संस्कृति

विद्या सिन्हा- अमोल पालेकर और... मैं

प्रोग्राम कृषि दर्शन के बाद अच्छी-खासी फिल्म चल रही थीं.फीचर फिल्म का शेष भाग प्रस्तुत होने ही वाला था, लेकिन ये क्या साला...तमाशा हो गया. टीवी पर झिलमिल-झिलमिल नजर आने लगा. आवाज सुनाई दे रही है मगर चेहरा नहीं दिख रहा है. थोड़ी देर में फिल्म के सभी पात्र हिलने भी लगे. जिस घर में टीवी देख रहा था वहां रहने वाली महिला ने अपने पति से कहा- सुबह चित्रहार के समय भी ऐसा हो गया था. लगता है फिर से एंटीना हिल गया है.पता नहीं कौन है बार-बार हमारा एंटीना हिला देता है. महिला के पति ने कहा- कोई नहीं हिलाता हैं.आंधी-तूफान से ऐसा हो जाता है.

ब्लैक एंड वाइट टीवी के जमाने में ऐसा हर घर में हुआ है. आज मैं आपको कोई नई कहानी बताने नहीं जा रहा बस...याद दिला रहा हूं. वैसे आप सबको यह किस्सा याद होगा ही.

सेक्टर छह भिलाई में रहने के दौरान हमारे ब्लाक में रहने वाले माथुर साहब पहली बार एक टीवी लेकर आए थे.जाहिर सी बात है माथुर साहब हमारी नजर में तोपचंद थे.वैसे उनके तोपचंद होने की एक वजह यह भी थीं कि उनकी सबसे बड़ी बेटी खूबसूरत थीं और वहीं एक लड़की थीं जो कालेज में पढ़ती थीं.

माथुर साहब की बेटी के साथ सबसे अच्छी बात यह थीं कि वह विद्या सिन्हा जैसी दिखती थीं और अपने बगीचे में घूम-घूमकर पढ़ती थीं.उन्हें इस तरह रटा मारते हुए देखकर हमारी स्ट्रीट का हर लड़का छत पर घूम-घूमकर रटा मारता था. जिस छत पर देखो रटामार लड़के नजर आते थे. कुछ तो ऐसे थे जो रहते दूसरी स्ट्रीट पर थे और रटा हमारे ब्लाक की छत पर आकर मारते थे. सच तो यह है कि साले रटा कम मारते थे और रटा मारने का एक्शन ज्यादा करते थे. हर कोई माथुर साहब की बेटी को इंप्रेस करने में लगे रहता था.

रटामार लड़कों से परेशान होकर माथुर साहब की लड़की ने जब घर से बाहर निकलना बंद कर दिया तब मेरी इंट्री हुई थीं. मैं माथुर साहब की लड़की से बहुत-बहुत छोटा था और राजकपूर की फिल्म मेरा नाम जोकर का ऋषि कपूर बनना भी नहीं चाहता था. मुझे नहाने का शौक है लेकिन किसी को नहाते हुए देखने का शौक कभी नहीं रहा. मैं तो अब भी कई बार नहाने के दौरान यह सोचने लगता हूं कि क्या मैं सचमुच नहाने के लिए ही इस दुनिया में आया हू. अगर ऐसा है तो मुझे सच में नहा लेना चाहिए.नहाते-नहाते खुद को गुम कर लेता हूं. दूसरों को कहां खोज पाता?

