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क्या भारतीय प्रशानिक सेवा के अफसर  जगदीश सोनकर सुसाइड कर सकते  है ?

क्या भारतीय प्रशानिक सेवा के अफसर जगदीश सोनकर सुसाइड कर सकते है ?

रायपुर. बलरामपुर जिले के रामानुजगंज इलाके में अपनी पदस्थापना के दौरान एक मरीज के बिस्तर पर बूट रखकर बूट बाबू के नाम से विख्यात हुए भारतीय प्रशासनिक सेवा 2013 बैच के अफसर जगदीश सोनकर एक बार फिर चर्चा में हैं. सोनकर इन दिनों बस्तर जगदलपुर में अपर कलक्टर की हैसियत से कार्यरत है. यहां के कलक्टर कार्यालय में कार्यरत अधिकारियों और कर्मचारियों ने मुख्यमंत्री भूपेश बघेल को एक पत्र भेजकर सोनकर को हटाने की मांग की है. पत्र में सोनकर की कार्यप्रणाली और गतिविधियों और लेकर गंभीर शिकायत की गई है. पत्र में कहा गया है कि सोनकर सप्ताह में मात्र दो या तीन दिन आधे घंटे के लिए दफ्तर आते हैं. बाकी दिन वे कहां रहते हैं? क्या करते हैं... इसकी जानकारी किसी को नहीं होती. जगदलपुर के प्रशासनिक गलियारों में किस तरह की उथल-पुथल चल रही है इसकी ठीक-ठाक जानकारी फिलहाल हासिल नहीं हैं, लेकिन पत्र में गंभीर तौर पर यह बात भी उल्लेखित है कि सोनकर को ठीक करना किसी कलक्टर और कमिश्नर के बस की बात नहीं है. उनके ( सोनकर )  के सामने अपर कलक्टर और डिप्टी कलक्टर उपस्थित होने से इसलिए डरते कि कहीं वे उनका नाम लिखकर आत्महत्या न कर लें. ( हालांकि इस खबर के रिपोर्टर का मानना है कि शिकायतें अपनी जगह है. शिकायतें होती रहती है, लेकिन किसी दबाव में कोई अप्रिय स्थिति उत्पन्न नहीं होनी चाहिए. इस मामले में शासन के वरिष्ठ अधिकारियों को भी संज्ञान लेकर कोई उचित समाधान अवश्य ढूंढना चाहिए. ) 

चाय पीने के लिए चले जाते हैं कोण्डागांव

पत्र में कहा गया है कि अव्वल तो सोनकर किसी भी बैठक में हिस्सेदारी दर्ज नहीं करते और अगर कभी भूले-भटके बैठक में आ भी गए तो एक मूर्ति की तरह चुपचाप बैठे रहते हैं. जैसे ही कलक्टर कोई जिम्मेदारी देते हैं वे कार्यालय आना बंद कर देते हैं और अजीब-अजीब सी हरकत करने लगते हैं. पत्र में कहा गया है कि जब भी सोनकर की वीआईपी डयूटी लगाई जाती है तो उनका दिमाग आपे से बाहर हो जाता है. पत्र में एक खास बात यह भी उल्लेखित है कि सोनकर को चाय पीने का जबरदस्त शौक है और इस शौक को पूरा करने के लिए वे सरकारी वाहन से जगदलपुर से कोण्डागांव और नारायणपुर चले जाते हैं. अगर आवंटित सरकारी वाहन के लॉगबुक की जांच करवाई जाएगी तो यह तथ्य भी उजागर हो जाएगा.

लोकसभा चुनाव में नहीं किया काम  

शिकायती पत्र में यह भी कहा गया है कि सोनकर पहले दंतेवाड़ा के जिला पंचायत में कार्यपालन अधिकारी थे, लेकिन उन्हें संदिग्ध गतिविधियों के चलते अल्प अवधि में ही जगदलपुर स्थानांतरित कर दिया गया था. यहां आकर भी उन्होंने अपना ढुलमुल रवैया बरकरार रखा और कलक्टर के द्वारा जिम्मेदारी दिए जाने के बाद भी उनके द्वारा लोकसभा चुनाव में किसी तरह का कोई कार्य नहीं किया गया. वे आईएएस है इसलिए अब तक सुरक्षित हैं अगर किसी अन्य श्रेणी के कर्मचारी होते तो निलंबित हो गए होते. पत्र में बीजापुर के एक आईएएस अधिकारी द्वारा पत्रकारों के साथ किए गए दुर्व्यहार का भी उल्लेख है. बताया गया है कि बस्तर संभाग के कमिश्नर ने इस मामले की जांच का जिम्मा सोनकर और अन्य दो पत्रकारों को दिया था, लेकिन जांच के दौरान सोनकर के मुंह से एक शब्द भी नहीं निकला. पत्र में यह भी लिखा गया है कर्तव्य के प्रति लापरवाही, अकर्मण्यता के चलते जगदलपुर कलक्टर कार्यालय के अन्य कर्मचारियों पर विपरीत असर पड़ रहा है. इस बारे में सच्चाई जानने के लिए जगदलपुर कलक्टर एयाज तंबोली को फोन लगाया गया, लेकिन उन्होंने फोन रिसीव नहीं किया. भारतीय प्रशासनिक सेवा के अफसर जगदीश सोनकर के मोबाइल पर भी उनका पक्ष जानने की कवायद की गई, लेकिन उन्होंने भी फोन नहीं उठाया.

 

 

 

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