बड़ी खबर

झमेले में फंस गए महंत

झमेले में फंस गए महंत

रायपुर. पूर्व मुख्यमंत्री अजीत जोगी के हटने के बाद अब कांग्रेस में पहले जैसी सिर-फुटौव्वल वाली स्थिति नहीं है, बावजूद इसके वरिष्ठ नेता चरणदास महंत एक बेमतलब के झमेले में फंस गए हैं. झमेले में फंसने का यह मामला जाज्वल्य देव लोक महोत्सव एवं एग्रीटेक मेले से जुड़ा हुआ है. महंत इस कार्यक्रम में शिरकत करने गए थे कि अचानक वहां मौजूद मीडियाकर्मियों ने नारेबाजी प्रारंभ कर दी. मीडियाकर्मी जांजगीर-चांपा के मुख्यकार्यपालन अधिकारी को हटाने की मांग कर रहे थे. काफी देर तक नारेबाजी के बाद भी जब मामला शांत नहीं हुआ तो महंत ने नारेबाजी का निहितार्थ समझने की कोशिश की. पता चला कि मामला विज्ञापन से जुड़ा हुआ है. पिछले साल जब राज्य में रमन सिंह की सरकार थी तब छोटे-बड़े 42 अखबार और 13 न्यूज चैनल वालों को जाज्वल्य देव लोक महोत्सव का विज्ञापन दिया गया था. इस बार बजट पारित नहीं होने की वजह से मुख्य कार्यपालन अधिकारी केवल 17 अखबार और 9 न्यूज चैनल को विज्ञापन जारी किया. विज्ञापन से वंचित अखबार और चैनल वालों का गुस्सा भड़का तो महंत ने समझाया कि राज्य का बजट पारित होने के बाद वे स्वयं मुख्यमंत्री से आग्रह करेंगे... मामला शांत नहीं हुआ तो महंत को कहना पड़ा- जो महोत्सव में रहना चाहते हैं रहे और जिन्हें नहीं रहना है वे चले जाए... उनके इतना कहते ही मामले ने तूल पकड़ लिया और फिर उन्हें भी पत्रकारों के साथ खराब व्यवहार करने वाले नेताओं की श्रेणी में शामिल कर लिया गया. बुधवार को जब उन्होंने पहली बार विधानसभा का निरीक्षण करने के बाद पत्रकारों को संबोधित किया तो उनके चेहरे पर एक उदासी भी दिखाई दी. पत्रकारों के सारे सवालों का उन्होंने सिलसिलेवार जवाब दिया, लेकिन जाज्वल्य देव महोत्सव का सवाल वे टाल गए. अविभाजित मध्यप्रदेश हो या फिर छत्तीसगढ़... राजनीति में उन्हें देखने-समझने जानते हैं कि महंत बड़े से बड़े सवालों का जवाब बेहद शालीनता से देते रहे हैं. बुधवार को भी जब वे पत्रवार्ता लेने से पहले सभी पत्रकारों से निजी तौर पर मिलने पहुंचे तो पत्रकारों ने भी यह कहते हुए बधाई दी- अब लग रहा है कि हमारे विधानसभा अध्यक्ष सेठ नहीं है.

ये भी पढ़ें...