पहला पन्ना

शर्मनाक और केवल शर्मनाकः दिव्यांगों के लिए उपकरण खरीदी में समाज कल्याण विभाग ने किया घोटाला

शर्मनाक और केवल शर्मनाकः दिव्यांगों के लिए उपकरण खरीदी में समाज कल्याण विभाग ने किया घोटाला

रायपुर. प्रदेश के समाज कल्याण विभाग में भ्रष्ट अफसरों का जबरदस्त बोलबाला है. केवल नई राजधानी के मंत्रालय और संचालनालय में ही नहीं अपितु  एय्याश और कमीशनखोर अफसर प्रदेश के हर जिले में काबिज है. अभी हाल के दिनों में रायपुर की सामाजिक संस्था समर्पण सेवा के प्रमुख रामचंद्र मजूमदार ने मुख्यमंत्री भूपेश बघेल को चौकाने वाली जानकारी भेजी है. सूचना के अधिकार के तहत हासिल किए दस्तावेजों के आधार पर यह दावा किया गया है कि वर्ष 2016 से लेकर 18 तक जब प्रदेश में भाजपा की सरकार थीं तब अफसरों ने दिव्यांगों के कृत्रिम अंग उपकरण की खरीदी में करोड़ों का घोटाला किया.

शिकायत में यह जानकारी दी गई है कि वर्ष 2016-17-18 में समाज कल्याण विभाग रायपुर के संयुक्त संचालक ने बगैर निविदा के कुल 1.58 करोड़ रुपए के उपकरण खरीद लिए थे. नियमानुसार इतनी बड़ी धनराशि की खरीदी के लिए निविदा बुलाई जानी थीं, भंडार क्रय नियम 2002 का पालन किया जाना चाहिए था, लेकिन ऐसा नहीं किया गया. इन वर्षों में धमतरी के उपसंचालक ने भी बगैर निविदा के कुल 5 लाख 80 हजार रुपए के उपकरणों की खरीदी की. इनकी देखा-देखी बिलासपुर के संयुक्त संचालक 16 करोड़, जांजगीर-चांपा के उप संचालक ने 3 करोड़, राजनांदगांव के उपसंचालक ने 2.50 करोड़, बेमेतरा में 1.50 करोड़, रायगढ़ में  एक करोड़ और सरगुजा में डेढ़ करोड़ के उपकरण क्रय किए.

कानपुर की कंपनी से सीधे खरीदी

समाज कल्याण विभाग ने उपकरणों की खरीदी के लिए कानपुर में साइकिल निर्माता कंपनी ऐलिंको को ही महत्वपूर्ण माना, जबकि जिन वर्षों में खरीदी की जा रही थीं उस समय कंपनी का बीआईएस ( ब्यूरो ऑफ इंडियन स्टैडर्ड ) का लायसेंस निरस्त था. यानी कंपनी इस लायक नहीं थी कि वह उच्च गुणवत्ता वाले उपकरणों की आपूर्ति कर सकें. कई जिलों में बैटरी से चलने वाली ट्रायसाइकिल की खरीदी हुई. इन साइकिलों की खरीदी में थर्ड पार्टी से जांच नहीं करवाई गई. यहां तक सप्लायर ने किसी तरह की गारंटी-वारंटी भी प्रदान नहीं की. इस कंपनी को भुगतान देने के लिए समाज कल्याण विभाग के अफसर इतने ज्यादा उतावले थे कि कंपनी को उपकरणों की सप्लाई के पहले ही सौ फीसदी अग्रिम भुगतान भुगतान कर दिया गया.

अफसरों पर नहीं हुई कार्रवाई

इस मामले का भांडा तब फूटा जब जांजगीर-चांपा में दिव्यांगो ने कलक्टर को बड़ी संख्या में ट्राइसाइकिल लौटाई. दिव्यांगों का कहना था कि उन्हें खराब साइकिल दे गई है. दिव्यांगों की शिकायत के बाद ऐलिंको कंपनी के इंजीनियरों ने कुछ सायकिलें सुधारी, लेकिन साइकिल फिर खराब हो गई. दिव्यांगों की शिकायत और उनके साथ हुए मजाक के बाद समाज कल्याण विभाग की प्रभारी बीना दीक्षित हटा दी गई. यह एक छोटी सी कार्रवाई मात्र जांजगीर-चांपा जिले में हो पाई है. घटिया उपकरणों की मंहगे दर पर खरीदी के मामले में अब भी बड़े अफसरों पर गाज नहीं गिरी है. इन अफसरों के बचे रहने की एक बड़ी वजह यह भी है कि इन्हें मंत्रालय में पदस्थ भारतीय प्रशासनिक सेवा के नामचीन अफसरों का संरक्षण प्राप्त है. पाठकों को याद होगा कि भाजपा के शासनकाल में समाज कल्याण विभाग में रहते हुए करोड़ों रुपए का घोटाला करने वाले एक अफसर के घर और ठिकानों पर ईओडब्लू ने छापामार कार्रवाई की थी. यह अफसर अब सेवानिवृत हो गया है लेकिन ईओडब्लू अब तक चालान पेश नहीं कर पाई है. इन दिनों यह अफसर समाज कल्याण विभाग की मंत्री का सबसे करीबी माना जाता है.

ये भी पढ़ें...