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बताइए...रमन सिंह के ओएसडी की बीवी भी उठा रही थी एक लाख रुपए महीने की पगार

बताइए...रमन सिंह के ओएसडी की बीवी भी उठा रही थी एक लाख रुपए महीने की पगार

रायपुर. भाजपा के शासनकाल में लूट मची थी लूट. जिसे देखो वही लूट-खसोट में शामिल था. छत्तीसगढ़ के बेरोजगार भूखे-प्यासे नौकरी के लिए दर-दर भटक रहे थे तो इधर अफसरों की बीवियां अयोग्यता के बावजूद टाइम पास करने के लिए नौकरियां कर रही थी. प्रदेश में भूपेश बघेल की सरकार बनने के बाद अफसरों के कारनामों की जांच प्रारंभ हुई तो एक से बढ़कर एक कई तरह के खुलासे हुए. पता चला कि रमन सिंह के चहेते अफसरों ने अपने लिए नहीं ब्लकि सात पीढ़ियों के लिए एशोआराम का पक्का बंदोबस्त कर रखा है.

कांग्रेस के फायर ब्रांड नेता विकास तिवारी ने कुछ समय पहले पूर्व मुख्यमंत्री रमन सिंह के ओएसडी ( विशेष कर्तव्यस्थ अधिकारी ) की पत्नी जागेश्वरी बिसेन की नियुक्ति को लेकर सवाल उठाए थे. उनका आरोप था कि जागेश्वरी बिसेन आईटी विशेषज्ञ के तौर पर किसी भी तरह की योग्यता नहीं रखती थीं बावजूद इसके उन्हें न्यू रायपुर डेव्हलपमेंट अथारिटी में नियुक्त कर दिया गया था. विकास तिवारी की शिकायत के बाद जांच प्रारंभ हुई तो पता चला कि जागेश्वरी बिसेन पूरी तरह से अयोग्य थी और उनकी नियुक्ति किसी प्रभाव में की गई थीं. ( ऐसी चर्चा है कि जागेश्वरी बिसेन के पति अरूण बिसने भाजपा के पूर्व सांसद और रमन सिंह के पुत्र अभिषेक सिंह के करीबी थे. )

बताया जाता है कि जब जागेश्वरी बिसेन की नियुक्ति हुई थी तब भारतीय प्रशासनिक सेवा के अफसर रजत कुमार न्यू रायपुर डेव्हलपमेंट अथारिटी में सीईओ थे. खबर है कि अब सीईओ और जागेश्वरी बिसेन के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने की तैयारी चल रही है.

पूर्व मुख्यमंत्री के करीबी रहे रजत कुमार और ओएसडी रहे अरूण बिसेन कई तरह के विवादित मामलों से घिरे हुए हैं. बताते है कि न्यू रायपुर डेव्हलपमेट अथारिटी के इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्टस सपोर्ट सर्विसेस के लिए अनुबंधित सलाहकार संस्था के साथ संपादित अनुबंध के अनुसार स्मार्ट सिटी परियोजना के कार्यों के संचालन के लिए आईटी कंसलटेंट की जरूरत थी. इसके लिए सलाहकार संस्था मेसर्स ली एसोसिएट से एमसीए या फिर बीई व बीटेक के साथ-साथ पांच से सात साल का अनुभव रखने वाले योग्य उम्मीद्वारों का बायोडाटा मांगा गया था. सलाहकार संस्था ने इसके लिए ओएसडी अरूण बिसेन की पत्नी जागेश्वरी बिसेन का अनुभव प्रमाण पत्र भेजा और उनकी नियुक्ति आईटी विशेषज्ञ के पद पर कर दी गई.

 
फिलहाल जो जांच रिपोर्ट सामने आई है उसमें पता चला है कि बॉयोडाटा मिलने के बाद प्रस्तावित उम्मीदवार का साक्षात्कार भी नहीं लिया गया.इस सिलसिले में कोई नस्ती उपलब्ध नहीं है.  यही नहीं, प्रोफेशनल इंस्टीटयूट ऑफ इंजीयरिंग और टेक्नालॉजी में कुल तीन वर्ष सात माह में प्रोफेसर कम्प्यूटर साइंस और कंसोल इंडिया कम्युनिकेशन प्राइवेट लिमिटेड में कुल एक वर्ष तीन माह का अनुभव होना बताया गया है.इस तरह जागेश्वरी बिसेन द्वारा 4 वर्ष 10 माह 18 दिन का अनुभव प्रमाण पत्र प्रस्तुत किया गया है. जबकि प्राधिकरण द्वारा उपरोक्त पद के लिए पांच से सात वर्ष का अनुभव चाहा गया था. इतना ही नहीं जागेश्वरी बिसेन ने कंसोल इंडिया जैसी विवादित कंपनी में खुद को कार्य करना भी बताया था. बता दें कि यह कंपनी पूर्व मुख्यमंत्री डाक्टर रमन सिंह का चेहरा चमकाने के खेल में लगी थी. इस कंपनी ने विधानसभा चुनाव के दौरान राज्य के पत्रकारों और संपादकों को खुलेआम धन बांटा था और उनका वीडियो भी बनाया था. बहरहाल कंसोल इंडिया में काम करने वाली जागेश्वरी जब न्यू रायपुर डेव्हलमेंट अथारिटी में नौकरी पा गई तो उन्हें एक लाख रुपए महीने का पगार दिया जाने लगा.

छत्तीसगढ़ के बेरोजगारों... क्या आपको किसी ने एक लाख रुपए की पगार पर नौकरी देने के बारे में सोचा है? अगर किसी ने सोचा है तो क्या आप एक लाख रुपए की पगार वाली नौकरी छोड़कर चले जाएंगे? मगर... सरकार बदलते ही जागेश्वरी ने एक लाख रुपए की पगार देने वाली नौकरी को लात मार दिया. ठीक यही काम संविदा में पदस्थ और सुपर सीएम के नाम से विख्यात एक दूसरे अफसर की पत्नी ने भी किया है. पहले अफसर की पत्नी की जांच रिपोर्ट आ गई है. दूसरे अफसर की पत्नी की रिपोर्ट आनी बाकी है. इस अफसर पत्नी की नियुक्ति को लेकर भी सरकार जांच करवा रही है.

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