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क्या बस्तर के ईसाई नक्सली है

क्या बस्तर के ईसाई नक्सली है

बस्तर में ईसाई धर्म को मानने वाले लोगों पर हमले तेज होते जा रहे हैं. जब कभी ईसाई धर्मावलंबी अपनी शिकायत लेकर थाने जाते हैं तो उन्हें नक्सली बोलकर डराया जाता है. पुलिस कहती है- ज्यादा तीन-पांच करोगे तो नक्सली बनाकर अंदर कर देंगे.

रायपुर. छत्तीसगढ़ में ईसाई समुदाय को प्रताड़ित किए जाने के मामले में एक बार फिर इजाफा हो रहा है. हालांकि प्रताड़ना की सबसे अधिक घटनाएं भाजपा के शासनकाल में हुई थी,लेकिन घटना को अंजाम देने वाले तत्व अब भी अलग-अलग ढंग से हमले कर रहे हैं.

अभी हाल के दिनों में छत्तीसगढ़ क्रिश्यन फोरम के अध्यक्ष अरुण पन्नालाल और महासचिव अंकुश बेरियेकर ने बस्तर इलाके का दौरा कर इस खौफनाक सच को उजागर किया. फोरम के जिम्मेदार पदाधिकारियों ने बताया कि इसी साल 23 मई 2019 को सुकमा जिले के ग्राम बोडिगुडडा में बोडडी कन्ना, पदाम कोना, बोड्डी बाजार, बोड्डी लच्छा, सरियम, देशा, दुल्ला और उनके साथियों ने करम्मू पूरम, देशा पंडा, सुब्बा और हिरमा सरियम के घरों में बलात प्रवेश किया और अनाज तथा अन्य घरेलू समान को लूट लिया. महिलाओं के साथ छेड़छाड़ की और साड़ी पकड़कर खींचा. गाली-गलौच करते हुए जान से मारने की धमकी दी. हमले के दौरान आक्रामणकारी साफ-साफ कह रहे थे कि अगर गांव के लोग मसीह धर्म को मानना नहीं छोड़ेंगे तो उन्हें जान से हाथ धोना पड़ेगा.

अरुण पन्नालाल और अंकुश बेरियेकर ने बताया कि जब  इस मामले की शिकायत वहां के पास्टर फिलिप ने थाने जाकर की तो थानेदार ने शिकायत लेने से इंकार कर दिया और कहा कि चाहे कुछ भी हो जाय... एफआईआर दर्ज नहीं करूंगा. थानेदार ने घटना स्थल पर जाकर निरीक्षण करने से भी इंकार कर दिया और आदिवासी ग्रामीणों की सहायता के लिए  फोर्स भी नहीं भेजी. पुलिस का संरक्षण मिलने से हमलावरों ने दूसरे दिन यानी 24 मई को भी दोबारा घटना को अंजाम दिया. इसी साल 25 मई को मसीही समाज से जुड़े लोगों ने सुकमा कलक्टर को ज्ञापन सौंपकर जान-ओ-माल की सुरक्षा की गुहार लगाई. अरुण पन्नालाल ने बताया उन्होंने छत्तीसगढ़ क्रिश्यन फोरम के बैनर तले एक प्रतिनिधि मंडल के साथ स्वयं पुलिस अधीक्षक को एफआईआर दर्ज करने का ज्ञापन सौंपकर निवेदन किया लेकिन पुलिस अधीक्षक ने भी किसी तरह की कोई सहायता नहीं की.

पन्नालाल और बेरियेकर ने बताया कि हर कोई अपने-अपने धर्म को मानने के लिए स्वतंत्र है. सुकमा जिले में गत तीन सालों में ईसाई धर्मावलंबियों पर हमले की घटनाओं में लगातार इजाफा देखने को मिला है. इस घटना से पहले भी 19 नवम्बर 2017 और 8 फरवरी 2019 को हमलावरों ने गांव वालों को पीटा था. उन्होंने बताया कि जब कभी भी ईसाई धर्म को मानने वाले अपनी शिकायत लेकर थाने जाते हैं तो उन्हें नक्सली बोलकर डराया जाता है. पुलिस कहती है- ज्यादा तीन-पांच करोगे तो नक्सली बनाकर अंदर कर देंगे. पन्नालाल ने बताया कि अगर कभी पुलिस गांव में जाती है तो समझौते का खेल करती है. क्या बलात प्रवेश करने, महिलाओं से छेड़छाड़ करने और उनकी इज्जत से खेलने पर किसी तरह का समझौता हो सकती है, लेकिन सुकमा की पुलिस न्यायालय के काम में लगी रहती है. अगर अपराधी थाने से छूट जाएंगे तो फिर न्यायालय की आवश्यकता किसलिए है. अरुण पन्नालाल ने बताया कि बस्तर में कुछ दलाल किस्म के लोग सक्रिय है जो आदिवासियों की जिंदगी से खिलवाड़ करने में लगे रहते हैं. जब गांव में ईसाई धर्म को मानने-समझने वाले लोगों पर हमला होता है कुछ लोग समझौते के खेल में जुट जाते हैं. पुलिस भी ऐसे दलालों से मिली-भगत कर आदिवासियों को लूटने के खेल में लगी रहती है. दोरनापाल के थानेदार सत्येंद्र कुमार ने अपना मोर्चा डॉट कॉम से यह स्वीकारा कि कुछ लोग अक्सर समझौते के लिए थाने में आते रहते हैं. हालांकि थानेदार ने माना कि पुलिस का काम समझौता करवाना नहीं है, लेकिन कई बार दबाव के चलते यह काम भी करना होता है.

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