पहला पन्ना

जो अंडा खाना चाहता है उसे खाने दो... अंडे के समर्थन में उतरे जनसंगठन

जो अंडा खाना चाहता है उसे खाने दो... अंडे के समर्थन में उतरे जनसंगठन

रायपुर. छत्तीसगढ़ के स्कूलों में अंडा वितरण किए जाने को लेकर जबरदस्त नौटंकी चल रही है. धर्म-कर्म और आस्था का हवाला देकर कतिपय संगठन विरोध जता रहे हैं तो एक बड़ी आबादी बच्चों को अंडा दिए जाने के पक्ष में है. अब तक अंडा वितरण के खिलाफ ही ज्ञापन दिए जाने का समाचार देखने- सुनने को मिल रहा था, लेकिन इधर पहली बार गुरुवार को  प्रगतिशील जनसंगठनों ने कलक्टर को ज्ञापन सौंपकर सरकारी स्कूलों और आंगनबाड़ी केंद्रों में अंडा देने की मांग मुख्यमंत्री से की है.

क्रांतिकारी सांस्कृतिक मंच के महासचिव् तुहिन,अखिल भारतीय क्रांतिकारी विद्यार्थी संगठन के अध्यक्ष विनय, दलित मुक्ति मोर्चा छत्तीसगढ़ के सलाहकार गोल्डी जार्ज, भोजन का अधिकार अभियान से जुड़ी संगीता, गुरु घासीदास सेवादार संघ के रायपुर जिला संयोजक केशव सतनाम, एससीएसटीओबीसी अल्पसंख्यक संयुक्त मोर्चा छत्तीसगढ़ के संयोजक अधिवक्ता रामकृष्ण जांगड़े, अधिवक्ता शिवप्रसाद डहरिया, क्रांतिकारी नौजवान भारत सभा के गौतम गणपत तथा लोक समता समिति के सुरेश कुमार ने गुरुवार को रायपुर के कलक्टर एस भारतीदासन को ज्ञापन सौंपकर सरकारी स्कूलों एवं आंगनबाड़ी केंद्रों में हफ्ते में पांच दिन अंडा देने की मांग की.

ज्ञापन सौंपने के बाद इन सदस्यों ने मीडिया से चर्चा में कहा कि छत्तीसगढ़ में बच्चों में कुपोषण की स्थिति बेहद  गंभीर है. यहां 38 फीसदी बच्चे कुपोषण के शिकार है. अनुसूचित जाति- जनजाति वर्ग के बच्चों में कुपोषण की दर लगभग 44 फीसदी है. एक सरकारी सर्वे भी कहता है कि छत्तीसगढ़ में 83 फीसदी लोग अंडा सेवन करते हैं. सरकारी स्कूलों और आंगनबाड़ियों में जाने वाले बच्चों में मांसाहार का प्रतिशत और भी अधिक है. अंडा उच्च कोटि का प्रोटीन है और एक सर्वोत्तम विकल्प है. जो लोग अंडे का सेवन नहीं करना चाहते उनके लिए सरकार ने अतिरिक्त शाकाहारी विकल्प का प्रावधान भी तय कर रखा है. सरकार अगर अंडे का वितरण करना चाहती है तो यह एक अच्छा कदम है. अंडा देकर बच्चों में कुपोषण की समस्या को कम किया जा सकता है.

जनसंगठनों से जुड़े लोगों ने इस बात पर आश्चर्य जताया कि अंडे का विरोध करने वाले लोग बच्चों के कुपोषण को दूर किए जाने के बारे में चितिंत नहीं है. वे इसे धर्म-कर्म से जोड़कर देख रहे हैं. प्रगतिशील जनसंगठनों के सदस्यों ने कहा कि भोजन में शाकाहार और मांसाहार दोनों अनिवार्य है. आस्था या धार्मिकता के नाम पर लोगों के खानपान पर पाबंदी लगाने की मांग किसी भी स्तर पर जायज और प्रजातांत्रिक नहीं मानी जा सकती है. जनसंगठनों ने कहा कि अभी केवल ज्ञापन देकर बात समझाने की कवायद की जा रही है. अगर गरीब और कुपोषित बच्चों को अंडा देने की जबरिया खिलाफत की गई तो फिर सड़क की लड़ाई भी लड़ी जाएगी. 

क्यों दिया मछली और मुर्गीपालन को बढ़ावा ?

गुरुवार को विधानसभा में अंडा वितरण किए जाने को लेकर एक बार फिर विपक्ष ने हंगामा मचाया. विपक्ष के सदस्य बृजमोहन अग्रवाल ने कहा कि कई लोग अंडा वितरण का विरोध कर रहे हैं. सरकार को अपना फैसला वापस लेना चाहिए. उन्होंने सदन में इस विषय पर स्थगन प्रस्ताव के जरिए चर्चा करने की मांग की जिस पर सत्तापक्ष सहमत नहीं हुआ. सदन में सत्तापक्ष के सदस्यों ने कहा कि जिन राज्यों में भाजपा की सरकार है वहां की सरकार भी स्कूलों में बच्चों को अंडा उपलब्ध करवा रही है तो फिर यहां क्या दिक्कत है. मंत्री कवासी लखमा ने कहा कि जब बृजमोहन अग्रवाल पशुधन मंत्री थे तब मछली पालन और मुर्गी पालन को बढ़ावा देने की बात करते थे, लेकिन अब विरोध कर रहे हैं. इस बीच विधायक बृहस्पति सिंह ने सदन में वर्ष 2014 के आदेश की प्रतियां लहराई. उन्होंने कहा कि जब भाजपा की सरकार थीं तब अंडा देने पर विचार किया गया था.

 

 

ये भी पढ़ें...