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भूपेश बघेल ने बताया सावरकर और जिन्ना को देश के विभाजन का जिम्मेदार तो बिलबिला उठे भाजपाई

भूपेश बघेल ने बताया सावरकर और जिन्ना को देश के विभाजन का जिम्मेदार तो बिलबिला उठे भाजपाई

रायपुर. भले ही पंडित जवाहर लाल नेहरू को कोस-कोसकर केंद्र में मोदी की सरकार बन गई है, लेकिन अब भी भाजपाइयों को यह रास नहीं आ रहा है कि कोई नेहरू को नए संदर्भों के साथ याद करें. सोमवार को छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने नेहरू की पुण्यतिथि के मौके पर उन्हें याद किया तो भाजपाई बिलबिला उठे. राजधानी के राजीव भवन में आयोजित एक कार्यक्रम में बघेल ने कहा कि अब भी कतिपय लोग देश के बंटवारे के लिए नेहरू को दोषी मानते हैं, लेकिन वस्तुस्थिति यह है कि देश के बंटवारे की कल्पना सबसे पहले सावरकर ने की थी और उसे अंजाम तक जिन्ना ने पहुंचाया था. बघेल के इस बयान के बाद भाजपाई ताबड़तोड़ ढंग से सक्रिय हुए. भाजपा समर्थकों ने सोशल मीडिया में एक के बाद एक कई पोस्ट लिखी. किसी ने सावरकर को माटी का सच्चा सपूत बताया तो किसी ने कहा कि छत्तीसगढ़ सरकार ने नेहरू भक्ति का नया दौर प्रारंभ किया है. पूर्व मुख्यमंत्री डाक्टर रमन सिंह ने एक निजी चैनल से कहा कि इतिहास को लेकर कांग्रेस का ज्ञान अधूरा है. लोकसभा चुनाव में पराजय के बाद कांग्रेस सदमे में हैं. आयोजन में देश के पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की भतीजी करुणा शुक्ला ने पुष्पाजंलि अर्पित करने के दौरान पंडित जवाहरलाल नेहरू अमर रहे का नारा लगाकर सबको चौंकाया.

कट्टरता नुकसानदायक

मुख्यमंत्री ने कहा कि जब हम नेहरू की किताब भारत एक खोज पढ़ते हैं तो उनके ज्ञान को देखकर आश्चर्य चकित रह जाते हैं. नेहरू जी ने बहुत स्पष्ट कहा था कि कट्टरता चाहे कैसी भी हो वह देश के लिए नुकसानदायक होती है. बघेल ने कहा कि नेहरू सवाल पूछे जाने के पक्षधर थे और यह मानते थे कि आजादी में कालर पकड़कर सवाल पूछने का अधिकार केवल लोकतंत्र ने दिया है. उन्होंने कहा कि आज देश के प्रधानमंत्री से आपको सवाल पूछने का अधिकार नहीं है. मुख्यमंत्री ने कहा कि नेहरू की कल्पना में संकुचित राष्ट्रवाद का स्थान नहीं था. उनके भीतर सभी को साथ लेकर चलने की सोच विद्यमान थी. उन्होंने कहा कि नेहरू पोंगापंथ और दकियानूसी विचारों के खिलाफ थे, लेकिन आज पोंगापंथ को बढ़ावा दिया जा रहा है. बघेल ने साफ कहा कि देश के विभाजन की योजना सावरकर ने बनाई थी और जिन्ना भी यही चाहते थे, लेकिन आज आवाम के सामने झूठे तथ्य पेश किए जाते हैं.

