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रिश्वत लेकर  एफआईआर फाड़ देते थे मुकेश गुप्ता... वीरेंद्र पांडे ने सौंपी सीएम को शिकायत

रिश्वत लेकर एफआईआर फाड़ देते थे मुकेश गुप्ता... वीरेंद्र पांडे ने सौंपी सीएम को शिकायत

रायपुर. पूर्व मुख्यमंत्री डाक्टर रमन सिंह कांग्रेस सरकार पर बदलापुर-बदलापुर का राग आलापते हुए बदले की राजनीति करने का आरोप लगा रहे हैं, लेकिन हकीकत यह है कि इन दिनों रमन सरकार के पन्द्रह सालों में हुए घोटालों की जांच की मांग भाजपाई ही कर रहे हैं. पूर्व गृहमंत्री ननकीराम कंवर, भाजपा के प्रवक्ता गौरीशंकर श्रीवास के बाद शुक्रवार को भाजपा के पूर्व विधायक एवं वित्त आयोग के पूर्व अध्यक्ष वीरेंद्र पांडे ने विवादित पुलिस अफसर मुकेश गुप्ता और रजनेश सिंह के खिलाफ शिकायत सौंपी है. अपनी शिकायत में पांडे ने कई गंभीर आरोप लगाए हैं. पांडे का आरोप है कि मुकेश गुप्ता और रजनेश सिंह कम्प्यूटर पर भी एफआईआर लिखते थे और तगड़ा माल देने वालों की एफआईआर फाड़ दी जाती थीं.

दस्तावेजों के साथ सौंपी शिकायत

पांडे ने मुख्यमंत्री को दस्तावेजों के साथ शिकायत सौंपकर दोनों अफसरों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की है. सिलसिलेवार जानकारी देते हुए पांडे ने कहा कि अगर कोई रिपोर्ट लिखवाना चाहे तो पुलिस  रेगुलेशन एक्ट के पैरा 710 और विधि की धारा 154 के तहत प्रथम सूचना दर्ज की जाती है, लेकिन अफसर मुकेश गुप्ता और रजनेश सिंह छत्तीसगढ़ के अफसरों और जनता को फर्जी मुकदमों का भय दिखाकर मामला दर्ज करते थे. पांडे  ने कई मामलों के उदाहरण देते हुए कहा कि आर्थिक अपराध अन्वेषण ब्यूरो ने अपराध क्रमांक 53/ 2014 में प्रथम इत्तिला सूचना पृष्ठ क्रमांक 30, 31 एवं 32 तथा 34 में दर्ज की है. इसी तरह अपराध क्रमांग 54/ 2014 की प्रथम इत्तिला सूचना पृष्ठ क्रमांक 34, 35, 36 एवं 37 में दर्ज है. अपराध क्रमांक 55/ 2014 की प्रथम सूचना 38, 39, 40 एवं 41 नंबर के पेज में दर्ज है और अपराध क्रमांग 57/ 2014 की सूचना 42, 43, 44 एवं 45 में उल्लेखित है. महत्वपूर्ण तथ्य यह है कि अपराध क्रमांक 56/ 2014 को प्रथम इत्तिला पुस्तक के पेज नंबर 42, 43, 44, 45 में लेख किया जाना था, लेकिन विजय सिंह ठाकुर, गोविंदराम देवांगन, अबरार बेग, बीडीएस नरबरिया जिनके पास से करोड़ों रुपए की संपत्ति जप्त की गई थीं के खिलाफ प्रथम इत्तिला पुस्तक के बजाय कम्प्यूटर में फर्जी  एफआईआर दर्ज की गई. जब इन लोगों से रिश्वत प्राप्त कर ली गई और कम्प्यूटर के सादे कागज की फर्जी एफआईआर फाड़ दी गई और एक इंजीनियर आलोक अग्रवाल के खिलाफ प्रथम इत्तिला पुस्तक के पृष्ठ क्रमांक 43, 44 एवं 45 में लेख कर दिया गया. पांडे ने कहा कि अपराध क्रमांक 5/ 2015 की जानकारी प्रथम इत्तिला पुस्तक में दर्ज नहीं है. इसे कम्प्यूटर में सादे कागज में लेख किया गया है. इंजीनियर आलोक अग्रवाल से मुकेश गुप्ता और रजनेश सिंह ने रिश्वत की मांग की. जब उसने देने से मना कर दिया तो उसके खिलाफ एफआईआर दर्ज कर दी गई. अबरार बेग, गोविंद राय, विजय सिंह ठाकुर, गोविंदराम देवांगन, बीड़ीएस नरबरिया जैसे लोग जिनके पास से करोड़ों रुपए बरामद हुए थे उनसे रिश्वत लेकर कम्प्यूटर में लिखी गई शिकायत फाड़ दी गई. पांडे ने मुख्यमंत्री को अपने आरोपों की पुष्टि के लिए और भी कई तरह के प्रकरणों के उदाहरण दिए. पांडे ने कहा कि मुकेश गुप्ता और रजनेश सिंह सांठगांठ कर अफसरों और अन्य लोगों के घरों पर छापामार कार्रवाई करते थे. उनकी हर कार्रवाई कानून सम्मत न होकर कूटरचित होती थीं. पांडे  ने कहा कि अगर उनके आरोपों की एफएसएल से परीक्षण कराया जाएगा तो मुकेश गुप्ता और रजनेश सिंह को जेल जाने से कोई नहीं रोक पाएगा. पांडे के शिकायत के बाद मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने पुलिस महानिदेशक को जांच करने का निर्देश दिया है.

 

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