अपनी इंट्री का एक छोटा सा मकसद यही था कि यार किसी तरह रविवार को माथुर साहब के घर पर टीवी देखने का जुगाड़ जम जाए. एक रोज मामला जम गया. मुझे शरीफ समझकर माथुर साहब की लड़की ने बुलवाया. मैं भागते हुए पहुंचा तो खुले बाल वाली बड़ी सी लड़की ने कहा-सुनो...मेरा एक काम कर दोगे. मैंने कहा- सब कर दूंगा... बस आप मुझे टीवी देखने देना. मामला जम गया. अब हर रविवार को मैं माथुर साहब के घर का खास मेहमान होता था. इस खास मेहमान को हर रविवार एक लव लैटर मिलता था. यह लव लैटर जहां पहुंचाना होता था वहां पहुंचा दिया करता था. अब कहां पहुंचाता था यह मत पूछिए. बस...इतना जान लीजिए कि विद्या सिन्हा ने अपना अमोल पालेकर ढूढ़ लिया था. जिस अमोल पालेकर को हमारी विद्या सिन्हा ने पंसद किया था वह भी एक रटामार था, लेकिन जब मोहल्ले के सारे लड़के रटा मारकर निकल जाते थे तब साला अमोल पालेकर रटा मारने छत पर आया करता था. कई बार तो रात-रात भर रटा मारते रहता था. अब कोई दिन-रात मेहनत करेगा तो उसे विद्या नहीं तो क्या ललिता पवार मिलेगी? बंदे को मेहनत का फल मिला और मैं लैटर पहुंचाने की एवज में कुछ अच्छी फिल्में देख पाया. 

अब एक सस्पेंस और खोलता हूं. जब कभी भी माथुर साहब के घर टीवी झिलमिलाता तो एंटीना ठीक करने के लिए अमोल पालेकर ही आया करता था. बाकी जिन घरों में एंटीना हिल जाता था वहां शायद रुड़की विश्वविद्यालय के इंजीनियर आया करते थे. उनके आते ही तीन लोग सक्रिय हो जाते थे. एक घर के अंदर रहता था जो चिल्लाते रहता था- नहीं आया... नहीं आया...। छत के ऊपर कौवों को भगाने वाला- आया क्या... आया क्या...कहते रहता था. और दोनों के काम पर नजर रखने वाला एक तीसरा शख्स मात्र डायरेक्शन देते रहता था. हां इधर....हां उधर....। रुड़की विश्वविद्यालय के ये महान इंजीनियर जंग में फतह हासिल करने के बाद बकायदा चाय- नाश्ता भी करते थे और फिर जानी लीवर की तरह पतली गली पकड़कर निकल जाते थे.

( राजकुमार सोनी की फेसबुक वॉल से )

 

 

 

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लाइफबॉय हैं जहां तदुरुस्ती है वहां....

आज एक पोस्ट लाइफबॉय साबुन पर ( लेकिन इस पोस्ट के साथ हीे यह न समझा जाय कि मैंने मनियारी की कोई दुकान खोल ली है.) दरअसल यह सब बचपन की स्मृतियां हैं जिनसे गुजरना अच्छा लग रहा है.हो सकता है आप सबके भी कुछ अनुभव हो. अपने अनुभवों को यहां शेयर करना मत भूलिएगा. 

तो बात करते हैं लाइफबॉय साबुन की. जैसे ही फिल्म के परदे पर-लाइफबॉय है जहां तदुरुस्ती है वहां गीत बजता था...दिल खुशी से झूम उठता था. उन दिनों जो कोई भी लाइफबॉय से नहाता था उसके बारे में यह माना जाता था कि वह अमीर खानदान से है. लाइफबॉय से नहाने वाला अपना प्रचार भी खुद ही करता था. नहाने वाला सबको बताते रहता था-लाइफबॉय से नहाया हूं.... लाइफबॉय से नहाया हूं. जैसे लाइफबॉय से नहाकर कोई महान काम कर लिया हो.

हम पांच भाई थे तो पिताजी सभी भाइयों को हर पंद्रह दिन में आधा-आधा लाइफबॉय काटकर दे दिया करते थे. पता नहीं लाइफबॉय से तदुरुस्ती की रक्षा होती थीं या नहीं लेकिन हर भाई अपने हिस्से के लाइफबॉय की रक्षा अवश्य करता था. हर भाई एक-दूसरे की नजरों से अपने लाइफबॉय को छिपाकर रखता था. कोई जूतें के डिब्बे में छिपाता था तो कोई कनस्तर के नीचे. 

