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टेलीफोन में लवयू... लवयू बोलते थे मुकेश गुप्ता... आया लाखों का बिल तब फूटा भांडा

टेलीफोन में लवयू... लवयू बोलते थे मुकेश गुप्ता... आया लाखों का बिल तब फूटा भांडा

टेलीफोन में लवयू... लवयू बोलते थे मुकेश गुप्ता... आया लाखों का बिल तब फूटा भांडा

रायपुर. यह खबर इसलिए नहीं लिखी जा रही है कि इस खबर का रिपोर्टर प्रेम का विरोधी है. नफरत के जमाने में कोई प्रेम करता है तो इससे अच्छी बात क्या हो सकती है, लेकिन जब प्रेम के चक्कर में शासकीय धन और संपत्ति का दुरुपयोग हो तो उसे प्रेम नहीं अपराध माना जाता है. फिलहाल छत्तीसगढ़ में टेपकांड में फंसे आईपीएस मुकेश गुप्ता ने मध्यप्रदेश के उज्जैन में अपनी पदस्थापना के दौरान कई मर्तबा सरकारी टेलीफोन से मिक्की मेहता को लवयू... लवयू... कहा था. दिन हो या रात वे अक्सर मिक्की मेहता से फोन पर बातें किया करते थे. इस बात का खुलासा तब हुआ जब मुकेश गुप्ता के अधीनस्थ सरकारी टेलीफोन क्रमांक 513300, 513301, 515141, 515557, 515558, 511640, 516811 का बिल लाखों में आया और उसका भुगतान शासकीय धन से किया गया.

यह बात है वर्ष 1998 से 2000 के बीच की है. इस अवधि में मुकेश गुप्ता उज्जैन में पुलिस अधीक्षक थे. पाठक सोच रहे होंगे कि इतने साल पुरानी बात को यहां बताने के पीछे का मकसद क्या है. मकसद सिर्फ इतना है कि टेप और टेलीफोन कांड से मुकेश गुप्ता का पुराना और अटूट नाता रहा है. जब यह कांड हुआ तब मुकेश गुप्ता ने स्वयं को बचाने के लिए विवेचक डीएस वर्मा और उज्जैन रेंज में पदस्थ सीके तिवारी नाम के एक उप पुलिस अधीक्षक को अपने लपेटे में लिया था. तिवारी ने 10 अप्रैल 2000 को अपराध अनुसंधान विभाग के पुलिस महानिदेशक को एक गोपनीय शासकीय पत्र लिखकर जो सनसनीखेज जानकारी दी थी उसका संक्षिप्त विवरण यहां प्रस्तुत है-

मुकेश गुप्ता मिक्की नाम की महिला से देर रात तक वार्तालाप किया करते थे. इस वजह से ही टेलीफोन का बिल लाखों में आया. इन बिलों का भुगतान शासकीय धन से किया गया है इसलिए यह अपराध भी है. यह कृत्य स्पष्ट रुप से पद का दुरूपयोग एवं भ्रष्ट आचरण की श्रेणी में आता है. पुलिस अधीक्षक मुकेश गुप्ता मिक्की मेहता से अपनी प्रगाढ़ता स्वीकार कर चुके हैं. जब उन्हें यह पता चला कि उनके टेलीफोन कांड की गोपनीय ढंग से जांच चल रही है तब उन्होंने मिक्की मेहता से अचानक बात बंद कर दी और बचने के लिए 40 हजार का बिल स्वयं पटाया जबकि बिल सात लाख से दस लाख के आसपास का है. पत्र में तिवारी ने साफ कहा है कि मुकेश गुप्ता विवेचक और उन्हें ( तिवारी को ) फंसाने के लिए कुचक्र रच रहे हैं. तिवारी ने साफ लिखा कि मुकेश गुप्ता आए दिन उनके परिवार को बर्बाद करने की धमकी देते रहते हैं, लेकिन इस प्रकार की धमकियों से न तो वह विचलित होने वाला है और न भविष्य में विचलित हो सकता है.

 

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