए क्षमता के 132/33 केवी विद्युत उपकेंद्र के निर्माण की तैयारी शुरू कर दी है। 13 करोड़ रुपए लागत वाले इस विद्युत उपकेंद्र के लिए राज्य नियामक आयोग से अनुमति प्राप्त की जा चुकी है। नगरी से जो नयी विद्युत लाइन बिछाई जाएगी, उसमें 54 करोड़ रुपए खर्च होंगे। इस तरह इस पूरे काम में 67 करोड़ रुपए खर्च किए जाएंगे। सब स्टेशन के निर्माण के लिए टेंडर की प्रक्रिया पूरी हो चुकी है। जुलाई से काम शुरू होने की संभावना है। इस उपकेंद्र के निर्माण के बाद देवभोग क्षेत्र में विद्युत आपूर्ति करने वाली 33 केवी लाइन की लंबाई मात्र 50 किलोमीटर रह जाएगी, जिससे क्षेत्र में लो वोल्टेज तथा तार टूटने की वजह से विद्युत-बाधा की समस्या हल हो जाएगी.

   

 

ये भी पढ़ें...