बड़े भइया नहाने के बाद एक घटिया से गमछे से बदन पौछते हुए छत पर चले जाते थे और वहां साबुन छिपाने के बाद सामने के ब्लाक में रहने वाली लड़की को देखकर जोर-जोर से गाते थे- तदुरुस्ती की रक्षा करता लाइफबॉय.लाइफबॉय है जहां तदुरुस्ती हैं वहां. उनके गाने को सुनकर कभी-कभी यह सोचने लगता था कि एक न एक दिन सामने वाली लड़की  हमारी छत पर दौड़ते हुए आएगी और भैया से गले लगकर बोलेंगी- मुझे तुम्हारे बदन की खूशबू परेशान कर देती है. मुझे नहीं मालूम था तुम भी लाइफबॉय से नहाते हो.     

मैं सोचता था दोनों अपने-अपने घर से भाग जाय और जहां कहीं भी रहे अपने-अपने लाइफबॉय से ही नहाए. अगर सचमुच ऐसा हो जाता तो मुझे नहाने के लिए भैया के हिस्से का भी लाइफबॉय मिल जाता. लेकिन दुर्भाग्य से ऐसा नहीं हो पाया. भैया के रगड़-रगड़कर नहाने के बाद भी लड़की कभी हमारी छत पर नहीं आई. लगभग दो-तीन साल तक छत पर गायन विधा का कठिन अम्यास के बाद भी भैया सफल नहीं हुए. एक रोज पता चला कि लड़की कहीं चली गई हैं.शायद कम उम्र उसकी शादी कर दी गई थीं. भैया ने गाना बंद कर दिया था-लाइफबॉय हैं जहां तदुरुस्ती हैं वहां. लेकिन यह भी सच था कि भैया कुछ दिनों तक तदुरुस्त नहीं रहे.एक रोज मैंने उन्हें छत पर नया गाना गाते हुए सुना- जो ओके से नहाए...कमल सा खिल जाय...ओके नहाने का बड़ा साबुन.सामने के ब्लाक पर एक नई लड़की आ चुकी थीं. मुझे लगा कि भैया की जिंदगी पटरी पर आ जाएगी, लेकिन लड़की जब भी छत पर जाती तो सिर से जुएं निकालकर उनका काम-तमाम करते रहती.

इस पोस्ट के चित्र में जो सज्जन नहा रहे हैं उनका नाम मजहर खान है. मजहर खान लंबे समय तक जीनत अमान के पति थे. इस चित्र को देखकर यह भी याद आया कि पति-पत्नी दोनों को नहाने में मास्टरी हासिल थीं. दोनों ने हमें यह समझाया है कि चाहे झरने में नहाओ या तालाब में....। नहाने से शरीर स्वस्थ्य रहता है. अगर आप अब तक नहाने नहीं गए है तो जाइए और जाकर नहा लीजिए. और हां साबुन जो भी लगाइए....मगर गाकर देखिए- लाइफबॉय हैं जहां तदुरुस्ती है वहां....अच्छा लगेगा आपको.

(  राजकुमार सोनी की फेसबुक वॉल से )

 

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आई लव यू अफगान स्नो

बचपन में हम बोरीलीन चुपड़ते थे तो सेक्टर छह भिलाई के सड़क नंबर 22 के पड़ोस में रहने वाली एक लड़की अफगान स्नो चुपड़ती थीं. मेरे और उस लड़की के बीच इस बात को लेकर ही काम्पीटिशन चलते रहता था कि अफगान स्नो बेहतर है या बोरीलीन?

एक दिन लड़की जीत गई और यह साबित करने में सफल हो गई कि अफगान स्नो का कोई मुकाबला नहीं है. एक रोज लड़की दौड़ते हुए घर आई और आते ही उसने कहा- छूकर देख...छूकर देख...। वह मेरे दोनों हाथों को अपने गाल तक ले गई. मैंने कहा- अरे....हां...बाप रे...एकदम ठंडा है. काफी दिनों तक मैं उसके गाल छूकर यही चेक करते रहता था उसने अफगान स्नो लगाया है या नहीं. मैंने अपनी मां को भी बताया था कि लड़की के गाल ठंडे रहते हैं. मां ने हिदायत देते हुए कहा- जिस रोज तेरे बाप का जूता पड़ेगा न...सारी ठंडक निकल जाएगी. पिता के जूतों से बड़ा डर लगता था. उनका निशाना अचूक था. जहां से भी फेंकते थे साला...सिर पर ही लगता था. फिर भी मैं बच-बचाकर यह चेक कर लिया करता था कि लड़की ने अफगान स्नो लगाया है या नहीं? एक रोज मैंने लड़की से रिकवेस्ट की थीं कि वह मेरी बोरीलीन लगा लें और मैं उसका स्नो.मैं उसे बोरीलीन देता रहा और वह स्नो. इस तरह लंबे समय तक वस्तु विनिमय का क्रम चलता रहा. बीच-बीच में लड़की भी यह चेक करती थीं कि अफगान स्नो लगाने से मेरे गालों को ठंडक पहुंच रही है या नहीं ? बहुत बाद में जाकर पता चला कि अफगान स्नो एक फेमस स्नो था. उस जमाने में इस स्नो का विज्ञापन कई मशहूर हिरोइनों ने किया था. शायद आखिरी बार इस स्नो का विज्ञापन पदमिनी कोल्हापुरे ने किया था.