कार्यक्रम में लेखक व विचारक पुरषोत्तम अग्रवाल ने कहा कि वे कांग्रेसी नहीं है, लेकिन नेहरू को सबसे ज्यादा करीब पाते हैं. उन्होंने बताया कि जिस दिन जवाहर लाल नेहरू का निधन हुआ था तब उनकी उम्र महज नौ साल की थी और उस रोज उनके घर खाना नहीं बना था. उन्होंने बताया कि निधन के दिन उनकी मां और पिता खूब रोए थे. वे जिस मठ में जाते थे वहां के महंत को भी रोते हुए देखा था. अग्रवाल ने कहा कि आज कुछ लोग नेहरू को गरियाकर अपना स्वार्थ सिद्ध करना चाहते हैं, लेकिन वे भूल जाते हैं कि अगर नेहरू नहीं होते तो वे कहीं नहीं होते. उन्होंने कहा कि आज झूठ को इतनी बार बोला जाता है कि वह सच लगने लगता है. लोग कहते है कि झूठ के पैर नहें होते जबकि वास्तविकता यह है कि सोशल मीडिया के इस भयावह दौर में झूठ के पैर नहीं पर होते है.जिस वक्त सच पैर में जूते के फीते बांध रहा होता है, उस वक़्त झूठ दुनिया का चक्कर लगा चुका होता है. कबीर और नेहरू पर अपने बड़े काम की वजह से चर्चित विचारक पुरूषोत्तम अग्रवाल ने कहा कि नेहरू और पटेल दोनों जानते थे कि एक न एक दिन उनके बीच मतभेद की बात प्रचारित की जाएगी और हुआ भी वहीं लेकिन बावजूद इसके सरदार वल्लभ भाई पटेल ने नेहरू को न सिर्फ नेता स्वीकार किया था बल्कि दोनों ने देश के लिए मिलकर काम किया था. पुरूषोत्तम अग्रवाल ने सभागार में मौजूद कांग्रेसजनों के सवालों का जवाब भी दिया. उन्होंने कहा कि अब चुनौतियां ज्यादा बड़ी हो गई है क्योंकि इतिहास के साथ खिलवाड़ करने वाले लोग ज्यादा मजबूती से सक्रिय हैं. उन्होंने कहा कि इतिहास को गलत ढंग से प्रस्तुत करने वाले लोगों का हर स्तर पर जवाब देना होगा. घर बैठने से काम नहीं चलेगा. कार्यक्रम का संचालन वरिष्ठ कांग्रेसी राजेश तिवारी ने और आभार प्रदर्शन महामंत्री गिरीश देवांगन ने किया. आयोजन में विशेष रुप से वरिष्ठ संपादक ललित सुरजन, गृहमंत्री ताम्रध्वज साहू, शिक्षा मंत्री प्रेमसाय सिंह, सांसद दीपक बैज, पूर्व शिक्षा मंत्री सत्यनारायण शर्मा, राज्यसभा सांसद छाया वर्मा, वरिष्ठ कांग्रेसी नेता राजेंद्र तिवारी सहित अन्य कई दिग्गज कांग्रेसी नेता मौजूद थे.

गुनाहों को छिपाने की साजिश

इधर कांग्रेस के इस आयोजन के बाद जब भाजपा सक्रिय हुई तो प्रदेश कमेटी के महामंत्री और संचार विभाग के अध्यक्ष शैलेश नितिन त्रिवेदी ने भी पलटवार किया. एक बयान में उन्होंने कहा कि भारत के विभाजन के लिए आरएसएस और मुस्लिम लीग जैसी सांप्रदायिक ताकतें सक्रिय थी. यह ताकतें अंग्रेजों की फूट डालो राज करो नीति में सहयोग करती थी. भाजपा आज भी अपने पूर्वजों के गुनाहों पर पर्दा डालने का काम करती हैऔर इसका दोष महात्मा गांधी और नेहरू पर मढ़ने की साजिश करती रहती है. शैलेश ने कहा कि अगर संघी सही ढंग से भारत का इतिहास बांच ले तो उन्हें पता चल जाएगा कि वर्ष 1937 में हिन्दू महासभा के उन्नीसवें अधिवेशन सावरकर ने द्वि-राष्ट्र के सिद्धांत का खुला समर्थन किया था.

 

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