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छत्तीसगढ़ सरकार की मंशा: पांच करोड़ की लागत वाले उद्योग भी हो स्थापित...लेकिन वाह रे उद्योग विभाग के अफसर ?

छत्तीसगढ़ सरकार की मंशा: पांच करोड़ की लागत वाले उद्योग भी हो स्थापित...लेकिन वाह रे उद्योग विभाग के अफसर ?

रायपुर. छत्तीसगढ़ में जब भाजपा की सरकार थीं तब उद्योग नीति में काफी झोल था. यहीं एक कारण था कि भूपेश बघेल की सरकार ने चंद लोगों को फायदा पहुंचाने वाली उद्योग नीति में आमूल-चूल बदलाव कर दिया था. पहले ग्रामीण इलाकों में 25 लाख तक की लागत वाले उद्योग-धंधों के प्रकरण को ही बैंक तक भेजा जाता था.कांग्रेस ने अपनी नीति में इस राशि को बढ़ाकर पांच करोड़ तक कर दिया. यानि कोई उद्योगपति ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूत करने के लिए पांच करोड़ की लागत का उद्योग स्थापित करना चाहेगा तो उद्योग विभाग उसके प्रकरण में भरपूर सहायता करेगा, लेकिन धरातल पर अब भी भाजपा की उद्योग नीति ही लागू दिखाई देती है. प्रदेश के कई जिलों में जिला उद्योग केंद्र के अधिकारी उद्योग लगाने की इच्छा रखने वालों से यहीं कह रहे हैं कि प्रोजेक्ट 25 लाख से अधिक का होने की दशा में आप जानो और बैंक वाला जाने ?

सोमवार को हमने महासमुंद जिला उद्योग केंद्र के महाप्रबंधक संजीव सुखदेवे से बात की. चर्चा के दौरान उन्होंने बताया कि प्रोजेक्ट कास्ट तो कई हजार करोड़ का हो सकता है, लेकिन बैंक वाले ही 25 लाख तक के प्रोजेक्ट को मंजूरी देते हैं तो हम क्या करें. जब हमने पूछा कि आप बैंक के लिए काम करते हैं या सरकार के लिए तो उनका कहना था- जब बैंक सहायता ही नहीं देगा तो काहे समय बर्बाद किया जाय. हम प्रधानमंत्री रोजगार सृजन योजना और मुख्यमंत्री रोजगार सृजन योजना के तहत उन्हीं प्रकरणों को बैंक तक भेजते हैं जिनकी कास्ट 25 लाख तक होती है. जिसको बैंक से अधिक राशि के लिए डील करनी है तो वो जाने और बैंक वाले जाने.

इधर राज्य सरकार ने अपनी नीति में साफ-साफ तय किया है कि अगर कोई न्यूनतम 25 एकड़ भूमि में औद्योगिक पार्क स्थापित करना चाहता है तो अधोसंरचना लागत ( भूमि को छोड़कर ) 30 प्रतिशत अधिकतम पांच करोड़ तक का अनुदान तथा स्टांप व पंजीयन शुल्क में पूर्ण छूट और डायवर्सन शुल्क में 100 प्रतिशत तक छूट प्रदान की जाएगी. सरकार की इस छूट से राज्य के ग्रामीण इलाकों में कई तरह के छोड़े-बड़े उद्योग स्थापित हो सकते हैं और ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूती मिल सकती है, लेकिन उद्योग विभाग के अफसर ग्रामीण इलाकों में उद्योग-धंधा स्थापित करने वालों की फाइल पर पुराने नियम -कानून का हवाला देकर कुंडली मारकर बैठ जाते हैं. इधर उद्योग विभाग के अतिरिक्त संचालक प्रवीण शुक्ला का कहना है कि उद्योग लगाने के लिए लिमिट का कोई बंधन नहीं है. सारे प्रकरण गुण-दोष के आधार पर ही आगे भेजे जाते हैं. अगर राज्य में निवेश करने वालों के लिए कोई अपनी तरफ से लिमिट तय कर रहा है तो वह गलत हैं.

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