(  राजकुमार सोनी की फेसबुक वॉल से  )

 

 

 

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हल्बी- गोंडी तथा दोरली को भी राजभाषा बनाने चलेगा अभियान

रायपुर. हल्बी  गोंडी तथा दोरली  को भी छत्तीसगढ़ में  राजभाषा का दर्जा दिलाए जाने के लिए विगत कुछ दशकों से प्रयासरत  जनजातीय सरोकारों  की  मासिक पत्रिका के संपादक तथा आदिवासी शोध एवं कल्याण परिषद  के अध्यक्ष डॉ राजाराम त्रिपाठी का कहना है कि बस्तर क्षेत्र विश्व के कई देशों से बड़ा है, हम बस्तरिया लोगों की बोली भाषा परंपराएं ही हमारी पहचान है.हमारी छत्तीसगढ़ी भाषा से द्वेष और आपत्ति नहीं है. हम तो छत्तीसगढ़ी भाषा को फलते फूलते देखकर खुश हैं, लेकिन हल्बी , गोंडी तथा दोरली  प्रदेश के एक बहुत बड़े भू- भाग में बोली जाने वाली मूल भाषा है इसलिए इन बोलियों को भी राजभाषा का दर्जा दिया जाना चाहिए.

राजाराम ने कहा कि इन दिनों यह तीनों  बोलियां बहुत ही तेजी से विलुप्त हो रही है और इसके साथ ही विलुप्त हो रहा है ,इन बोलियों में सन्निहित मानवजाति का कई सदियों का संजोया हुआ संचित विविध- ज्ञान, परंपरा संस्कृति ,साहित्य, लोक कथाएं, लोक गीत ,वनऔषधियों का ज्ञान, परंपरागत चिकित्सा ज्ञान ज्योतिषी ज्ञान तथा जलवायु , वनस्पतियों एवं जीव जंतुओं से संबंधित अनुभवजन्य ज्ञान. डॉक्टर त्रिपाठी ने कहा कि हम बस्तरिया , हर हाल में हल्बी , गोंडी तथा दोरली  बोलियों को इनका वास्तविक अधिकार दिला कर ही रहेंगे. जिस तरह झारखंड में 5 जनजातीय बोलियों को राजभाषा का दर्जा दिया गया है उसी प्रकार छत्तीसगढ़ में भी हल्बी तथा गोंडी एवं दोरली को भी राजभाषा का दर्जा दिया ही जाना चाहिए. उन्होंने बताया कि इसके लिए राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, राज्यपाल, मुख्यमंत्री भूपेश बघेल सहित सभी उचित मंचों पर निवेदन पत्र भेजने का क्रम जारी है.  उन्होंने बताया कि आदिवासी शोध तथा कल्याण परिषद इस मुद्दे को लेकर हर स्तर पर जागरूकता फैलाने के काम में लगी हुई है। राजाराम त्रिपाठी ने कहा कि वे लोगों से सहायता एवं सक्रिय सहयोग देने के लिए बस्तर तथा इन भाषा-भाषी क्षेत्रों के जनप्रतिनिधियों से भी अपील कर रहे हैं, कि वे अपनी राजनीतिक प्रतिबद्धताओं से ऊपर उठकर बस्तर की जनजातीय परंपराओं ,बोली- भाषा आदि हमारी मूल पहचान की रक्षा के लिए आगे आएं तथा हमारा साथ दें. 

