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संघी अफसरों के हाथों में कमान...फिर भी नहीं बदली पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग की सूरत
संघी अफसरों के हाथों में कमान...फिर भी नहीं बदली पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग की सूरत
अब भी कई जिलों में अपात्र बने हुए हैं कार्यपालन अभियंता
रायपुर. यह कोई नई बात नहीं है. जिस किसी भी सरकार होती है तो वह गिन-गिनकर हर विभाग में अपने लोगों की तैनाती पर जोर देता है. सूबे में भूपेश सरकार के जाने और साय सरकार के आने के बाद पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग में संघ की पृष्ठभूमि को मानने-जानने वाले अफसरों का वर्चस्व कायम हो गया है. ऐसे सभी अफसर जो कभी लूप लाइन में थे विभाग में काबिज हो गए हैं. संघी पृष्ठभूमि वाले अफसरों की तैनाती के बावजूद पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग की सूरत जस की तस है. यह विभाग अब भी घपलों-घोटालों... एक ही बारिश में बह जाने वाली खराब सड़कों और काला-पीला करने वालों ठेकेदारों के कारनामों के लिए मशहूर है. विभाग के बारे में कहा जाता है कि यहां जो ना हो जाय वह कम है.
ताजा मामला 17 अक्टूबर 2024 को पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग के अंतर्गत ग्रामीण यांत्रिकी सेवा के उप अभियंताओं और सहायक अभियंताओं ( सिविल ) के पद पर पदोन्नति से जुड़ा हुआ है. मजे की बात यह है कि जिन्हें उप अभियंता से सहायक अभियंता के पद पर प्रमोशन दिया गया हैं वे बरसो से कई जिलों में प्रभारी कार्यपालन अभियंता बने हुए थे.
जो पदोन्नति सूची जारी हुई है उसमें नरेंद्र कुमार देशमुख सहित कई लोगों का नाम शामिल है. नरेंद्र कुमार देशमुख 31 मई 2022 को सेवानिवृत हो चुके हैं और अपनी सेवानिवृति से पहले वे बलौदाबाजार जिले में प्रभारी कार्यपालन अभियंता भी रह चुके हैं. यानी कि जो व्यक्ति कार्यपालन अभियंता रह चुका है वह अब जाकर सहायक अभियंता के पद पर पदोन्नत हुआ है वह भी सेवानिवृति के बाद.
सहायक अभियंता के पद पदोन्नति पाने वालों में एक नाम देवेंद्र सिंह कश्यप का भी है. कश्यप भी 30 अप्रैल 2024 को सेवानिवृत हुए हैं, लेकिन सेवानिवृति से पहले वे भी राजनांदगांव में कार्यपालन अभियंता के तौर कार्य कर चुके हैं.पदोन्नति पाने वालों में एक नाम वायके शुक्ला का भी है. वाय के शुक्ला लंबे समय से अंबिकापुर में ही पदस्थ है और उन्हें लेकर कई तरह की गंभीर शिकायतें भी है. कहा जाता है कि राजनीतिक व प्रशासनिक वरदहस्त के चलते वायके शुक्ला को अंबिकापुर से हटाया नहीं जाता. बहरहाल वायके शुक्ला अभी सेवानिवृत नहीं हुए हैं लेकिन अंबिकापुर में ही कार्यपालन अभियंता के तौर पर उनकी तैनाती बनी हुई है.
गौरतलब है कि वर्ष 2013 में ग्रामीण यांत्रिकी सेवा में प्रमोशन की प्रक्रिया प्रारंभ हुई थी तब एक सब इंजीनियर ने प्रक्रिया को गलत बताते हुए कोर्ट की शरण ले ली थीं. कोर्ट ने नए सिरे से पदोन्नति का आदेश दिया लेकिन कोर्ट के आदेश के बाद भी कई अपात्र जो महज सहायक अभियंता थे वे प्रभारी कार्यपालन अभियंता बना दिए गए. विभाग में कार्यरत वे लोग जो नियम-कानून और कायदे पर यकीन रखते हैं उन्हें लग रहा था कि नई सरकार के बनने पर सब कुछ ठीक-ठाक हो जाएगा. यानी कि रिव्यू डीपीसी में ही होगी और योग्य लोगों को मौका मिलेगा लेकिन अब भी राजनांदगांव, कांकेर, अंबिकापुर और कोरबा सहित कई जिलों में कई अपात्र ग्रामीण यांत्रिकी सेवा एवं प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना में कार्यपालन अभियंता और सहायक अभियंता के पद जमे हुए हैं. इस खबर के साथ जिस आदेश को यहां चस्पा किया गया है उसे अगर गौर से देखेंगे तो पाएंगे कि उप अभियंता से सहायक अभियंता के लिए पदोन्नति का आदेश निकाले जाने के दौरान नाम के आगे बड़ी चालाकी से केवल पदस्थापना कार्यालय का नाम ही दिया गया है. पदस्थापना कार्यालय के कालम में इस बात का उल्लेख नहीं है कि संबंधित व्यक्ति किस पद पर कार्यरत है.