बड़ी खबर

क्या अखबार छूने और पढ़ने से कोरोना फैल जाएगा ?

क्या अखबार छूने और पढ़ने से कोरोना फैल जाएगा ?

रायपुर. पिछले कुछ समय से सोशल मीडिया में यह खबर बड़ी तेजी से फैली है कि अखबार छूने और पढ़ने से कोरोना फैल सकता है. छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर से निकलने वाले एक सांध्य दैनिक छत्तीसगढ़ ने तो बकायदा अपने अखबार का प्रकाशन ही स्थगित कर दिया है. अखबार ने वॉट्सअप, फेसबुक और टिव्हटर के जरिए पाठकों तक पहुंचने की घोषणा की है.कोरोना वायरस से बचाव के लिए संकल्पित कतिपय नागरिकों का भी मानना है कि जो खबरें सोशल मीडिया और टीवी में दिनभर घूमते रहती हैं, कमोबेश वहीं खबरें दूसरे दिन अखबार में देखने को मिलती है. अब अखबार की किसी भी खबर में नई तरह की जानकारी और सूचनाएं नहीं रहती...इसलिए अगर कुछ दिनों तक अखबार के वाचन पर रोक लगा दी जाय तो इसमें बुराई नहीं है.

प्रकाशन को स्थगित रखने के पीछे छत्तीसगढ़ अखबार ने लिखा है- हिंदुस्तानियों की सेहत पर आया यह आज तक का सबसे बड़ा जानलेवा खतरा है जिसके जल्दी टलने के आसार नहीं है. सैकड़ों लोग बेहद सुरक्षित तरीके से अखबार निकालते हैं बावजूद इसे घर-घर तक पहुंचाने में हजारों लोग लगते हैं, और उनकी जिंदगी भी खतरे में आती है. कई ग्राहकों ने कोरोना का खतरा खत्म होने तक हॉकर से अखबार डालने के लिए मना भी किया है, इसलिए हम खतरा टलने तक ऑनलाइन रहेंगे.

वैसे यह बात पूरी तरह से सच है कि रायपुर की कई कॉलोनियों में रहने वाले नागरिकों ने हॉकरों को अखबार डालने से मना कर दिया है. राजधानी के अम्लीडीह स्थित मारुति रेसीडेंसी में अखबार, दूध बांटने वाले और घर में काम करने वाली बाइयों के प्रवेश पर प्रतिबंध लगा दिया गया है. वहां निवासरत पत्रकार रेणु नंदी ने बताया कि अखबार वाला गेट पर ही अखबार रखकर चला जाता है. जिस नागरिक को अखबार पढ़ना होता है वह गेट पर जाकर अखबार पढ़ लेता है, लेकिन ज्यादातर लोगों ने अखबार पढ़ना बंद कर दिया है. दुर्ग-भिलाई और बिलासपुर से भी ऐसी खबरें आ रही है कि हॉकरों ने अखबार का वितरण करने से इंकार कर दिया है. इधर कतिपय बड़े अखबार वाले सोशल मीडिया पर वीडियो जारी कर यह बताने का प्रयास कर रहे हैं कि उनका अखबार पूरी तरह से सुरक्षित है क्योंकि वे सैनेटाइजर का छिड़काव करते हुए अखबार का प्रकाशन कर रहे हैं.

अभी चंद रोज पहले कांग्रेस के एक मुख्य प्रवक्ता सुशील आनंद शुक्ला ने अपने फेसबुक पर एक पोस्ट डाली है. इस पोस्ट के जरिए श्री शुक्ला ने यह जानना चाहा था कि क्या अखबार भी कोरोना का संवाहक बन सकता है? उनकी इस पोस्ट पर बहुत से लोगों ने टिप्पणी करते हुए यह माना है कि अखबार से भी कोरोना वायरस फैल सकता है. उनकी पोस्ट पर डाक्टर राकेश गुप्ता ने लिखा है- संक्रमित मरीज के संपर्क में आने पर अखबार संक्रमण का शिकार बन सकते हैं. इस बारे में जब हमने भी डाक्टर गुप्ता से चर्चा की. उन्होंने साफ-साफ कहा कि अगर किसी का वायरस ट्रांसफर हो गया है तो संक्रमण फैल सकता है. वैसे अगर कोई हॉकर कोरोना पॉजिटिव हो जाएगा तो वह अखबार बांटने लायक ही नहीं रहेगा. उन्होंने कहा कि अभी हमारे देश का हेल्थ स्ट्रेक्चर बेहद पीछे हैं इसलिए सावधानी और सामाजिक अनुशासन ही कोरोना से बचाव का एकमात्र उपाय है.

सोशल मीडिया में चल रही एक खबर में यूएस सेंटर्स फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन के हवाले से कहा गया है कि जीवित कोशिकाओं के बाहर ज्‍यादातर सतहों पर कोरोना वायरस बहुत समय तक जिंदा नहीं रहता है. वायरोलॉजिस्‍ट का कहना है कि जब आप अखबार छूते हैं तो संक्रमण फैलने की आशंका तकरीबन न के बराबर होती है. एक खबर में यह भी कहा गया है कि अखबार को असुरक्षित कहने का कोई तर्क नहीं है. अगर आप भीड़भाड़ वाली जगह पर अखबार पढ़ रहे हैं तो संक्रमण फैलने का खतरा ज्‍यादा है. लेकिन, इसकी वजह अखबार नहीं, बल्कि यह है कि आप सामाजिक दूरी बनाकर नहीं चल रहे हैं.

देश के नामी अखबारों में से एक नवभारत टाइम्स ने लिखा है- कोरोना वायरस (कोविड-19) के संकट के दौरान अखबार अपने पाठकों के लिए प्रतिबद्ध हैं. अखबारों के जरिए कोरोना वायरस (कोविड-19) नहीं फैलता. डब्लूएचओ की गाइडलाइंस के मुताबिक, अखबार जैसी चीजें लेना सुरक्षित है. मॉर्डन प्रिंटिंग तकनीक पूरी तरह ऑटोमेटेड है. व्यावसायिक सामान के दूषित होने की संभावना कम है.

 

 

ये भी पढ़ें...