 

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मां ने की दूसरी शादी तो बेटे ने खुश होकर लिखी दिल को छू लेने वाली पोस्ट

 

तिरुअनंतपुरम अब तक तो मां और बाप ही बेटे-बेटियों की शादियों में शामिल होकर खुश होते रहे हैं लेकिन हाल के दिनों में केरल के तिरुअनंतपुरम के श्रीधर ने अपनी मां की दूसरी शादी पर एक भावुक पोस्ट लिखकर लोगों का दिल जीत लिया है.

 सोशल मीडिया पर इन दिनों एक पोस्ट जबरदस्त ढंग से वायरल हो रही है, अब तक इस पोस्ट को कई हजार लोग शेयर कर चुके हैं. यह पोस्ट एक बेटे ने अपनी मां की दूसरी शादी से खुश होकर लिखी है. लोगबाग बेटे के साथ—साथ उसकी मां के संघर्ष को भी सलाम कर रहे हैं.

मलयालम भाषा में फेसबुक पर गोकुल श्रीधर नाम के युवक ने यह पोस्ट लिखी है। मूल रूप से केरल के तिरुअनंतपुरम के श्रीधर ने लिखा है, ‘यह पोस्ट मेरी मां की दूसरी शादी के बारे में है। मैं यह पोस्ट एक ऐसे समय में लिख रहा हूं जबकि किसी महिला की दूसरी शादी की बात लोगों के गले में उतरती नहीं है. जबकि यह सोचने का बहुत अच्छा समय है और लोगों को इसे खुले मन से स्वीकार करना चाहिए. ’

गोकुल श्रीधर ने भावुकता से भरी इस पोस्ट में लिखा है, ‘मेरी मां ने अपनी पहली शादी के दौरान बहुत दुख झेले थे। उन्हें घोर शारीरिक प्रताड़ना का शिकार होना पड़ा। उन्होंने ये सब सिर्फ मेरी परवरिश के लिए सहा था, लेकिन अब वक्त आ गया मां अपने पुराने दुख दर्द को भूलकर नई जिंदगी की शुरूआत करे।’

गोकुल ने अपनी मां की दूसरी शादी पर खुशी व्यक्त करते हुए लिखा है“आज मेरे लिए बड़ा खुशी का दिन है और इससे बड़ी खुशी उसके लिए कोई नहीं हो सकती। एक महिला जिसने अपनी जिंदगी मेरे लिए कुर्बान कर दी। मेरे लिए उसने हर दर्द बर्दाश्त किया। कई बार मैंने उन्हें शारीरिक हिंसा के बाद उसके माथे पर से खून गिरते हुए देखा था। जब मैंने उनसे पूछा कि वह यह सब क्यों बर्दाश्त कर रही हैं, तो उनका जवाब होता था कि वह मेरे लिए सबकुछ सहन कर सकती हैं।”

गोकुल श्रीधर आगे लिखते हैं, ‘मेरी मां ने अपनी पूरी जवानी मेरे लिए कुर्बान कर दी, मगर अब उनके अपने बहुत सारे सपने हैं, जिन्हें पूरे करने का अवसर है। मेरे पास कहने के लिए ज्यादा कुछ नहीं है। मुझे ऐसा लगता है कि यह कुछ ऐसा है जिसे मुझे किसी से छुपाने की जरूरत नहीं है। मां! आपकी ये शादीशुदा दूसरी जिंदगी बहुत खुशहाल रहे।’

गोकुल श्रीधन के मुताबिक सोशल मीडिया पर इस पोस्ट को लिखने से पहले उनके मन में एक झिझक थी, क्योंकि उन्हें लगता था कि लोग अपनी मां की दूसरी शादी के बारे में लिखी इस पोस्ट को सही तरीके से नहीं लेंगे, बल्कि अपमानित करेंगे। मगर लोगों ने गोकुल श्रीधर की इस पोस्ट को बहुत सराहा है और उनकी हिम्मत को दाद दी है कि उन्होंने अपनी मां की हिम्मत बढ़ाने का काम किया है।

गोकुल श्रीधर ने मां की दूसरी शादी के बारे में लिखी अपनी इस पोस्ट के साथ—साथ अपनी मां के दूसरे पति की फोटो भी शेयर की है। गोकुल ने भविष्य के लिए मां को बधाई देते हुए लिखा है, ‘मैं दुआ करता हूं कि आपकी वैवाहिक जिंदगी बहुत खुशहाल रहे।’

 

 

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'कानपूर वाले खुरानाज' के साथ नया कॉमेडी शो लेकर आ रहे हैं सुनील ग्रोवर

नई दिल्ली: लंबे समय से टीवी से कॉमेडी शो गायब थे लेकिन अब एक साथ दो शो लोगों को गुदगुदाने के लिए तैयार हैं. जहां कपिल शर्मा अपने शो का नया सीजन लेकर तैयार हैं. तो वहीं उनके पिछले शो के रिश्तेदार ही उन्हें टक्कर देने के लिए खड़े हो चुके हैं. जी हां अब कपिल की ऑन स्क्रीन दादी और बुआ के साथ सुनील ग्रोवर नया शो 

'कानपुर वाले खुरानाज' लेकर आ रहे हैं. सुनील और शो की टीम ने शूटिंग की तस्वीरों के साथ शो की जानकारी दी है. जाने माने कॉमेडियन और कपिल शर्मा के शो में डॉ. मशहूर गुलाटी का रोल करने वाले सुनील ग्रोवर नया शो लेकर आ रहे हैं. सुनील ग्रोवर ‘स्टार प्लस’ के नए शो ‘कानपुर वाले खुराना’ के साथ छोटे पर्दे पर वापसी करने को तैयार हैं. जबकि कुछ दिन पहले ही खबर आई थी कि वह कपिल के शो में एक बार फिर से नजर आने वाले हैं. लेकिन यह बात बाद में गलत साबित हुई थी. कॉमेडियन कीकू शारदा ने बताया था कि सुनील और कपिल की सुलह नहीं हुई है. 

जानकारी देते हुए सुनील ग्रोवर ने कहा कि शो के नये कॉन्सेप्ट ने उन्हें इसे करने के लिए प्रेरित किया. ग्रोवर ने एक बयान में कहा, 'मैं नए कॉन्सेप्ट के साथ छोटे पर्दे पर वापसी करने को लेकर खुश हूं. यह किरदार मेरे द्वारा पहले निभाए किरदारों से अलग है और मैं दर्शकों का मनोरंजन करने के लिए इस सफर को शुरू करने को तैयार हूं.' वहीं अपने सोशल मीडिया एकाउंट से भी सुनील ग्रोवर ने इस शो के जल्द स्क्रीन पर आने की घोषणा की है. यह शो स्टार प्लस पर आएगा वहीं कपिल का शो सोनी एंटरटेनमेंट पर आने के लिए तैयार है हाल ही में सुनील ने सलमान खान की फिल्म 'भारत' की शूटिंग पूरी की है. इस शो में उनके साथ छोटे पर्दे पर नागिन के रोल से सुर्खियां बटोरने वाली अदा खान भी नजर आ सकती हैं. सुनील ग्रोवर के साथ जो कॉमेडी के स्टार्स नजर आने वाले हैं वह हैं अली असगर, सुगंधा मिश्रा, उपासना सिंह. इस शो का प्रसारण शनिवार को रविवार को होगा.

ऐसा होगा कंसेप्‍ट
इस टीवी शो के सेट से पहली फोटो भी सामने आ गई हैं. इस शो का कंसेप्‍ट कपिल शर्मा के शो से पूरी तरह अलग होगा. यह जीजा साली के कंसेप्‍ट पर आधारित शो होगा. इंस्‍टाग्राम पर जो तस्वीर आई है उसमें पूरी टीम काफी उत्साहित नजर आ रही है. तो अब देखना होगा कि दो कॉमेडी शो जब एक साथ दर्शकों के सामने आएंगे तो दर्शक किसे ज्यादा पसंद करते हैं. 

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अब Airtel और Voda ने भी पोर्न साइट्स को किया बैन

हाल ही में रिलायंस जियो द्वारा भारत में पोर्न वेबसाइट को ब्लॉक करने की जानकारी पेश किया गया था। जिससे यह काफी चर्चा का विषय बन गया था। रिलायंस जियो को बाद बाकी टेलिकॉम कंपनियों ने इस विषय को गंभीरता से ले लिया है। जिसके चलते जानी-मानी कंपनियों जैसे एयरटेल और वोडाफोन ने अपने नेटवर्क पर 827 पोर्नोग्राफिक्स वेबसाइट्स को बंद कर दिया है। बता दें, पिछले हफ्ते ही टेलीकॉम डिपार्टमेंट ने टेलिकॉम ऑपरेटरों को पॉर्न वेबसाइट ब्लॉक करने का निर्देश दिया था। जिसके बाद मुकेश अंबानी की कंपनी रिलायंस जियो ने अपने नेटवर्क पर सबसे पहले करीब 800 पॉर्न वेबसाइट पर बैन लगा दिया था।

बता दें उत्तराखंड हाईकोर्ट ने 28 सितंबर को चेतावनी देते हुए कहा कि अगर टेलीकॉम ऑपरेटरों ने पोर्न साइट को बैन नहीं किया, तो उनके लाइसेंस रद्द किए जा सकते हैं। इसके तुरंत बाद ही DoT ने सभी इंटरनेट सर्विस कंपनियों को पोर्न साइट ब्लॉक करने का आदेश दिया था। जिसके बाद रिलायंस जियो ने सबसे पहले इस निर्देश का पालन किया।

जियो द्वारा पोर्न साइट बैन करने पर पॉप्युलर पोर्न वेबसाइट Pornhub ने अपना डोमेन डॉट कॉम बदलकर डॉट नेट कर लिया है। पोर्नहब' ने इस बात की जानकारी ट्वीट के द्वारा दी। उन्होंने कहा कि भारत में हमारी वेबसाइट पर बैन लगाए जाने के बाद हमने अपने ग्राहकों के लिए साइट का डोमेन बदल दिया है। जिससे वह इसे देख सकेंगे। हालांकि बिजनेस इंसाइडर में छपी खबर में बताया गया कि जियो नेटवर्क पर अभी भी कुछ पॉर्न साइट्स खुल रही हैं। यूजर्स अलीबाबा UC ब्राउजर के जरिए जियो नेटवर्क पर अश्लील साइट्स को खोल रहे हैं। देखना यह है कि यह पोर्न वेबसाइट पूरी तरह से बैन होती हैं या नहीं। हालांकि वोडाफोन और एयरटेल यूजर्स अपने नेटवर्क में पोर्न नहीं देख सकेंगे।

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Google ड्राइव पर बिना WiFi के जल्द ही डेटा बैकअप कर सकेंगे आप

सैन फ्रांसिस्को: स्मार्टफोन के खराब होने पर आप सबसे ज्यादा चिंता उसमे मौजूद डेटा की करते हैं. हालांकि अभी तक यह डेटा एंड्रायड प्लेटफॉर्म पर चलने वाले फोन का बैकअप ऑटोमैटिक गूगल ड्राइव में सेव हो जाता था लेकिन इसके लिए फोन को चार्जिंग पर होना जरूरी होता था. साथ ही फोन को वाई-फाई से कनेक्ट होना चाहिए था लेकिन इस टेंशन से जल्द ही छुटकारा मिलने वाला है. अब आप मैन्युअल तरीके से एक बटन दबाकर फोन का बैकअप गूगल ड्राइव पर ले सकेंगे. 

9टू5गूगल की शुक्रवार की रिपोर्ट में बताया गया कि पहले बैकअप के लिए स्मार्टफोन का वाई-फाई नेटवर्क से जुड़ा होना और चार्जिग मोड में रहना जरूरी थी. इसके कारण अगर हैंडसेट में चार्ज नहीं होने या वाई-फाई से कनेक्ट नहीं होने जैसी खराबी आ जाती थी, तो गूगल ड्राइव पर डेटा का बैकअप नहीं लिया जा सकता था. 

रिपोर्ट में कहा गया, "ट्विटर यूजर एलेक्स क्रुगर ने इस फीचर पर सबसे पहले गौर किया. उन्होंने बताया कि सभी तरह के एंड्रायड डिवाइसों के बैकअप सेटिंग्स में एक नया 'बैकअप नाऊ' बटन आया है. यह फीचर 2014 में जारी एंड्रायड मार्शमैलो ओएस पर चल रहे डिवाइसों के लिए भी जारी किया गया है." गूगल द्वारा मैनुअल बैकअप फीचर जारी करने का सबसे पहले अगस्त में अनुमान लगाया गया था.
 
नई सुविधा का इनको होगा फायदा
गूगल ड्राइव में डेटा मैनुअल तरीके से सुरक्षित करने का विकल्प मिलने का सबसे ज्यादा लाभ उन फोन वालों को होगा, जिनके फोन का यूएसबी पोर्ट या वाईफाई सेंसर खराब हो गया है। इनमें से किसी भी एक के खराब होने पर ड्राइव पर डेटा बैकअप ऑटोमेटिकली सुरक्षित होना बंद हो जाता है, लेकिन नई सुविधा के बाद ये भी इसका लाभ ले पाएंगे।

कुछ ऐसे चेक करें यह सुविधा
- अपने फोन की गूगल सेटिंग्स में जाकर बैकअप बटन पर क्लिक करें
- बैकअप दबाने पर नीले रंग का 'बैकअप नाऊ' का ऑप्शन आएगा
- 'बैकअप नाऊ' पर क्लिक करते ही फोन के डेटा की कॉपी ड्राइव पर बन जाएगी
- जिन फोन में अभी 'बैकअप नाऊ' का ऑप्शन नहीं दिखेगा, उनमें जल्द ही सॉफ्टवेयर अपडेट आएगा

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पैन कार्ड बनवाने के लिए अब पिता का नाम अनिवार्य नहीं

आयकर विभाग ने अस्थाई खाता संख्या (पैन) आवेदन में आवेदक के पिता-माता के अलग होने की स्थिति में पिता का नाम देने की अनिवार्यता को खत्म कर दिया है.  अब आवेदक के माता के सिंगल पैरेंट होने की स्थिति में पैन कार्ड के लिए आवेदन करते समय उन्हें पिता का नाम देना अनिवार्य नहीं होगा. सेंट्रल बोर्ड ऑफ डायरेक्ट टैक्सेस (सीबीडीटी) ने एक नोटिफिकेशन जारी करके इस बदलाव की जानकारी दी.

आयकर विभाग ने एक अधिसूचना के जरिये आयकर नियमों में संशोधन किया है. विभाग ने कहा है कि अब आवेदन फॉर्म में ऐसा विकल्प होगा कि माता-पिता के अलग होने की स्थिति में आवेदक मां का नाम दे सकता है.  दरअसल अभी तक पैन आवेदनों में पिता का नाम देना अनिवार्य है. नया नियम पांच दिसंबर से लागू होगा. इस अधिसूचना के जरिये आयकर विभाग ने उन लोगों की चिंता को दूर कर दिया है जिनमें माता-पिता में अकेले मां का ही नाम है. ऐसे में वह व्यक्ति पैन कार्ड पर सिर्फ मां का ही नाम चाहता है, अलग हो चुके पिता का नहीं. 

इस अधिसूचना के जरिये एक वित्त वर्ष में 2.5 लाख रुपये से अधिक का वित्तीय लेनदेन करने वाली इकाइयों के लिए पैन कार्ड के लिए आवेदन करने को अनिवार्य कर दिया गया है. इसके लिए आवेदन आकलन वर्ष के लिए 31 मई या उससे पहले करना होगा.  आयकर विभाग के मुताबिक अब निवासी इकाइयों के लिए उस स्थिति में भी पैन लेना होगा जबकि कुल बिक्री-कारोबार-सकल प्राप्तियां एक वित्त वर्ष में पांच लाख रुपये से अधिक नहीं हों. इससे आयकर विभाग को वित्तीय लेनदेन पर निगाह रखने, अपने कर आधार को व्यापक करने और कर अपवंचना रोकने में मदद मिलेगी.  

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